क्रिकेट के नजरिए से देखें तो 2022 भारत के लिए महिला क्रिकेट में, किसी बड़ी कामयाबी की उम्मीद के साथ शुरू हुआ। पहली अच्छी खबर आ गई है- तेज तर्रार ओपनर स्मृति मंधाना को 2021 में तीनों तरह की क्रिकेट में अविश्वसनीय फॉर्म के लिए ICC महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया। मुकाबला था- इंग्लैंड की टैमी ब्यूमोंट, दक्षिण अफ्रीका की लिजेल ली और आयरलैंड की गैबी लुईस के साथ- रशेल हेहो फ्लिंट ट्रॉफी के लिए। एक नज़र साल के दौरान उनके खास स्कोर पर :
दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध -भारत ने अपनी पिचों पर 8 में से सिर्फ 2 मैच में जीत हासिल की और मंधाना की दोनों जीत में प्रमुख भूमिका। 80– भारत ने दूसरे वन डे में 158 रन के लक्ष्य को हासिल किया और आख़िरी टी 20 आई में जीत में 48* रन।
* इंग्लैंड के विरुद्ध एकतरफा टेस्ट की पहली पारी में 78 रन और टेस्ट ड्रॉ।
* वन डे सीरीज में भारत की एकमात्र जीत में कीमती 49 रन।
* टी 20 आई सीरीज में उनके 15 गेंदों में 29 और फिफ्टी बेकार गए- भारत दोनों मैच हार गया और सीरीज 2-1 से।
* ऑस्ट्रेलिया टूर में वन डे सीरीज के दूसरे मैच में 86 रन।
* एकमात्र टेस्ट (अपने करियर का पहला) में शानदार शतक और प्लेयर ऑफ द मैच से सम्मानित।
* आख़िरी टी 20 आई में साल का अपना दूसरा 50 का स्कोर हालांकि भारत सीरीज 2-0 से हार गया।* 2021 में कुल रिकॉर्ड :टेस्ट : पारी: 4, रन: 244, औसत: 61.00, स्ट्राइक रेट : 56.48, 100: 1 और 50: 1
वन डे : पारी: 11, रन: 352, औसत: 35.20, स्ट्राइक रेट : 86.69, 50: 2
टी 20 : पारी: 9, रन: 255, औसत: 31.87, स्ट्राइक रेट : 131.44, 50: 2
* भारतीय महिला जो ICC क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर रही हैं:
झूलन गोस्वामी- 2007
स्मृति मंधाना- 2018
स्मृति मंधाना- 2021
* इससे पहले जब 2018 में भी ये अवार्ड जीता था तो साथ में वन डे क्रिकेटर ऑफ द ईयर भी रही थीं।
स्मृति और रन बनाओ और भारत के लिए टाइटल जीतोहूं। एक असाधारण और मुश्किल साल में क्रिकेट खेली और उम्मीद है ये अवार्ड मुझे अपने खेल को और बेहतर बनाने और टीम इंडिया की कामयाबी में योगदान के लिए प्रेरित करेगा।’
स्मृति का पूरा ध्यान इस समय न्यूजीलैंड में आईसीसी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2022 जीतने पर है। वे जानती हैं कि अगर भारत ने वर्ल्ड कप जीतना है तो उन्हें इसमें ख़ास भूमिका निभानी होगी। वे भले ही टीम की कप्तान या उपकप्तान नहीं, पर टीम की टॉप बल्लेबाज हैं। कप्तान तो वे बन गई होतीं पर मिताली और हरमनप्रीत की टीम में मौजूदगी ने स्मृति के लिए मौके कम कर दिए।
