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बीसीसीआई सचिव जय शाह की आईपीएल 2022 शुरू होने से 96 घंटे पहले की स्टेटमेंट- आईपीएल मीडिया अधिकार की बिक्री जल्द ही शुरू की जा रही है। अगर आप आईपीएल मीडिया अधिकार की बिक्री की ख़बरों पर लगारा नजर रखे हुए हैं तो जरूर नोट किया होगा कि बीसीसीआई के अलग-अलग सीनियर अधिकारी पिछले साल अक्टूबर से ही ऐसी स्टेटमेंट देते आ रहें हैं पर इस बिक्री को शुरू करने वाले टेंडर डॉक्यूमेंट का कहीं आता-पता नहीं। इसी से ये शक हुआ कि मौजूदा मेजबान ब्रॉडकास्टर स्टार के दबाव में लगातार देरी हो रही है और वे चाहते हैं कि 2022 सीजन पूरा होने के बाद ही बिक्री की ये प्रक्रिया शुरू हो। इससे बहरहाल बोर्ड ने इंकार किया है।

बीसीसीआई ने आईपीएल मीडिया अधिकार की बिक्री को सही और पेशेवर अंदाज में पूरा करने के लिए केपीएमजी को सलाहकार बनाया- आखिरकार ये कोई छोटा-मोटा मामला नहीं है। बाजार में आम खबर ये है कि इस बार अधिकार, पिछले राउंड के 16,347 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट की तुलना में कम से कम दो गुना कीमत पर बिकेंगे। इस साल का हिसाब बनाएं तो ये रकम अपने आप लगभग 20,000 करोड़ रुपये तो हो ही चुकी है क्योंकि लीग टीम 10 हो गईं तथा मैच 14 बढ़ गए- इसलिए इस सीजन के लिए स्टार 25 प्रतिशत ज्यादा कॉन्ट्रैक्ट फीस देंगे।कई जानकार तो आईपीएल मीडिया अधिकार की कीमत 30,000 करोड़ रुपये से लेकर 50,000 करोड़ रुपये तक लगा रहे हैं।

इसलिए नए राउंड के लिए अगर बोर्ड को विश्वास है कि अधिकार की कीमत नई ऊंचाइयों को छुएगी तो वे गलत नहीं। मौजूदा होस्ट ब्रॉडकास्टर स्टार का कॉन्ट्रैक्ट आईपीएल 2022 तक है। क्या वास्तव में आईपीएल ऐसी प्रॉपर्टी है कि उसके लिए इतनी ज्यादा कीमत दी जाए? चलो अधिकार खरीद भी लिए तो ब्रॉडकास्टर अगले पांच सालों में कीमत वसूली और मुनाफा कैसे कमाएगा? क्या आईपीएल उसे इतना पैसा दे देगी? कहीं आईपीएल अधिकार खरीदना- विजेता के लिए अभिशाप न बन जाएं? आम तौर पर डिज्नी स्टार, सोनी-ज़ी और जियो-वायकॉम 18 को सबसे जोरदार दावेदार माना जा रहा है- कोई नया खिलाड़ी भी आ सकता है।

अब मीडिया अधिकार का मतलब सिर्फ टीवी नहीं, डिजिटल भी है और उसमें टीवी जैसा पैसा नहीं है। आईपीएल उन ब्रॉडकास्टर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो अपने ओटीटी पोर्टफोलियो को मजबूत करना चाहते हैं जैसे कि डिज्नी+हॉटस्टार को आईपीएल ने ही तो घर-घर में पहुंचाया।

उम्मीद की जा रही है कि अगले दो साल के अंदर आईपीएल ब्रॉडकास्ट से आने वाले पैसे में टीवी और डिजिटल का अनुपात 80:20 होगा। शुरु में तो 5% पैसा भी डिजिटल से नहीं आ रहा था- आज 10% को छू रहा है। इसलिए आईपीएल पर डिजिटल का प्रभाव बढ़ रहा है। मोबाइल स्क्रीन पर मैच देखने वालों की गिनती लगातार बढ़ रही है।

इसलिए बहुत संभव है इस बार आप एक नया कमाल देखें- मीडिया और डिजिटल अधिकार दो अलग-अलग कंपनी खरीदें। अगर ऐसा हो गया तो नया विवाद बनेगा- फीड लीक होने पर दोनों एक-दूसरे को ही दोष देते नजर आएंगे। एक ब्रॉडकास्टर जो दीवार बना देता है- वैसा नहीं हो पाएगा।

चलिए मान लेते हैं कि अधिकार की कीमत 40,000 करोड़ रुपये से 50,000 करोड़ रुपये तक होगी। स्टार ने पहले 4 सीजन में, सालाना 60 मैचों के लिए 3,270 करोड़ रुपये या प्रति मैच 54.49 करोड़ रुपये दिए। इस साल में 14 नए मैच जुड़ने से पेआउट बढ़कर 4,032 करोड़ रुपये है। आईपीएल पर विज्ञापन स्पॉट खरीदना किसी कंपनी के लिए बड़ा महंगा सौदा बन गया है। इस समय बीसीसीआई का झुकाव अलग-अलग ग्रुप को अधिकार देने पर है- ‘जितनी ज्यादा पार्टियां, उतना ही ज्यादा रिवेन्यू’। ये सोच इंग्लिश प्रीमियर लीग (ईपीएल) अधिकारों की बिक्री की मिसाल से उधार ली है- वहां स्काई स्पोर्ट्स, बीटी स्पोर्ट, अमेज़ॅन प्राइम वीडियो और बीबीसी स्पोर्ट को फुटबॉल मैचों के ब्रॉडकास्ट अधिकार मिले हैं। इंग्लैंड के लिए ये गलत नहीं और वास्तव में जरूरी था पर भारत में किसी बड़े कॉन्ट्रैक्ट को एक कंपनी को न देकर, बांटने जैसा कोई क़ानून नहीं है।

माना जा रहा है कि ब्रॉडकास्टर की अपनी इनवेस्टमेंट की वसूली में मदद के लिए, बीसीसीआई स्ट्रेटिजिक टाइम आउट को मौजूदा 150 सेकंड से बढ़ाकर तीन मिनट करने की स्कीम बना रहा है। इस सीजन से ही ऐसा होने की उम्मीद थी पर अभी तक बोर्ड ने कोई घोषणा नहीं की है। ज्यादा टाइम आउट का मतलब है- विज्ञापन इन्वेंट्री के लिए ज्यादा समय।

ब्रॉडकास्ट अधिकार की कीमत देखिए कैसे बढ़ रही है :

  • 2008 में, सोनी ने 10 साल के लिए 8,200 करोड़ रुपये खर्चे थे।
  • 2017 में, 5 साल के लिए स्टार ने 16,347 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया (जो अब 20 हजार करोड़ रुपये हो गया है) यानि कि 2008 की वैल्यू का लगभग चार गुना।
  • इस बार अगर 45,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का अनुमान है तो इसमें गलत क्या है?

नए राउंड में आईपीएल 2023 और 24 में 74 मैच, 2025 में 84और संभवतः 2026 और 27 में 94 मैच- जरूरी नहीं कि टीम की गिनती बढ़ने से ऐसा हो, टूर्नामेंट की संरचना बदलने की चर्चा है। दूसरी तरफ डॉलर की कीमत लगातार बढ़ रही है और साथ में आप इन्फ्लेशन को जोड़ लें तो जिस नई कीमत का अंदाजा लगाया जा रहा है- वह गलत नहीं।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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