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खबर इंग्लैंड से है पर उसके तार सीधे आईपीएल से जुड़ते हैं- इसलिए भारत के नजरिए से ख़ास है। इंग्लैंड ने आम तौर पर कभी अपने क्रिकेटरों के आईपीएल में खेलने के रास्ते में रुकावट पैदा नहीं की- यहां तक कि आईपीएल के लिए अपने सीरीज का प्रोग्राम बदलने का आरोप भी हैं उन पर। इसके बावजूद, इंग्लिश बोर्ड ने कभी लिमिटेड ओवर क्रिकेट में आईपीएल के बढ़ते योगदान को स्वीकार नहीं किया। आईपीएल से हर साल पैसा कमा रहे हैं पर आईपीएल के लिए अलग क्रिकेट विंडो की जरूरत का कभी साथ नहीं दिया।  
नई खबर बदलती सोच का सबूत है- इस बात का भी कि किसी भी बड़े क्रिकेट देश की क्रिकेट, आईपीएल की तरफ मदद के लिए देखती है। खबर ये कि रिकी पोंटिंग और महेला जयवर्धने ने इंग्लैंड के हेड कोच में से एक,बनने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने कहा- उनके पास फुर्सत नहीं। महेला ने कहा- उनके पास पहले से कई ड्यूटी हैं। ध्यान दीजिए- दोनों में से किसी ने भी कोई मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट तोड़कर, इंग्लैंड क्रिकेट टीम के कोच बनने का लालच नहीं किया। इंग्लैंड टीम का कोच बनने का न्यौता कोई मामूली ऑफर नहीं। इंग्लैंड अब रेड-बॉल और व्हाइट-बॉल क्रिकेट के लिए अलग-अलग कोच ढूंढ रहा है।  इस खबर के पीछे की जिस सच्चाई पर ध्यान देना जरूरी है- वह ये कि पोंटिंग और महेला दोनों के पास आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट है और इंग्लैंड ने ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई कि इंग्लैंड का कोच बनने के लिए आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट तोड़ना होगा। इसका मतलब है- इंग्लैंड अब आईपीएल के साथ कोच बांटने के लिए तैयार है। इंग्लैंड में आम तौर पर लिमिटेड ओवर क्रिकेट में घरेलू मैच आईपीएल के बाद ही शुरू होते हैं इसलिए आईपीएल से टकराव नहीं है- पहले भी तो यही था पर इंग्लैंड किसी भी कीमत पर आईपीएल से कोच बांटने के लिए तैयार नहीं था। इंग्लैंड की कोशिश इस सोच का सबूत है कि लिमिटेड ओवर क्रिकेट के लिए सबसे बेहतर कोच चाहिए तो आईपीएल में मिलेगा क्योंकि आईपीएल टीमें अपने लिए सबसे बेहतर जुटा रही हैं।    
47 साल के पोंटिंग इस समय दिल्ली कैपिटल्स के कोच हैं। इसके बाद निशाने पर आए श्रीलंका के पूर्व कप्तान महेला जयवर्धने। इंग्लैंड ने साफ़ कह दिया है कि इंग्लैंड का अगला कोच आईपीएल में काम करने के लिए आजाद है- इसी से महेला जयवर्धने या रिकी पोंटिंग जैसे हाई-प्रोफाइल कोच के लिए रास्ता खुला। आईपीएल में, साथ में काम करने की छूट देने से बेहतर उम्मीदवार मिलेंगे। हाल के सालों में इंटरनेशनल कोचिंग के मौके कम आकर्षक हो गए हैं- क्योंकि सबसे प्रतिष्ठित कोच भी उतना नहीं कमाता जितना पैसा आईपीएल से मिलता है। कोच अब आईपीएल में  सालाना 5 लाख पाउंड (लगभग 5 करोड़ रुपए) के आस-पास की फीस ले रहे हैं।  
