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 कुछ ही दिनों में, भारतीय क्रिकेट में ऐसा बदलाव हुआ जिसके इतनी जल्दी होने की उम्मीद नहीं थी । सबसे पहले रवि शास्त्री-विराट कोहली टीम टूटी। उसके बाद विराट कोहली एक-एक टीम की कप्तान खोते चले गए- टेस्ट क्रिकेट में कप्तान की जिम्मेदारी छोड़ना सबसे बड़ा झटका था। झटका इसलिए कि कोई नाम ऐसा सामने नहीं जिसे बिना देरी, कप्तानी सौंप दें- ठीक वैसे जैसे धोनी के बाद कोहली को कप्तान बनाया।  इस तरह राहुल द्रविड़ का नए कोच के तौर पर आना, साथ में कई सवाल ले आया।  
सच ये है कि जिस विराट कोहली को रवि शास्त्री के बगल में बैठे देखने की आदत हो गई थी- वह अब  इतिहास का हिस्सा है। भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ना है। अब राहुल द्रविड़ के बगल में कौन बैठेगा? संयोग से जब ऑस्ट्रेलिया में मिली ऐतिहासिक जीत के एक साल पूरे होने पर, उन जीत को याद किया जा रहा था- उन जीत का कप्तान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा था। ये वह मुकाम है जिसका इंतज़ार नंबर 2 हमेशा करते हैं पर अब जब आजिंक्य रहाणे के लिए कामचलाऊ की जगह नियमित कप्तान बनने का मौका आया तो वे तो वास्तव में प्लेइंग इलेवन में जगह के लिए भी जूझ रहे हैं। ये उनका ही नहीं, भारतीय क्रिकेट का भी दुर्भाग्य है- इसका मतलब तो ये हुआ कि इतने सालों में किसी को भी सीधे विराट कोहली की जगह लेने के लिए तैयार नहीं किया। 
सिर्फ उन्होंने ही नहीं, चेतेश्वर पुजारा ने भी फॉर्म गंवाने के लिए अपने करियर के सबसे खराब दौर को चुना है। रहाणे/ पुजारा सही अंतरिम कप्तान होते। तो अब कौन बनेगा नया टेस्ट  कप्तान? श्रीलंका के विरुद्ध अगले महीने की घरेलू टेस्ट सीरीज के लिए नए कप्तान की जरूरत है। क्या सेलेक्टर काम चलाऊ इंतज़ाम करेंगे या भारतीय क्रिकेट को एक नए युग में ले जाने  के लिए उस नाम के साथ जाएंगे जिसे भविष्य की तैयारी कह सकते हैं। संक्षेप में विकल्प देखते हैं :
 1. रोहित शर्मा : भारत (जब भी कप्तानी का मौका मिला) और मुंबई इंडियंस के कप्तान के तौर पर बेहतरीन रिकॉर्ड। भले ही ये सब लिमिटेड ओवर क्रिकेट में हासिल किया पर मौजूदा हालात में उनसे बेहतर अंतरिम इंतज़ाम और कोई नहीं- अंतरिम इसलिए क्योंकि बहुत जल्दी 35 साल के होने वाले हैं। 2. केएल राहुल : युवा, आईपीएल में कप्तानी की है। अचानक ही टेस्ट क्रिकेट में भी पसंदीदा विकल्प बन गए लेकिन दक्षिण अफ्रीका टूर ने सब गड़बड़ कर दी- टेस्ट और वन डे दोनों में मिले मौके से निराश ही किया।  3. आर अश्विन : गेंदबाज के तौर पर सोचने वाला दिमाग है उनके पास पर आईपीएल कप्तान के तौर पर विवाद में ज्यादा रहे। अश्विन भारत के अब तक के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले  गेंदबाज हो सकते हैं लेकिन कप्तानी की बात करें तो ‘गेंदबाज’ होना उनके वोट कम करता है।  

