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देश भर में कोविड -19 मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए बीसीसीआई ने मौजूदा सीजन के घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट पर रोक लगा दी- 13 जनवरी से शुरू होने वाली रणजी ट्रॉफी, कर्नल सी.के. नायडू (अंडर-25) ट्रॉफी और सीनियर महिला टी 20 टूर्नामेंट अनिश्चित काल के लिए स्थगित। उसके बाद कूच बेहार ट्रॉफी (लड़कों की अंडर -19 चैंपियनशिप) को प्री-क्वार्टर फ़ाइनल मैचों के बाद बीच में रोक दिया। इस पर, पहले से पैसे की कमी से जूझ रही राज्य क्रिकेट एसोसिएशन में घबराहट की खबर कोई हैरानी की बात नहीं। बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली ने सभी एसोसिएशन को “आश्वासन” दिया है कि रणजी ट्रॉफी और अन्य टूर्नामेंट जल्द से जल्द आयोजित करेंगे।’
मुद्दा सिर्फ कोविड नहीं है- आईपीएल 2 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है तो इन टूर्नामेंट को खेलने के लिए आगे दिन कहाँ हैं? इसलिए- फिलहाल,कोई भरोसा नहीं कि बीसीसीआई रणजी ट्रॉफी खेलने के लिए उपयुक्त विंडो ढूंढ पाएगा?  बड़ी मुश्किल से तो क्रिकेटरों के लिए 2020-21 सीजन न खेलने के मुआवजे का मसला सुलझा था- अब 2021 -22 सीजन भी उसी में जुड़ता दिखाई दे रहा है। जिस रणजी ट्रॉफी को वर्ल्ड वॉर ने नहीं रोका- मौजूदा हालात में उसके लिए दिन नहीं निकल रहे। बोर्ड ने, बिना खेले मुआवजा तय करने के लिए एक कमेटी बनाई (सदस्य : मोहम्मद अजहरुद्दीन, संतोष मेनन, जयदेव शाह, युद्धवीर सिंह, रोहन जेटली, अविषेक डालमिया और देवजीत सैकिया) और उसकी सिफारिश पर कुछ दिन पहले ही तो घोषणा की कि 2020-21 सीज़न के लिए, 2019-20 घरेलू  सीजन में जिन्होंने हिस्सा लिया, उन्हें उसकी 50 प्रतिशत मैच फीस मिलेगी। साथ ही बोर्ड ने घरेलू ट्रॉफियों के लिए नई मैच फीस संरचना घोषित कर दी।  
क्या बीसीसीआई ने वह वायदा पूरा कर दिया जिसकी चर्चा कई महीनों से चल रही थी- बोर्ड अध्यक्ष बनने के फौरन बाद, सौरव गांगुली ने तो घरेलू क्रिकेटरों के लिए सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट सिस्टम शुरू करने की बात की थी। हुआ कुछ और- 2020-21 सीज़न में रणजी ट्रॉफी न होने के कारण कई खिलाड़ी पैसे की कमी में फंस गए। अगर सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट होते तो ऐसा न होता। सच ये है कि बोर्ड ने सिर्फ रणजी और ऐसी ही ट्रॉफी में खेलने वाले खिलाड़ी को मार्च 2020 से कोई फीस नहीं दी है। जो जीने के लिए सिर्फ क्रिकेट खेलते हैं- उनकी हालत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इस मुसीबत में क्रिकेटरों के साथ- अंपायर, रेफरी, वीडियो एनालिस्ट और स्कोरर जैसे भी शामिल हैं।  मुआवजा पैकेज तय करने में भी कितने दिन लगा दिए- ये भी सभी के सामने है। बोर्ड सूत्रों के मुताबिक, वर्किंग ग्रुप ने रणजी ट्रॉफी सीजन की कुल मैच फीस का 50-70 फीसदी मुआवजे के पैकेज के तौर पर देने का प्रस्ताव रखा जिसे बीसीसीआई ने 50 प्रतिशत कर दिया। हिसाब ये बनता है कि एक खिलाड़ी को प्रति मैच 70,000 रुपये मिलेंगे। 2019-20 सीज़न में हर टीम ने कम से कम 8 मैच खेले तो एक खिलाड़ी को कम से कम 5. 60 लाख रुपये मिलेंगे। 


इन सब हालात को देखते हुए, सबसे ख़ास सवाल ये है कि अगर इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान जैसे देशों में घरेलू क्रिकेटरों के लिए सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट सिस्टम हो सकता तो भारत में क्यों नहीं? कुछ जानकार मानते हैं कि बिना खेले, ‘मुआवजा’ दे रहे हैं- ये भी क्या कोई कम है? दूसरे मैच फीस में बढ़ोतरी। ध्यान दीजिए- ये सब उसके लिए जो वास्तव में मैच खेले। एक गेम मिस (वजह कोई भी : चोट, पारिवारिक एमर्जेन्सी, ख़राब फॉर्म) तो कोई पैसा नहीं। अब भी मुआवजा सिर्फ उनके लिए है जो 2019 -20 सीजन खेले और जितने मैच खेले उस हिसाब से।
खिलाड़ी बीमा कवर चाहते थे- वह भी नहीं मिला। भारतीय घरेलू क्रिकेटर एक पक्का समाधान चाहते हैं। असल में पहले बड़े-बड़े और मशहूर क्रिकेटर भी घरेलू क्रिकेट खेलते थे तो घरेलू मुद्दों में उनका नाम भी आता था। इससे बात को वजन मिलता था।आज ये कोई नहीं समझ रहा कि हजारों रणजी और घरेलू खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा फाइनेंशियल सेक्यूरिटी है, मैच फीस नहीं। ज्यादातर रणजी खिलाड़ियों के पास नौकरी नहीं क्योंकि सरकार ने उनका कोटा बंद कर दिया। कॉरपोरेट्स ने अपनी क्रिकेट की दुकानें  बहुत पहले ही बंद कर दी हैं।
इस माहौल में, खिलाड़ी सिर्फ खेल से कमाई पर जीवित हैं और बीसीसीआई ही उनके लिए एम्प्लॉयर। बोर्ड डीए और फीस देता है- कोई तय कॉन्ट्रेक्ट नहीं, जिनके वे हकदार हैं। टॉप स्टार के लिए, क्रिकेट आकर्षक है और पैसा समस्या नहीं- 28 सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट जिसमें खिलाड़ी को 7 करोड़ रुपये (विराट कोहली / रोहित शर्मा / जसप्रीत बुमराह) से लेकर 1 करोड़ रुपये के निम्नतम ग्रेड तक के वार्षिक रिटेनर मिले हैं। संयोग से इन्हीं के पास इंडियन प्रीमियर लीग की लॉटरी यानी कि पैसे की कोई कमी नहीं। बाकी के लिए, पेशेवर घरेलू क्रिकेट एक ऐसी सर्कस जिसमें सुरक्षा के लिए कोई जाल नहीं।
एक  आम अनुमान के अनुसार, घरेलू कॉन्ट्रेक्ट की लागत प्रति वर्ष 150 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होगी। रकम बड़ी है पर आईपीएल स्पिन से आ रहे पैसे के सामने तो कुछ भी नहीं- बीसीसीआई सिर्फ दो आईपीएल मैच से 150 करोड़ (मीडिया और अन्य कमाई) कमाता है। इसी घरेलू ढाँचे से भविष्य के आईपीएल स्टार मिलने हैं। इसे मजबूत बनाने की जरूरत है। 

 – चरनपाल सिंह सोबती

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