खबर है कि पंजाब किंग्स जब 19 मई को सनराइजर्स के विरुद्ध खेलेंगे तो उनके पास प्लेइंग इलेवन के लिए कगिसो रबाडा, सैम कुरेन, जॉनी बेयरस्टो, लियाम लिविंगस्टोन, शिखर धवन और क्रिस वोक्स उपलब्ध नहीं होंगे। ऐसी स्थिति किसी भी टीम का संतुलन ख़राब कर सकती है। सोचिए कि अगर इस मैच का नतीजा उनके प्ले ऑफ में खेलने के सवाल से जुड़ा होता तो उनके कैंप से कितना शोर सुनाई देता। इन सभी 6 के न खेल पाने की वजह अलग-अलग जरूर है पर इन दिनों में कंट्री बनाम क्लब की बहस का शोर खूब सुनाई दे रहा है- ख़ास तौर पर इंग्लैंड के कई खिलाडियों के ग्रुप मैच पूरे होने से पहले ही, इंटरनेशनल ड्यूटी की दलील पर वापस इंग्लैंड लौट जाने की वजह से।
टी20 वर्ल्ड कप तो खेलना ही है- उससे पहले 22 मई से पाकिस्तान के विरुद्ध 4 टी20 इंटरनेशनल की सीरीज भी है जो एक तरह से उस टी20 वर्ल्ड कप की तैयारी का हिस्सा है। साथ में ईसीबी ने उससे पहले एक कैंप भी लगा लिया। नोट कीजिए- इंग्लिश क्रिकेट सीजन शुरू हुए एक महीने से ज्यादा हो रहा है और ये सभी इंग्लिश खिलाड़ी आईपीएल खेल रहे थे, अपनी-अपनी काउंटी के लिए नहीं।
इस पर आईपीएल में बड़ा शोर हो रहा है (नोट कीजिए- टीम की तरफ से नहीं, जो बाहर बैठे हैं उनकी तरफ से ज्यादा) क्योंकि जहां एक तरफ प्ले ऑफ में खेलने की मारा-मारी है, वहीं टीम रैंकिंग में नेट रन रेट का भी सवाल है ताकि नंबर तय करने में मदद मिले। एक ही आवाज है- आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने पर इन खिलाड़ियों पर पेनल्टी लगाओ। आज इंग्लैंड है तो कल को कोई और देश भी अपने खिलाड़ी वापस बुला सकता है।
- दलील है कि ऑक्शन से पहले, बीसीसीआई ने सभी बोर्ड से पूरे आईपीएल सीज़न के लिए उनके खिलाड़ियों के उपलब्ध होने की बात की थी- ये ध्यान में रखते हुए कि आईपीएल के फौरन बाद वर्ल्ड कप है।
- दावा है- उन बोर्ड से आश्वासन मिलने के बाद ही बीसीसीआई ने फ्रेंचाइजी को खिलाड़ियों के उपलब्ध होने की जानकारी दी।
- चूंकि फ्रेंचाइजी को पूरे सीजन के लिए खिलाड़ियों के उपलब्ध होने के बारे में बता दिया था- इसलिए अगर खिलाड़ी उस ‘वायदे’ को तोड़ते हैं तो फ्रेंचाइजी को न सिर्फ उनकी फीस से एक बड़ी रकम काटने की इजाजत हो, उनके बोर्ड को मिलने वाला ‘फीस का 10 प्रतिशत कमीशन’ भी कट हो जाए।
इन सब बातों में सही नजरिए की खुशबू है पर ध्यान दीजिए- न सिर्फ फ्रेंचाइजी चुप हैं, बीसीसीआई भी कुछ नहीं बोल रहा। इस एपिसोड में सबसे बड़ी पार्टी तो ये दोनों हैं और ये दोनों चुप हैं। जरूरत इस बात की है कि सबसे पहले तो उस डॉक्यूमेंट को देखें जिसके आधार पर बिड में खिलाड़ी खरीदने का सिलसिला शुरू होता है और उसमें साफ़ लिखा है कि
- भले ही खिलाड़ी आईपीएल खेलने आएगा पर उस पर पहला हक़ उस बोर्ड का रहेगा जो उसे आईपीएल खेलने का एनओसी दे रहा है। ईसीबी ने इसी अधिकार का प्रयोग किया
- जब भी खिलाड़ी ‘नेशनल ड्यूटी’ के लिए वापस बुलाया जाएगा- उसे रोकेंगे नहीं और इसे कॉन्ट्रैक्ट तोड़ना नहीं मानेंगे। अगर कॉन्ट्रैक्ट नहीं टूटा तो पेनल्टी कैसी? यही वजह है कि खुद फ्रेंचाइजी शोर नहीं कर रहे।
ये ठीक है कि ये मानकर फ्रेंचाइजी खिलाड़ी खरीदते हैं कि संतुलित और बेहतर टीम बने और आईपीएल जीत सकें। इसलिए आईपीएल के दौरान किसी भी स्थिति में, किसी भी खिलाड़ी को खोना टीम का संतुलन खराब कर देता है। ये नेशनल ड्यूटी वाला मामला सिर्फ आईपीएल पर लागू नहीं है- हर पेशेवर कॉन्ट्रैक्ट पर लागू है। एक उदाहरण- अगर आईपीएल के फ़ौरन बाद भारत कोई टेस्ट सीरीज खेलता और उसमें चेतश्वर पुजारा को चुनते तो क्या पूरे सीजन के कॉन्ट्रैक्ट के बावजूद पुजारा टीम इंडिया में खेलने के लिए नहीं लौटते? वे इस तरह से इससे पहले भी लौटते रहे हैं।