इसीलिए इंग्लैंड ने जयवर्धने (इंग्लैंड के साथ सलाहकार के तौर पर पहले भी काम किया, मुंबई इंडियंस के कोच हैं, तीन आईपीएल टाइटल जीते) और पोंटिंग को शॉर्टलिस्ट किया। इस समय आईपीएल में काम करने वाले अन्य संभावित उम्मीदवारों में न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग (चेन्नई सुपर किंग्स के साथ चार आईपीएल टाइटल), ब्रेंडन मैकुलम (केकेआर) और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ी टॉम मूडी (सनराइजर्स हैदराबाद) शामिल हैं। इस नई पॉलिसी का फायदा इंग्लैंड के अपने किसी कोच को भी मिल सकता है- मसलन पॉल कॉलिंगवुड, जो इस समय इंग्लैंड के कामचलाऊ चीफ कोच हैं- अगर उन्हें वाइट बॉल क्रिकेट का कॉन्ट्रैक्ट भी देते हैं तो वे आईपीएल से जुड़ सकते हैं। एंड्रयू मैकडॉनल्ड्स के साथ भी तो यही हुआ- आईपीएल के साथ ऑस्ट्रेलिया के लिए सहायक कोच की ड्यूटी को के रूप में अपनी भूमिका को जोड़ा।
मजे की बात ये है कि इंग्लैंड ने आईपीएल के इस महत्व को स्वीकार किया पर खुद बीसीसीआई ने इस मामले में दूरदर्शिता नहीं दिखाई। इस सीजन में दो टीम ज्यादा पर कोचिंग फ्रंट पर  भारतीय प्रतिनिधित्व कोई ख़ास नहीं बढ़ा। 10 में से सिर्फ 3 टीम के चीफ कोच भारतीय हैं। किंग्स इलेवन पंजाब के चीफ कोच अनिल कुंबले इस मामले में भारत से ज्यादा प्रतिनिधित्व के हिमायती हैं। यहां तक कि सपोर्ट स्टाफ में भी ज्यादा भारतीय नहीं। जिस विदेशी को कोच बना दें- वह अपनी पसंद का कोचिंग स्टाफ ले आता है। हां, टीमों ने जुड़े रोल में भारतीय प्रतिनिधित्व बढ़ाया है :
पूर्व तेज गेंदबाज जहीर खान : मुंबई इंडियंस के क्रिकेट डायरेक्टर और प्रभाव में चीफ कोच महेला जयवर्धने से कम नहीं। जुबिन भरूचा : एक दशक से भी ज्यादा से राजस्थान रॉयल्स के साथ डेवलपमेंट एंड परफॉर्मेंस डायरेक्टर। गौतम गंभीर : लखनऊ सुपर जायंट्स के लिए ‘कोचिंग स्टाफ में एक ख़ास नाम, जो चीफ कोच एंडी फ्लावर पर भी हावी हैं।  

तब भी,  भारत क्रिकेट का पावर हाउस है और खेल के हर क्षेत्र में हावी है- इसलिए इससे ज्यादा प्रतिनिधित्व होना चाहिए था। कोचिंग स्टाफ का भारत में एक बड़ा पूल है क्योंकि 38 तो रणजी टीमें हैं- फिर भी आईपीएल में सिर्फ तीन (कुंबले, आशीष नेहरा और संजय बांगर) को ही ड्यूटी मिली। अगर भारत के युवा खिलाड़ियों के खेलने के मोके रिजर्व रखने के लिए सिर्फ 4 विदेशी खिलाड़ी के प्लेइंग इलेवन में प्रतिनिधित्व  का प्रतिबंध लगाया जा सकता है तो ऐसा ही प्रतिबंध कोच या सपोर्ट स्टाफ में विदेशी की गिनती पर क्यों नहीं लगाया जा सकता?
यहां भी कोटा सिस्टम चाहिए। तभी तो चंद्रकांत पंडित या के सनथ कुमार जैसे बेहतर घरेलू कोच को आईपीएल में काम मिलेगा। इनका कई अलग-अलग राज्यों की टीमों को कोचिंग देना- आईपीएल में काम नहीं दिला रहा। कौन सोचेगा- इस बारे में?
–  चरनपाल सिंह सोबती 

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