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भारत की क्रिकेट के लिए 6 फरवरी को अहमदाबाद में कीरोन पोलार्ड की टीम के विरुद्ध वन डे ख़ास गिना जाएगा- ये भारत का 1000 वां वन डे होगा। उस दिन एक ट्रायल की शुरुआत भी होगी। कैसा ट्रायल? ये ट्रायल होगा कुल-चा (कुलदीप यादव-युजवेंद्र चहल को उनके प्रशंसकों द्वारा दिया नाम) का,जो सीनियर टीम इंडिया के वाइट बॉल स्पिन आक्रमण में, फ्रंट लाइन स्पिनर के तौर पर वापसी कर रहे हैं।

ये हाल के मैचों के नतीजे और साथ ही साथ टीम इंडिया की कमांड में बदलाव का संकेत है। ज्यादा समय नहीं बचा और टीम की पॉलिसी तय करनी है। इसीलिए दो साल तक जिन्हें याद नहीं किया, उन गेंदबाज के लिए टीम मैनेजमेंट की सोच बदली। सच ये है कि कुलदीप यादव ने तो मान ही लिया था कि सिर्फ आईपीएल और घरेलू क्रिकेट के गेंदबाज़ हैं और इस सोच ने भी उनके आत्म विश्वास को झटका दिया। चहल के साथ फिर से जोड़ी बनाने की बात उसके बाद की थी।

पिछले साल दोनों को एक-साथ दूसरी स्ट्रिंग टीम के श्रीलंका टूर के लिए चुना गया था (शिखर धवन की कप्तानी में) और ये एक संकेत था कि सेलेक्टर्स उन्हें भूले नहीं हैं पर सीनियर टीम में अब लौटे हैं। ये जोड़ी पहली बार तब चर्चा में आई थी जब 2017 में इंग्लैंड में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में पाकिस्तान के विरुद्ध दोनों फ्रंटलाइन स्पिनर रवि अश्विन और रवींद्र जडेजा के बेअसर होने के बाद, टीम मैनेजमेंट ने इन दो कलाई के स्पिनरों पर विश्वास दिखाया। संयोग से वह भी टीम कमांड में बदलाव का समय था- कोच रवि शास्त्री इन और कोच अनिल कुंबले आउट। शास्त्री ने कप्तान विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी की सोच से नाता जोड़ा और कुल-चा का दौर शुरू हुआ। धर्मशाला में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 5 विकेट से टेस्ट में आए कुलदीप ने चहल के साथ जो जोड़ी बनाई, उसने स्पिन को पूरी क्रिकेट की दुनिया में चर्चा दिला दी।

2017 और 2019 के बीच कुल-चा की कामयाबी में स्टंप्स के पीछे से एम.एस.धोनी की गाइडेंस उनके लिए मास्टर स्ट्रोक रही- गेंदबाजी की लाइन और फील्ड प्लेसमेंट पर उनसे बेहतर और कोई नहीं बता सकता था। 2017 चैंपियंस ट्रॉफी और 2019 के 50 ओवर वर्ल्ड कप के बीच, कुलदीप यादव (21.74 पर 87 विकेट) और चहल (25.68 पर 66) वन डे में विश्व के टॉप स्पिनर थे।

2019 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के विरुद्ध छठे मैच में, एजबेस्टन की सपाट पिच और चौकोर बाउंड्री में एक-दूसरे की तुलना में छोटा होना, यादव और चहल पर भारी पड़ गया- मैच में 20 में 160 रन और सिर्फ एक विकेट। इस वर्ल्ड कप के बाद, जीत न पाने का जो शोर हुआ, उसकी आंधी में ये जोड़ी भी टिक नहीं पाई। उसके बाद 2021 के श्रीलंका टूर में ही दोनों एक साथ दिखाई दिए।

अब वापस हैं और इस वापसी के लिए कितना इनकी गेंदबाज़ी जिम्मेदार है और कितना उंगली के स्पिनरों (मसलन रवि अश्विन और रवींद्र जडेजा) की नाकामयाबी- ये तो समय बताएगा। इस बीच शाहबाज नदीम को भी आजमाया। बहरहाल इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि 2021 का संयुक्त अरब अमीरात में टी 20 वर्ल्ड कप हो या दक्षिण अफ्रीका में वन डे सीरीज
(जिसमें 3-0 से हारे) – इनमें स्पिन अटैक कमज़ोर पहलू साबित हुआ। जहां एक ओर अश्विन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी- चाइनामैन गेंदबाज तबरेज शम्सी ने एडेन मार्कराम और केशव महाराज के साथ मिलकर भारतीय बल्लेबाजी को दबा दिया। अश्विन की जगह,केपटाउन में तीसरे वन डे में जयंत यादव को लिया लेकिन वह भी एक विकेट लेने में नाकाम रहे। दक्षिण अफ्रीका में चहल भी तीन वन डे में 29 ओवर में दो ही विकेट ले सके।

ये सब कुल-चा को एक बार फिर, साथ वापस लाने के लिए बहुत था। फिर भी ये दोनों ट्रायल पर हैं क्योंकि दोनों को सबसे पहले अपनी जगह पक्की करनी है। दोनों का आत्म विश्वास टूटा है। कुलदीप तो फिट भी नहीं रहे- 2021 में आईपीएल के दूसरे राउंड के दौरान घुटने की चोट ने और गड़बड़ कर दी। सितंबर में उनके घुटने की सर्जरी हुई। बीसीसीआई ने उन्हें रिहेबिलिटेशन के लिए नेशनल क्रिकेट एकेडमी भेजा। अब वे फिट हैं और न सिर्फ आईपीएल नेट्स पर थे- इस सीजन के लिए उत्तर प्रदेश रणजी टीम के कप्तान हैं।

कुलदीप यादव: 65 वन डे में 107 विकेट और युजवेंद्र चहल : 59 वन डे में 99 विकेट। ख़ास बात ये कि कुलदीप और चहल ने साथ साथ जो 36 मैच खेले उनमें कुलदीप ने 67 और चहल ने 58 विकेट लिए। अब इसी पार्टनरशिप का नया ट्रायल है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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