आईपीएल के बीच से भी, इससे पहले भी खिलाड़ी नेशनल ड्यूटी के लिए लौटते रहे हैं। इंग्लैंड में सीरीज के दौरान टीम में न होने के बावजूद मदन लाल को कॉल किया गया तो उनके क्लब ने उन्हें नेशनल ड्यूटी से नहीं रोका और रिलीज किया। यही मदन लाल उस टेस्ट में ट्रंप कार्ड बने। फारूख इंजीनियर भी ऐसे ही खेलते थे।
इस टी20 वर्ल्ड कप की तैयारी का आईपीएल से टकराव है- इंग्लिश क्रिकेट सीजन का तो सीधे वर्ल्ड कप से टकराव है। कई खिलाड़ी जो काउंटी क्रिकेट में खेल रहे हैं और अपने-अपने देश की वर्ल्ड कप टीम में चुने गए- वे लौट रहे हैं। काउंटी क्लब शोर नहीं कर रहे। नोट कीजिए- कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने खुद काउंटी क्लब को बता दिया कि वे वर्ल्ड कप में खेलने की तुलना में अपने काउंटी कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करेंगे (उदाहरण- नीदरलैंड के दो टॉप खिलाड़ी कॉलिन एकरमैन और रूलोफ़ वैन डेर मेरवे) और ये अपने देश की टीम के लिए उपलब्ध नहीं थे और सेलेक्टर को टीम चुनते हुए इस बात की जानकारी थी और उनके बिना टीम चुनी।
क्या आईपीएल की इस गफलत में दोष सिर्फ इन विदेशी खिलाड़ी और उनके बोर्ड का है? खुद भारत में जिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर बीसीसीआई का नया कॉन्स्टीट्यूशन लिखा- उसमें साफ़ लिखा है कि बीसीसीआई दो इवेंट के बीच कम से कम दो हफ्ते का अंतर रखेगा। ये बात विदेशी खिलाड़ियों के संदर्भ में नहीं, अपने खिलाड़ियों के प्रति हमदर्दी में लिखी गई- वे भी इंसान हैं, उनका परिवार है और उन्हें भी आराम की जरूरत है। क्या आईपीएल 2024 के प्रोग्राम में बीसीसीआई ने इसे ध्यान में रखा? और देखिए-
- दिन कम थे तो आईपीएल का शेड्यूल बनाने में कुछ समझदारी दिखा सकते थे। पूरे सीज़न में जो शनिवार आए उनमें से सिर्फ 2 पर डबल हेडर खेले। अगर हर शनिवार डबल हेडर खेलते तो आईपीएल, इसी प्रोग्राम में जल्दी खत्म हो जाता।
- शेड्यूल बनाते हुए बीसीसीआई को पता था कि आईपीएल के 5 दिन बाद वर्ल्ड कप है इसलिए इस स्थिति में, इस साल नई संरचना में आईपीएल खेल सकते थे। एक एक्सपर्ट ने सुझाव दिया- 10 टीम के 5-5 के दो ग्रुप, हर ग्रुप में 20 मैच (एक होम और एक अवे) यानि कि लीग राउंड में 40 मैच। इसके बाद सुपर 6 और उसके बाद वैसा ही फाइनल राउंड जैसा अब खेलते हैं। ठीक है इससे मैच कुछ कम हो जाते और ब्रॉडकास्टर के साथ कॉन्ट्रैक्ट पूरा न होता (उसके लिए इस साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट की रकम कम हो जाती) पर आईपीएल डेढ़ महीने में पूरा हो जाता और हर खिलाड़ी को टूर्नामेंट से पहले आराम मिलता।
- वर्ल्ड कप से ठीक पहले, एक लंबा आईपीएल कई तरह की मुश्किल ला रहा है और सबसे पहले बीसीसीआई को इसे महसूस करना चाहिए था।
इरफान पठान ने कह तो दिया सोशल मीडिया पर कि विदेशी खिलाड़ी पूरे सीज़न के लिए उपलब्ध रहें या न आएं! ये सलाह वे टीम मालिकों को क्यों नहीं देते- विदेशी खिलाड़ी न खरीदो और ज्यादा से ज्यादा भारतीय खिलाड़ियों पर भरोसा करो- ठीक वैसे ही जैसे इस सीजन में मुंबई इंडियंस ने किया और एक मैच में तो 10 भारतीय खिलाड़ी भी इस्तेमाल किए। विदेशी टेलेंट की जरूरत है तो उनकी नेशनल ड्यूटी का जोखिम तो उठाना पड़ेगा। चैंपियंस लीग को कैसे भूल जाएं और तब इसी पैसे के लालच में विदेशी खिलाड़ी और उनके क्लब, अपने खिलाड़ी को, अपनी टीम में शामिल न कर, आईपीएल टीम के लिए रिलीज कर रहे थे क्योंकि उसमें खिलाड़ी और क्लब दोनों पैसा कमा रहे थे। तब भारत में किसी ने उस खिलाड़ी के अपने देश की टीम के साथ ‘लॉयल्टी’ तोड़ने की आलोचना नहीं की थी।
- चरनपाल सिंह सोबती