अगर दूसरे देशों में पेशेवर टी 20 लीग को देखें या महिला क्रिकेटरों के लिए मार्किटिंग बाजार को- वे लिस्ट में टॉप नाम हैं। पिछले लगभग 3 -4 साल में उन्हें जो मशहूरी मिली है- उसका जवाब नहीं। हाँ, ये बात अलग है कि उनके परिवार के लिए इन स्कोर और अवार्ड के बावजूद कुछ नहीं बदला- ‘ठीक से खाना न खाने पर अभी भी मेरी माँ चिल्लाती है। मेरे पिता अब भी मुझसे कहते हैं-आखिरी तक क्यों नहीं खेला या आउट क्यों हो गई? मेरा भाई मेरी टांग खींचता रहता है। मुझे नहीं लगता कि वे कुछ अलग महसूस करते हैं। कुछ भी नहीं बदला है। मुझे पता है कि वे गर्व महसूस करते हैं क्योंकि कभी-कभी मेरी माँ कहती है- भगवान, मुझे नहीं पता कि मैंने तुम्हारे जैसी बेटी पाने के लिए क्या अच्छा किया होगा। मैं अपने पिता की आवाज में फर्क महसूस करती हूं जब मैं अच्छा स्कोर करने या भारत के लिए मैच जीतने के बाद उन्हें कॉल करती हूं- तो उनकी आवाज थोड़ी अलग लगती है। हैलो का अंदाज़ बदल जाता है- ये खुशी और गर्व का अंदाज़ होता है।’
जब भी कोई लगातार रन बनाए तो नज़र उसके बैट पर जरूर जाती है, स्मृति किस तरह का बैट प्रयोग करती हैं- ‘मेरा बैट 1140 ग्राम का है- न ज्यादा भारी, न ज्यादा हल्का। यह कहीं बीच में है। यह वास्तव में जेमी (1260 ग्राम) के बैट से तुलना में हल्का है। मुझे वजन बल्ले के मिडिल में होना पसंद है, नीचे नहीं क्योंकि मैं 60 प्रतिशत बैक-फुट प्लेयर हूं। मैं बैट के बीच में भार के साथ अपने मूवमेंट में ज्यादा बैलेंस महसूस करती हूं।’
स्मृति ने आगे बताया – ‘3-4 साल पहले तक मैं छोटे हैंडल वाले बैट का इस्तेमाल करती थी। उसके बाद, झूलन दी का बैट मुझे बड़ा पसंद आया और उनसे बैट मांग कर बैटिंग शुरू करने लगी। उनके बैट में लंबे हैंडल होते हैं इसलिए मैं अपनी जरूरत के हिसाब से हैंडल को छोटा कर देती थी लेकिन फिर किसी ने मुझे बताया कि इससे बैट का बैलेंस बिगड़ जाता है। इसलिए अब जब मैं बैट का आर्डर देती हूं, तो मेरा साफ़ बता देती हूँ कि मुझे झूलन दी की तरह एक बैट चाहिए। मैंने झूलन से मिले बैट से ढेरों रन बनाए हैं।’
स्मृति के लिए आयडल- कोई ख़ास नहीं। वे कहती हैं- ‘मैंने कभी किसी और जैसा बनने की कोशिश नहीं की। बहुत से लोगों को लगता है कि मैं गांगुली सर,की तरह बल्लेबाजी करती हूं लेकिन सच ये है कि मैंने उन्हें बल्लेबाजी करते भी नहीं देखा क्योंकि मैं 14-15 साल की उम्र तक टीवी पर क्रिकेट नहीं देखती थी। इसलिए ऐसा कभी नहीं था कि मैं गांगुली सर, संगकारा या मैथ्यू हेडन जैसा बनना चाहती थी। उनकी बल्लेबाजी के कुछ पहलू हैं जो मुझे आकर्षक लगे। मैं उन्हें अपने खेल में अपनाया लेकिन उनकी नकल नहीं की।’
अगर न्यूजीलैंड के क्रिकेटर स्कॉट स्टायरिस ने स्मृति मंधाना को महिला टीम की ‘विराट कोहली’ कहा तो कोई बात तो देखी होगी।
स्मृति और रन बनाओ और भारत के लिए टाइटल जीतो।
- चरनपाल सिंह सोबती