भला बैटिंग पार्टनरशिप में इन दोनों के बीच आपस में क्या समानता? है, पर उसकी बात से पहले, मौजूदा स्थिति देखते हैं।
आखिरकार वही हुआ- जिसके आसार नजर आ रहे थे। इंग्लैंड ने स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन को मार्च में वेस्टइंडीज में 3 टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए टूर टीम से बाहर कर दिया। सच तो ये है कि ब्रॉड और एंडरसन उन 8 खिलाड़ियों में से हैं जो एशेज के लिए ऑस्ट्रेलिया गए पर अब टीम से बाहर। ज्यादा चर्चा इन दोनों पेसर की है क्योंकि ये माना जा रहा है कि ये इनके इंटरनेशनल क्रिकेट करियर के अंत की शुरुआत है।
ब्रॉड और एंडरसन एशेज में सभी 5 टेस्ट नहीं खेले- 3 टेस्ट में ब्रॉड ने 13 और एंडरसन ने 8 विकेट लिए। आम तौर पर हार को दोष इन्हें नहीं, बल्लेबाजी की नाकामयाबी को दिया जा रहा है पर नजला इन पर भी गिरा। अब टीम से बाहर होने पर, इन दोनों के गेंदबाज़ी के रिकॉर्ड की सबसे ज्यादा चर्चा है। रिकॉर्ड इतने कि लिखे ही नहीं जा सकते पर संक्षेप में- जेम्स एंडरसन : 640 टेस्ट विकेट- सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट की लिस्ट में तीसरे नंबर पर और स्टुअर्ट ब्रॉड : टेस्ट में 537 विकेट- बॉब विलिस और इयान बॉथम की तरह इंग्लैंड के सबसे शानदार एशेज गेंदबाज। 2004 के बाद पहली बार इंग्लैंड की किसी टेस्ट टूर टीम में दोनों में से एक को भी शामिल नहीं किया।
एंडरसन (उम्र 39 साल) और ब्रॉड (उम्र 35 साल) की हसरत अभी खत्म नहीं हुई है- दोनों ने कहा 2023 में अगली एशेज में खेलना चाहेंगे और अप्रैल में काउंटी क्रिकेट खेलकर टीम में वापसी की कोशिश करेंगे। 2015 में वाइट बॉल क्रिकेट से हटाए जाने के बाद से, एंडरसन और ब्रॉड सिर्फ टेस्ट खेल रहे थे। सिर्फ टेस्ट खेलने से कुछ नहीं होता। हाल ही में इंडियन प्रीमियर लीग की नीलामी में जोफ्रा आर्चर के लिए मुंबई इंडियंस की 8 करोड़ रुपए (7.83 लाख पौंड) की बोली ब्रॉड और एंडरसन के सालाना इंग्लैंड कॉन्ट्रेक्ट से भी ज्यादा है, वह भी तब जबकि आर्चर की फिटनेस का कोई भरोसा नहीं।
दोनों में से जेम्स एंडरसन ज्यादा मशहूर। ये भी सच है कि उनकी जब भी चर्चा होती है तो उनकी गेंदबाज़ी की बात होती है जबकि बैटिंग में उनके नाम दो बड़े अनोखे रिकॉर्ड हैं। पिछली एशेज के टेस्ट नंबर 2 में इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान वे 100 बार (टेस्ट क्रिकेट में) नॉट आउट रहने वाले पहले बल्लेबाज बने थे- इस समय रिकॉर्ड 103 नॉट आउट का है। रिकॉर्ड के लिए- एमएस धोनी के नाम वन डे और टी 20 आई के रिकॉर्ड हैं- क्रमशः 84 और 42 बार नॉट आउट। अगर तीनों तरह की क्रिकेट में कुल नॉट आउट का मौजूदा रिकॉर्ड देखें तो एमएस धोनी के 142 की तुलना में एंडरसन 149 बार नॉट आउट रहे।
आम तौर पर, टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा नॉट आउट के रिकॉर्ड में गेंदबाज़ ही टॉप पर हैं- शायद इसलिए भी कि वे नंबर 10 और 11 पर बैटिंग करते हैं। टॉप 10 :
1) जेम्स एंडरसन (इंग्लैंड) – 103
2) कर्टनी एंड्रयू वॉल्श (वेस्टइंडीज) – 61
3) मुथैया मुरलीधरन (श्रीलंका) – 56
4) बॉब विलिस (इंग्लैंड) – 55
5) क्रिस क्राइस्ट मार्टिन (न्यूजीलैंड) – 52
6) ग्लेन मैकग्रा (ऑस्ट्रेलिया) – 51
7) शिवनारायण चंद्रपॉल (वेस्टइंडीज) – 49
8) इशांत शर्मा (भारत) – 47
9) स्टीव वॉ (ऑस्ट्रेलिया) – 46
10) मखाया नतिनी (दक्षिण अफ्रीका) – 45
आपने दोनों को कई बार एक साथ बेटिंग करते देखा होगा पर गौर नहीं किया होगा उन पर। एशेज में सिडनी, वह आख़िरी टेस्ट था जिसमें ये दोनों साथ
-साथ खेले। न सिर्फ बैटिंग के लिए पिच पर साथ-साथ मौजूद थे- पार्टनरशिप टूटी नहीं। ध्यान दीजिए- जब ये दोनों पिच पर साथ-साथ बैटिंग कर रहे थे इसका मतलब था कि कुल 320 टेस्ट खेले खिलाड़ी अविजित पार्टनरशिप में बैटिंग कर रहे थे (स्टुअर्ट ब्रॉड 151 और जिमी एंडरसन 169 टेस्ट)। विश्वास कीजिए- ये भी टेस्ट रिकॉर्ड है। अगर दो मान्यता प्राप्त बल्लेबाज की बात करें तो रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर (अपने 171 वें टेस्ट में) और राहुल द्रविड़ (144 वें) के 315 टेस्ट का है- इनकी आखिरी अविजित पार्टनरशिप 2010-11 में बंगलौर के उस टेस्ट में थी जब ऑस्ट्रेलिया को हराया था।
अगर अविजित पार्टनरशिप वाली शर्त हटा दें और सभी पार्टनरशिप को देखें तो एंडरसन-ब्रॉड जोड़ी लिस्ट में 21वें नंबर पर हैं। इनसे ऊपर कौन सी 20 ज्यादा टेस्ट अनुभव वाली पार्टनरशिप हैं? आपको ये जानकार हैरानी होगी कि ऊपर की सभी 20 पार्टनरशिप में एक नाम सचिन तेंदुलकर का है। और भी मजेदार बात ये कि इन 20 में से 19 में, उनके साथ दूसरे पार्टनर राहुल द्रविड़ थे। सबसे ज्यादा अनुभव वाला रिकॉर्ड 2011-12 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध एडिलेड में बना- योग 352 टेस्ट (तेंदुलकर का 188वां और द्रविड़ का 164वां और आखिरी टेस्ट)। 20 में से, जिस एक पार्टनरशिप में द्रविड़ का नाम नहीं है, उसमें पार्टनर थे वीवीएस लक्ष्मण और इनका रिकॉर्ड भी उसी टेस्ट में बना था- लक्ष्मण का 134 वां और आखिरी टेस्ट जिससे उनके बीच कुल टेस्ट 322 हो गए।
- चरनपाल सिंह सोबती