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कुछ ही घंटे बाद अंडर 19 वर्ल्ड कप शुरू हो रहा है- क्रिकेट तो चर्चा में रहेगी ही, कप के दौरान जो एक शब्द खूब चर्चा में रहेगा वह Ambidexterity है। आसानी के लिए, इसका मतलब है दोनों हाथों का बराबर कुशलता से इस्तेमाल। क्रिकेट में भी इसकी मिसाल हैं पर आम तौर पर इसमें वे खिलाड़ी चर्चा में आए जो एक हाथ के बल्लेबाज़ हैं और दूसरे हाथ के गेंदबाज़ जैसे कि एक खिलाड़ी दाएं हाथ से बल्लेबाजी और बाएं हाथ से गेंदबाजी या इसके उलट। एक और मिसाल दोनों हाथों से खेलने वाले बल्लेबाज- यादगार उदाहरण : केविन पीटरसन का स्विच हिट। इसी तरह : एक ही मैच में दोनों हाथों से गेंदबाजी।  
अंडर 19 वर्ल्ड कप के दौरान इस खूबी की चर्चा इसलिए सुनाई देगी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की टीम में स्पिनर निवेथन राधाकृष्णन हैं। वह टीम में भारत में जन्मे दो खिलाड़ियों में से एक हैं- दूसरे : 17 साल के हरकीरत बाजवा। राधाकृष्णन, 2013 में भारत से सिडनी चले गए थे। सामान्य परिचय :
  दिल्ली कैपिटल्स के लिए नेट बॉलर रह चुके हैं।   पिता: अंबू सेलवन, एक भूतपूर्व जूनियर तमिलनाडु क्रिकेटर जिन्होंने बाद में तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन लीग में टीमों की मैनेजमेंट की। इस समय बस ड्राइवर हैं।  
*  राधाकृष्णन 2019 में पाकिस्तान के विरुद्ध दुबई में ऑस्ट्रेलियाई अंडर-16 के लिए खेले, जहां वन डे में- चार मैचों में सात स्ट्राइक के साथ सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज। 
*  2017 और 2018 में तमिलनाडु प्रीमियर लीग सीज़न का हिस्सा थे- कोई  मैच नहीं खेला लेकिन कुछ और टूर्नामेंट में खेले हैं।

राधाकृष्णन की सबसे बड़ी खूबी- दोनों हाथों से गेंदबाजी की योग्यता। राधाकृष्णन स्वाभाविक तौर पर दाएं हाथ के हैं पर पिता ने सुझाव दिया था कि अपने बाएं हाथ से भी गेंदबाजी की कोशिश करें।अब वे खब्बू टॉप क्रम के बल्लेबाज और ऐसे गेंदबाज जो ऑफ स्पिन और बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी करते हैं। इस साल की शुरुआत में, तस्मानिया ने 2021-22 सीज़न के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट का कॉन्ट्रेक्ट दिया।  
 राधाकृष्णन की बदौलत ऐसे खिलाड़ी चर्चा में आ गए जो क्रिकेट में दोनों हाथ से गेंदबाजी करते हैं और संयोग से ज्यादातर नई मिसाल भारतीय उपमहाद्वीप से जुड़ी हैं। और ख़ास नाम : श्रीलंका के कामिन्दु मेंडिस, पाकिस्तान के यासिर जान और भारत के अक्षय कर्णवार। एम ई सनुथ और विकास चौहान भी जो 2009 में कोलकाता नाइट राइडर्स का हिस्सा थे। महिलाओं में, बांग्लादेश की शैला शर्मिन और क्वींसलैंड के पूर्व सलामी बल्लेबाज ट्रेवर की बेटी जेम्मा बार्स्बी- दोनों, दोनों हाथों से स्पिन गेंदबाजी करती हैं। जेम्मा पर्थ स्कॉर्चर्स और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलती हैं। ऐसी टेलेंट को हमेशा हैरानी से देखा गया। लगभग 10 साल पहले, ऑस्ट्रेलिया के वर्ल्ड कप विजेता कोच जॉन बुकानन ने कहा था कि आने वाले सालों में, ऐसे क्रिकेटर और ज्यादा होंगे।
अक्षय कर्णवार तो इन दिनों भारत में खूब चर्चा में है। विदर्भ के अक्षय इस सीजन में, टी 20 में एक मैच में 4 मेडन फेंकने वाले पहले गेंदबाज बने- पूरे कोटे में 0 रन दिए मणिपुर के विरुद्ध सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी मैच में। मणिपुर 16.3 ओवर में सिर्फ 55 रन पर आउट- अक्षय ने खब्बू स्पिन से दो विकेट लिए और पारी के आखिर में अपने दाहिने हाथ से गेंदबाजी करने वापस आए। उसके बाद सिक्किम के विरुद्ध हैट्रिक बनाई- उनके आंकड़े 4-1-5-2 थे जो टी 20 में सबसे किफायती गेंदबाज़ी में से एक हैं।   
कुछ सालों से वे दोनों हाथों से गेंदबाजी से क्रिकेट जगत को हैरान कर रहे हैं। 13 साल की उम्र में जब कोच ने उन्हें दाहिने हाथ से गेंदबाजी करते और बाएं हाथ से थ्रो फेंकते देखा तो दोनों हाथों से गेंदबाजी के लिए कहा।  1996 वर्ल्ड कप में कीनिया के विरुद्ध श्रीलंका के हसन तिलकरत्ने ने अपने दोनों हाथों से गेंदबाजी की। हाल के सालों में श्रीलंकाई कामिन्दु मेंडिस और बांग्लादेश की शैला शर्मिन ने इंटरनेशनल  क्रिकेट में यह खूबी दिखाई। पाकिस्तानी पेसर यासिर जान दोनों हाथों से 130 किमी प्रति घंटे से भी तेज गेंदबाजी करते थे। बुकानन के अनुसार, ऐसे खिलाड़ी की टीम में मौजूदगी का फायदा वही है जो टीम में हरफनमौला के होने से है। बुकानन का मानना है कि चाह हो तो किसी को भी ट्रैन किया जा सकता है। एक मिसाल : कम उम्र में माइक हसी दाएं हाथ के बल्लेबाज थे। एक बार एलन बॉर्डर को बॉक्सिंग डे टेस्ट में बल्लेबाजी करते देखा तो फैसला कर लिया कि अपने नए आयडल की तरह बाएं हाथ का बल्लेबाज बनेंगे। तब वह 6-7 साल के थे। डेविड वार्नर ने दोनों हाथों से स्पिन गेंदबाजी की। कुछ और हैरान करने वाली मिसाल :
  एक रणजी मैच में टर्न लेती पिच पर सुनील गावस्कर ने कुछ शॉट खब्बू के तौर पर खेले।    हनीफ मोहम्मद नियमित गेंदबाज नहीं थे पर दोनों हाथों से गेंदबाजी कर सकते थे। जिस टेस्ट में गारफील्ड सोबर्स ने नाबाद 365 रन का रिकॉर्ड बनाया- हनीफ ने सिर्फ बदलाव के लिए बाएं हाथ से गेंदबाजी की थी।  ग्राहम गूच- दाएं हाथ के मीडियम पेस गेंदबाज लेकिन बाएं हाथ से भी गेंदबाजी करने की योग्यता थी।    मेंडिस एक ही समय में दाएं हाथ के ऑफब्रेक गेंदबाज और बाएं हाथ के धीमे ऑर्थोडॉक्स स्पिनर- अफगानिस्तान के विरुद्ध,अंडर -19 वर्ल्ड कप में अपने दूसरे मैच में, 36 रन देकर 3 विकेट लिए।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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