fbpx

ज्यादा पीछे नहीं जाते।

7 जनवरी, 2022 को ही तो ऑस्ट्रेलिया के विल पुकोवस्की ने कहा था कि वे पाकिस्तान के टेस्ट टूर पर जाना चाहते हैं। कौन पुकोवस्की? ये वही युवा बल्लेबाज है जिसे ऑस्ट्रेलिया वाले पिछले लगभग तीन साल से फ्यूचर स्टार मान रहे हैं पर इस स्टार बल्लेबाज का रिकॉर्ड देखें तो सिर्फ एक टेस्ट- एससीजी में भारत के विरुद्ध दो पारी में 72 रन और एक स्कोर 62 का पर टेस्ट में हालत ये हो गई कि कंधे की सर्जरी करनी पड़ी। सेलेक्टर्स ने कहा- टेस्ट टीम में वापसी तभी होगी जब घरेलू क्रिकेट खेलोगे। इसीलिए पुकोवस्की लगभग 12 महीनों में अपने पहले मुकाबले वाले मैच को खेलने के लिए तैयार थे।

सच तो ये है कि तैयारी एशेज में वापसी की थी। इसी सिलसिले में विक्टोरिया स्टेट टीम के ट्रेनिंग कैंप में थे- वहां फिर चोट लग गई। आपने रन और विकेट के रिकॉर्ड रखने वाले तो सुने होंगे- खिलाड़ी की चोट का रिकॉर्ड कौन रखता है? तब भी पुकोवस्की के मामले में ये रिकॉर्ड रखा जा रहा है और विश्वास कीजिए- 10 वीं बार चोट लगी। .

12 फरवरी , 2022 को जब मुकाबले वाली क्रिकेट में वापसी की एक और तैयारी चल रही थी तो दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध मैच से पहले प्रेक्टिस के दौरान, सॉकर खेलते हुए फिर चोट लग गई- 11 वीं चोट।

हद हो गई चोट लगने की भी और इनमें से ज्यादातर कंकशन का मामला यानि कि सिर पर चोट। सिर पर चोट किसी की भी जान ले सकती है और क्रिकेट में इसकी मिसाल मौजूद हैं। नतीजा ये कि अब हर विशेषज्ञ पुकोवस्की को सलाह दे रहा है कि अपनी जान बचाओ और हाल फिलहाल भूल जाओ क्रिकेट को। सिर पर इतनी चोटों के बाद भी जान बची हुई है- इसी का शुक्र मनाओ। 24 साल के क्रिकेटर को कहा जा रहा है- बिना देरी रिटायर हो जाओ।

डॉक्टर भी क्या करें? चोट का हिसाब तो देखिए- बल्लेबाजी करते हुए कई बार हिट, अपने घर के दरवाजे पर सिर मार दिया, विकेटों के बीच, अच्छे-भले दौड़ते हुए अचानक गिर गए (बैट टर्फ में फंस गया था) , नेट्स में गेंद सर पर आ लगी और फुटबॉल में ‘वॉलीबॉल’- ऐसे किक किया कि गेंद अपने ही सिर पर आ लगी। पुकोवस्की की बैगी ग्रीन में लंबे करियर की हसरत की तो बात तो छोड़िए- हर सलाह ये है कि इशारा समझो और क्रिकेट छोड़ दो। सिर्फ शौकिया क्लब क्रिकेट खेल लो।

असल में ये सिर्फ पुकोवस्की का मामला नहीं है- ऐसा तो किसी के भी साथ हो सकता है। रमन लांबा या फिलिप ह्यूज को चोट ने दूसरा मौका नहीं दिया। हर चोट दिमाग पर असर डाल रही है तो यह तय करना होगा कि क्या क्रिकेट में करियर इतने जोखिम के लायक है? पिछले साल, इंग्लिश क्रिकेट में 25 साल के डर्बीशायर के विकेटकीपर हार्वे होसिन दो साल में चार बार चोट लगने के बाद रिटायर हो गए थे- पुकोवस्की को तो 11 बार चोट लग चुकी है।

इसी से जुड़ा नया सवाल ये है कि इस समय बल्लेबाज़ अपने सिर की सुरक्षा के लिए जो हेलमेट पहन रहे हैं- क्या वे वास्तव में जान बचा देंगे? क्या हेलमेट के डिजाइन को कंकशन जोखिम को कम करने के लिए फाइन-ट्यूनिंग की जरूरत है?

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ जॉन ऑर्चर्ड और इसके स्पोर्ट्स साइंस चीफ एलेक्स कोंटूरिस सहित विशेषज्ञों ने 2014 और 2019 के बीच पुरुष और महिला क्रिकेट में 130 खिलाड़ियों को आई 197 चोट की स्टडी के अध्ययन से नतीजा निकाला कि चोट लगने की संभावना को कम करने के लिए हेलमेट में बिना देरी सुधार की जरूरत है। 2020 में जर्नल ऑफ कंकशन में प्रकाशित इस रिसर्च पेपर में लिखा है कि ज्यादातर खिलाड़ियों को चोट तब लगी जब गेंद हेलमेट के पीछे की ओर लगी। इसलिए इस पीछे के हिस्से को सुधारना होगा।

ब्रिटिश स्टेंडर्ड मानकों के अनुरूप और 2015 में क्रिकेट में हेलमेट को जरूरी घोषित कर दिया गया था पर अब भी हर चोट के बाद लगता है- बल्लेबाजी हेलमेट में सुधार की सख्त जरूरत है।

आज पुकोवस्की का करियर दांव पर लगा है- कल किसी और के साथ ऐसा ही हो सकता है। पुकोवस्की कोई साधारण टेलेंट नहीं। 2017 में स्टेट टीम में और दो साल बाद टेस्ट टीम में।विक्टोरिया के लिए फर्स्ट क्लास करियर की शानदार शुरुआत की। अंडर-19 में विक्टोरिया के लिए एक नेशनल चैंपियनशिप में चार शतक और जनवरी 2017 में पाकिस्तान के विरुद्ध एक टूर मैच में लिस्ट ए और उसके बाद शेफील्ड शील्ड में खेलने की शुरुआत की। 2017-18 में अपने दूसरे शील्ड गेम में क्वींसलैंड के विरुद्ध 188 रन। 2018-19 के पहले शील्ड गेम में डॉन ब्रैडमैन, इयान चैपल, क्लेम हिल, डैरेन लेहमैन, नॉर्म ओ’नील, रिकी पोंटिंग, पॉल शीहान और डग वाल्टर्स के बाद शेफील्ड शील्ड में दोहरा शतक बनाने वाले सिर्फ आठवें ऑस्ट्रेलियाई बने- 21 साल की उम्र में पर्थ में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 243 रन। उसी मैच में मेंटल हेल्थ का ऐसा मामला सामने आया कि 6 हफ्ते का ब्रेक लेना पड़ा।

क्रिकेट सिर्फ आईपीएल में बड़े कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने जैसी आसान नहीं है- जान भी जा सकती है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *