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जैसे ही मेग लेनिंग की टीम ने वर्ल्ड कप जीता- आईसीसी ने बड़ा जोर देकर कहा कि इस वर्ल्ड कप से महिलाओं और पुरुषों की क्रिकेट में इनामी रकम के बीच अंतर पाटने की शुरुआत हो गई है। खबर अच्छी है पर सच्चाई के लिए कुछ फैक्ट नोट कीजिए : *  महिला वन डे वर्ल्ड कप के लगातार सीजन में इनामी रकम बढ़ रही है। 2013 और 2017 के बीच कुल इनामी रकम दस गुना बढ़ी- 2 लाख डॉलर से सीधे 2 मिलियन डॉलर। इसी का नतीजा ये था कि 2017 के टाइटल विजेता इंग्लैंड को लॉर्ड्स में भारत पर 9 रन की जीत पर 6.60 लाख डॉलर का इनाम मिला।*  इस बार वर्ल्ड कप विजेता टीम की इनामी रकम को दोगुना कर दिया यानि कि ऑस्ट्रेलिया को 1.32 मिलियन अमरीकी  डॉलर मिले लेकिन क्या आप जानते हैं  कि यह अभी भी 2019 के पुरुषों के वन डे वर्ल्ड कप चैंपियन इंग्लैंड को मिले इनाम से 6.5 मिलियन अमरीकी डॉलर कम है।*  इस बार कुल इनामी रकम में लगभग 75% की बढ़ोतरी की और कुल रकम 3.5 मिलियन डॉलर थी- 2017 के महिला वर्ल्ड कप की तुलना में 1.5 मिलियन डॉलर ज्यादा।  
*  कहां ये कुल 3.5 मिलियन डॉलर की इनामी रकम और कहां 10-टीम वाले 2019 पुरुषों के वन डे वर्ल्ड कप में दिए गए 10 मिलियन डॉलर- इस तरह से अंतर 6.5 मिलियन डॉलर निकला।  *  उस 2019 वर्ल्ड कप में चैंपियन इंग्लैंड ने 4 मिलियन डॉलर जीते जबकि फाइनल में हारने वाली टीम न्यूजीलैंड को 2 मिलियन डॉलर मिले और हारने वाले दो सेमीफाइनलिस्ट, ऑस्ट्रेलिया और भारत में से हर एक को 8 लाख डॉलर मिले। *  इस बार महिला फाइनल में हारी टीम इंग्लैंड को 6 लाख डॉलर मिले- 2017 में फाइनल में हारी टीम भारत की तुलना में 270,000 डॉलर ज्यादा।*  इस बार सेमीफाइनल में हारने वाली दो टीमों वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका में से हर एक को 3 लाख डॉलर मिले जबकि ग्रुप राउंड के बाद घर वापस जाने वाली चार टीमों में से हर एक को (जैसे भारत) 70 हजार डॉलर मिले- पिछले वर्ल्ड में 30 हजार डॉलर मिले थे।*  इस बार ग्रुप राउंड में हर जीत से टीम को 25 हजार डॉलर का इनाम भी मिला।

क्रिकेट के वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूनामेंट में महिलाओं और पुरुषों को मिलने वाली इनामी रकम के बीच अंतर को पाटने की चर्चा पिछले कई साल से चल रही है। इस बार कुछ आगे बढ़े तब भी देख लीजिए फर्क कितना रह गया है। इस पर आईसीसी ने कहा कि अगले 8 साल के राउंड में फर्क और कम करने की कोशिश होगी- ये राउंड 2024 से 2031 तक चलेगा। आईसीसी अपने सभी बजट 8 साल के राउंड को ध्यान में रखकर बनाती है। 2024 से शुरू होने वाले राउंड में ही वर्ल्ड कप को और बड़ा करने की भी स्कीम है- टीम 8 से 10 करेंगे पर ऐसा 2029 में ही हो पाएगा।
ये फर्क क्यों है? आईसीसी इसके लिए एक बड़ी वजह खेलने वाली टीम की गिनती को मानती है। जैसा किआपने ऊपर पढ़ा- महिला वन डे वर्ल्ड कप में टीम की गिनती 8 से 10 हो पाएगी 2029 में ही- 2025 में नहीं, इसलिए जल्दी ही फर्क कम होने के कोई आसार नहीं।  
सिर्फ वर्ल्ड कप में इनामी रकम का फर्क ख़त्म नहीं करना है- और भी कई जगह ये फर्क ख़त्म करना है। बीसीसीआई की अगले साल से 6 टीमों की महिला आईपीएल की स्कीम है।  आईपीएल ने महसूस किया कि महिला आईपीएल के लिए बेहतर संभावनाएं मौजूद हैं। उनका हौसला बढ़ा 2020 में महिला टी 20 चैलेंज के स्पांसर होने से (जियो ने टॉप स्पांसर के नाते 12 करोड़ रुपये का भुगतान किया था)। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने फैसला किया है कि आईपीएल की मौजूदा फ्रेंचाइजी से पूछा जाएगा कि क्या वे महिला टीम भी बनाना चाहेंगे? इसके बाद भी टीम बचीं तो बाजार में बोली लगाने वाला एक्शन शुरू होगा।  
इस बदली सोच के लिए, बीसीसीआई को क्रिकेट वेस्टइंडीज (सीडब्ल्यूआई) के कैरेबियन प्रीमियर लीग (सीपीएल) के साथ इस साल से तीन टीमों की लीग शुरू करने और पड़ोसी पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) की भी ऐसी ही स्कीम की घोषणा का शुक्रिया अदा करना चाहिए। बीसीसीआई ने अब माना है कि टूर्नामेंट से व्यावसायिक रिटर्न की परवाह किए बिना महिला लीग शुरू करना उनकी जिम्मेदारी है।

पुरुष आईपीएल इतनी बड़ी है कि दोनों इवेंट साथ-साथ खेलना संभव नहीं हो सकता- इसलिए सबसे पहले तो इसके लिए एक सही विंडो तलाशनी होगी। इसके अलावा, प्रस्तावित इवेंट की सही मार्केटिंग पर काम करना होगा। ध्यान दीजिए इनामी रकम की कोई बात नहीं हुई और बराबरी की उम्मीद करना बेकार होगा।  
उधर दूसरी तरफ, इस सीजन के लिए ‘द हंड्रेड’ का लक्ष्य दोनों को “बराबर” भुगतान करना है पर जो फर्क है उसे देखते हुए- ऐसा हो पाना आसान नहीं। देखिए : 2022 के द हंड्रेड टूर्नामेंट में टॉप कैटेगरी की महिला खिलाड़ी को 31,250 पाउंड की कॉन्ट्रैक्ट फीस मिलेगी जो पुरुषों के टूर्नामेंट में सबसे नीचे के क्रिकेटरों वाली कैटेगरी से मामूली ही ज्यादा है। इसे देखते हुए, आज तो बराबरी की बात करना ही बेकार है।  
इसलिए अभी तो बराबरी की चर्चा सिर्फ बातों के लिए है- यही सच्चाई है।  
– चरनपाल सिंह सोबती 

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