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विराट कोहली के बारे में, कपिल देव की स्टेटमेंट- ‘अगर दुनिया के नंबर 2 गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन को टेस्ट टीम से बाहर किया जा सकता है तो नंबर 1 बल्लेबाज को क्यों नहीं ? विराट उस स्तर पर बल्लेबाजी नहीं कर रहे जो सालों से देखते आ रहे हैं। अपने प्रदर्शन से नाम कमाया पर अगर अब अच्छा प्रदर्शन नहीं खेल रहे तो अच्छा खेल रहे युवाओं को टीम से बाहर न रखें।’
विराट कोहली के बारे में, रोहित शर्मा की स्टेटमेंट- ‘अगर फॉर्म की बात करें तो हर कोई उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरता है। क्वालिटी अलग होती है इससे। इसलिए ध्यान रखना चाहिए कि जब एक खिलाड़ी ने इतने सालों तक अच्छा प्रदर्शन किया है, तो एक या दो खराब सीरीज, क्या उसे खराब खिलाड़ी बना देंगी? उनके पिछले प्रदर्शन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।’
रोहित शर्मा का नजरिया साफ़ है- वे विराट को पूरी तरह सपोर्ट कर रहे हैं। सेलेक्टर भी उनका नजरिया सुनते हैं। ये तो तय है कि मौजूदा सेलेक्टर, उन सेलेक्टर जैसे हिम्मती नहीं जिन्होंने ‘आउट ऑफ़ फॉर्म’ का लेबल लगते ही, प्रतिष्ठा की परवाह किए बिना, सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान और हरभजन सिंह जैसों को सभी तरह की क्रिकेट से बाहर कर दिया। 
असल में मसला विराट कोहली का खराब खेलना नहीं, अपने स्तर के हिसाब से न खेलना है। जब विराट कोहली की बात करते हैं तो उनकी मौजूदा बल्लेबाजी की तुलना किसी और के रिकॉर्ड से नहीं , खुद उनके अपने रिकॉर्ड से करते हैं। इसी में गड़बड़ हो जाती। रिकॉर्ड देखिए :  
•  2019 के आखिर तक 84 टेस्ट में 54.97 औसत से 7,202 रन थे-  2022 के बाद 18 मैचों में 27.25 औसत से सिर्फ 872 रन।•  वनडे में 2019 तक, लगभग 60 औसत, 11,609 रन- 43 शतक और 55 अर्द्धशतक लेकिन पिछले दो साल में 20 वनडे में 36.75 औसत से 735 रन।
•  पिछले दो साल में टी 20 प्रदर्शन थोड़ा बेहतर- 2020 से 24 मैचों में 42.18 औसत से 675 रन।
•  2020 के बाद से, इंटरनेशनल क्रिकेट में 7 बार 0 पर आउट ।
•  2022 से, इंटरनेशनल क्रिकेट में 20 अर्द्धशतक (9 वनडे में, 5 टेस्ट में, 6 टी 20 में)।

पुराने दिनों में, जब विराट कोहली बल्लेबाजी करने के लिए पिच पर आते थे तो दूसरी टीम के कैंप में खबर ये होती थे कि अब कुछ ख़ास होने वाला है- वे उनसे मैच छीन लेंगे। गेंदबाज का स्तर तो लगभग मायने ही नहीं रखता था। ये सिलसिला सालों चला और कोहली अपने ख़ास अंदाज में रन बनाते चले गए।  

आज ऐसा नहीं हो रहा और हर क्रिकेट पंडित उनके लिए बेहतर तकनीक की बात कर रहा है। असल में सबसे बड़ी चिंता है हर गुजरते साल के साथ उनके स्ट्राइक रेट में लगातार गिरावट। टेस्ट में करियर स्ट्राइक रेट 55.69 लेकिन 2022 में सिर्फ 39.04 रहा। 2022 में सिर्फ तीन टेस्ट खेले पर जब 2021 में 11 टेस्ट खेले तो ये कौन सा ख़ास बेहतर था (44.07)। इसी तरह वनडे में करियर स्ट्राइक रेट 92.83 है पर 2022 (6 वनडे) में गिरकर 74.46 था और यह बहुत ख़ास गिरावट है। इसी तरह टी20 इंटरनेशनल में भी गिरावट हुई। आईपीएल में करियर स्ट्राइक रेट 129.15 पर है, लेकिन आईपीएल 2022 में ये 115.99 था। 

ऐसा, दूसरों के साथ भी हो चुका है। सचिन तेंदुलकर, जब  टेनिस एल्बो से जूझ रहे थे तो यही हुआ- करियर स्ट्राइक रेट 86.23 था, लेकिन 2005 में गिरकर 77.29 और 2006 में 77.05 हो गया।1994 के बाद पहली बार उनका स्ट्राइक रेट 80 से नीचे था। तेंदुलकर अंततः वापस लौटे।  
फार्म की तलाश है और इसके लिए सब कुछ कर रहे हैं। लंबे-लंबे ब्रेक लिए। दो बड़े इवेंट एशिया कप और टी 20 विश्व कप सामने हैं और एशिया कप से  कोहली के लिए अपने पुराने फॉर्म को खोजने का सिलसिला शुरू। दुबई जाने से पहले, बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में खूब प्रेक्टिस की और इरादा भारत को एशिया कप और विश्व कप जीतने में मदद करना है। वे इसके लिए, टीम के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।’
 ठीक है वे अभी भी अन्य कई से बेहतर हैं पर उन्हें टॉप पर देखने की जो आदत हो गई है- उसका क्या करें? कोहली के आखिरी 10 टी20 इंटरनेशनल स्कोर : 77, 1, 80, 57, 9, 2*, 17, 52, 1 और 11 रन। आईपीएल 2022 में भी कुछ ख़ास नहीं किया- 16 मैचों में 341 रन, 22.73 औसत और 115.98 स्ट्राइक रेट, दो अर्धशतक, तीन बार गोल्डन डक। क्या इन डक पर शर्मिंदगी नहीं होगी?
सबसे बड़ी बात ये कि कोई वजह सामने नहीं। इंग्लैंड में (2014 में) जो हुआ उसके पीछे एक ख़ास पैटर्न था- उसे सुधारा और सब ठीक हो गया। अब तकनीकी कमी की तो कोई बात ही नहीं हो रही। ऑफ स्टंप लाइन से परेशान होने वाले पहले बल्लेबाज नहीं। बड़े इवेंट एशिया कप और टी 20 विश्व कप के बाद संयम टूटने लगेगा। 

  • चरनपाल सिंह सोबती
2 thoughts on “विराट कोहली के लिए चुनौती और कोई नहीं, खुद उनका अपना रिकॉर्ड है  ”

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