वर्ल्ड कप से ठीक पहले- न्यूजीलैंड टूर में हरमनप्रीत के पहले 4 मैच में स्कोर 12, 10, 10 और 13 रन। हर कोई यही पूछ रहा था- कहां गई बिग बैश लीग की फार्म जहां वे प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट थीं? क्या ये वही बल्लेबाज़ है जिसने 2017 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 171* की वह पारी खेली थी जिसे आज भी महिला वन डे में सबसे बेहतरीन पारी में से एक गिना जाता है। उस के बाद- अगली 27 पारियों में 27.26 औसत और 66.91 स्ट्राइक रेट से 627 रन बनाए। पिछले साल इंग्लैंड के टूर की शुरुआत के बाद से 6 पारियों में सर्वश्रेष्ठ स्कोर 19 था।
अगर ऐसे ही फार्म पर अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा मेन इन ब्लू टीम से निकाले जा सकते हैं तो महिला टीम इंडिया से हरमन क्यों नहीं? डायना एडुल्जी ने भी यही सवाल किया- अगर बैटिंग में अस्थिरता के लिए न्यूजीलैंड टूर की टीम से जेमिमा को निकाला जा सकता है तो वही पैमाना हरमन पर क्यों लागू नहीं किया जा सकता? नतीजा- न्यूजीलैंड में चौथे वन डे की टीम से हरमन को बाहर कर दिया। इससे मैच पर कोई फर्क नहीं पड़ा- एक और हार मेहमान टीम के हिस्से में आई। मिडिल आर्डर फिर से कमजोर कड़ी साबित हुआ। अगर टॉप बल्लेबाज़ रन नहीं बनाएंगी तो कौन रन बनाएगा?
जब एक ऐसी टॉप क्रिकेटर जिसने 3 टेस्ट के साथ 100+ वन डे और टी 20 खेले हों- रन न बनाए तो टीम पर असर आएगा ही। न्यूजीलैंड में वन डे में भारत की हार में हरमन के रन न बनाने का बहुत बड़ा योगदान रहा। मिडिल आर्डर को जरूरत में हरमन ने पांचवें और आख़िरी वन डे में वापसी की- 66 गेंद में 63 रन के साथ फॉर्म में वापसी और इसी के साथ वर्ल्ड कप के लिए भारत की उम्मीदों को नया टॉनिक मिल गया।
स्मृति मंधाना ने इस खूबसूरत पारी को बड़े नजदीक से देखा और मैच के बाद कहा- ‘मुझे लगता है कि यह पूरी टीम के लिए बड़ा जरूरी था और उसे फार्म में वापस आते और शॉट खेलते हुए देखना बड़ा अच्छा लग रहा था। जब उसने छक्का लगाया तो मन हो रहा उसे गले लगाने का।’ स्मृति ने हरमनप्रीत के साथ तीसरे विकेट के लिए 64 रन जोड़े। भारत को टूर की पहली जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
पिछले तीन टूर्नामेंट में से दो में, हरमनप्रीत ने कम से कम एक बड़ी पारी खेली है- 2017 में 171* और 2018 में टी 20 वर्ल्ड कप में पहला टी 20 इंटरनेशनल शतक और भारत ने सेमीफाइनल में जगह बनाई।अब इसी सिलसिले को जारी रखने का इंतजार है- वन डे वर्ल्ड कप में और हरमन सही फार्म में लौटने के लिए इससे बेहतर समय नहीं चुन सकती थी।
जब वे टी 20 इंटरनेशनल में भी ऐसे ही रन नहीं बना रही थीं तो यह लगा कि शायद कप्तानी का दबाव उनकी बैटिंग पर असर डाल रहा है। उस समय जानकारों की राय थी कि टीम को हरमन की एक टॉप बल्लेबाज़ के तौर पर ज्यादा जरूरत है और उन्हें कप्तानी से हटा दो। सेलेक्टर्स ने बहरहाल ऐसा नहीं किया।
ऐसा नहीं है कि हरमनप्रीत से पहले कोई बल्लेबाज़ ‘आउट ऑफ़ फार्म’ नहीं हुआ पर हरमन के मामले में सच ये है कि टीम की वे टॉप बल्लेबाज़ हैं- इसलिए ये महंगा सौदा बनता जा रहा
था। इंग्लैंड में झूलन गोस्वामी ने बिलकुल ठीक कहा था- बस हरमन के बैट से एक बड़े स्कोर का इंतज़ार है, उसके बाद वे पुराने रंग में खेलेंगी। वह स्कोर ही तो नहीं बन रहा था।
ये किसी से छिपा नहीं कि एक बार फार्म गंवाने के बाद वापसी आसान नहीं होती- ख़ास तौर पर तब, जब चारों और से मनोवैज्ञानिक दबाव बन रहा हो। बहरहाल टीम मैनेजमेंट ने इस सीनियर बल्लेबाज में पूरा विश्वास दिखाया। ये एक संयोग है कि ऐसा हो जाए तो अजीब सी गलतियां भी होने लगती हैं। इसका सबूत क्वीन्सटाउन में न्यूजीलैंड के विरुद्ध तीसरे वन डे के दौरान मिला जब वे अजीबोगरीब तरीके से रन आउट हुईं- सिर्फ 13 रन ही बना सकीं क्योंकि उनकी खराब फॉर्म जारी रही।
फ्रांसेस मैके द्वारा फेंके 28वें ओवर की चौथी गेंद- हरमनप्रीत ने गेंदबाज की तरफ स्ट्रोक खेला। मैके ने गेंद को पकड़ा और देखा कि हरमन लापरवाही में क्रीज से बाहर हैं। गेंद को वापस स्टंप्स पर फेंक दिया पर सबसे बड़ी गड़बड़ ये थी कि हरमन ने क्रीज में वापस आने के लिए वह फुर्ती दिखाई ही नहीं- जिसकी उसमय जरूरत थी। जब तक फुर्ती दिखाई- बहुत देर हो चुकी थी और विकेटकीपर केटी मार्टिन ने बेल्स उड़ा दीं।
अब उम्मीद करें कि 63 रन का स्कोर न सिर्फ हरमन को चर्चा में वापस लाएगा- वर्ल्ड कप की अन्य टीमों के लिए भी चेतावनी बनेगा।
- चरनपाल सिंह सोबती