  1. जसप्रीत बुमराह : खुद ही कह दिया कि कप्तान बनने के लिए तैयार हैं- क्या किसी और ने उनकी वकालत की? शायद पैट कमिंस को ऑस्ट्रेलिया ने जो मौका दिया, वह उनके लिए बोनस बना।  
  2. रिषभ पंत:  युवा, दिल्ली के कप्तान के तौर पर अच्छा रिकॉर्ड (आईपीएल और घरेलू क्रिकेट दोनों में) पर, बहुत से लोग, महसूस  करते हैं (बिना सबूत के) कि वह सोचने वाले क्रिकेटर नहीं हैं। क्या इसी दम पर उन्हें भूल जाएं?
    कोई और? क्या बस इन्हीं में से कोई एक नया कप्तान बनेगा? टॉप रणजी ट्रॉफी टीमों के कप्तानों के जल्द ही भारत के लिए खेलने की संभावना नहीं तो कप्तान कहाँ से बनेंगे? इंग्लैंड वाले बेहतर सोच के साथ काउंटी चैंपियनशिप जीतने वाले कप्तान को सीधे टेस्ट कप्तान बनाने का साहस रखते हैं, भारत के सेलेक्टर ऐसा नहीं करेंगे। उन्हें कप्तान बनाना उनके और टीम दोनों के साथ अन्याय होगा। 

श्रेयस अय्यर और हनुमा विहारी दोनों ने अपनी स्टेट टीम की कप्तानी की- ख़ास तौर पर अय्यर का अच्छा रिकॉर्ड है। आने वाले दिनों में यही दोनों, संभवतः पुजारा और रहाणे की जगह लेंगे। इसलिए ये भी सोच सकते हैं कि बीसीसीआई, हाल फिलहाल, 2023 डब्ल्यूटीसी राउंड तक रोहित शर्मा को टेस्ट कप्तान बना दे और उसके बाद अय्यर को। 

पिछले कुछ दिनों में कप्तानी के ग्राफ में केएल राहुल का नाम एकदम ऊपर आया- सबसे पहले उप-कप्तान और संयोग से न सिर्फ टेस्ट में, वन डे सीरीज में भी कप्तान बन गए। कितनी हैरानी की बात है कि दक्षिण अफ्रीका टूर पर जाने से पहले जिसने सिर्फ एक फर्स्ट क्लास मैच में कप्तानी की थी, वह टेस्ट में भारत का कप्तान बना। क्या कप्तान के तौर पर उस एक टेस्ट में, कोई और टेस्ट जुड़ेगा? उनका समर्थन करने वाले रोहित शर्मा का चोटों का लंबा इतिहास गिनाते हैं। भारत, इस कोविड के समय में, लंबे समय तक बीमार रहने वाले कप्तान को बर्दाश्त नहीं कर सकता। ये भी तय है कि अब जो भी कप्तान बने, बीसीसीआई उसे कोहली- शास्त्री जैसी प्रभावशाली टीम नहीं बनाने देगा।  
रोहित शर्मा को टेस्ट कप्तान न बनाने की एक और वजह ये भी हो सकती है कि उन्हें ‘टॉस्क’ दे दिया है- अब से  2023 खत्म होने, के बीच, भारत को टी 20 और वन डे वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद करना है। इसके अतिरिक्त वह इस अप्रैल में 35 साल के हो जाएंगे और अप्रैल 2024 तक 37 साल के। क्या इसके लिए तैयार हैं? ये समीकरण अपने आप सुई किसी युवा कप्तान की तरफ मोड़ता है- अब ये सेलेक्टर का नजरिया होगा कि अभी से भविष्य की तैयारी करनी हैं या काम चलाऊ इंतज़ाम के बाद, किसी तरह से मौजूदा दौर से बाहर निकल कर, बाद में आगे के बारे में सोचने की पॉलिसी पर चलना है?

  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “ये दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कि टेस्ट कप्तान के लिए विराट कोहली की जगह कोई ‘ऑटोमेटिक चॉइस’ नहीं ! ”
  1. बहुत बढीया कप्तान कोण चुने और किसक़ो चुने सरजी आपका अंदाज बहुत ही बेहद खास

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