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ख़ास बात ये है कि अन्य टीम के उतार-चढ़ाव के बीच, पूरे सीजन जिस टीम के चैंपियन बनने की सबसे ज्यादा चर्चा रही- वह केकेआर ही आखिर में चैंपियन बनी। 57 गेंद बची रहते हुए, सफल रन-चेज़ के बाद जीत उनके प्रभुत्व का साफ़ सबूत है- आईपीएल ही नहीं, फ्रेंचाइजी क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में, बची गेंद की गिनती के हिसाब से, ये सबसे बड़ी जीत है (पिछला रिकॉर्ड : 43 गेंद, 2016 में जब केरेबियन प्रेमियर लीग के फाइनल में गुयाना अमेज़ॅन वारियर्स ने जमैका तल्लावाह को हराया था)। ऐसी क्या ख़ास वजह रही केकेआर के शुरू से आखिर तक प्रभावशाली क्रिकेट खेलने की- न सिर्फ सबसे पहले प्ले ऑफ में पहुंचे, फाइनल में भी पहुंचे और हर चर्चा में चैंपियन थे।

प्रभुत्व की बात करें तो इससे बेहतर रिकॉर्ड और क्या  होगा कि 12 ग्रुप मैच में से 9 मैच में जीत मिली (बारिश में 2 मैच में खराब) जिससे 20 पॉइंट उनके अकाउंट में थे। नेट रन रेट +1.428 जो आईपीएल में ग्रुप राउंड में आज तक का सबसे बेहतर है। उनके 5 गेंदबाज ने 15+ और 6 ने 11+ विकेट लिए। चेज करते हुए कोई मैच न हारे और ऐसे किसी मैच में आंद्रे रसेल के बैटिंग करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। ऐसा प्रभुत्व तो किसी भी सीजन में सीएसके और एमआई का भी नहीं रहा। 
बल्लेबाजों के सीजन में भी उनकी गेंदबाजी एक यूनिट के तौर पर कैसी रही इसका सबूत ये कि सीज़न में दूसरी टीम को 6 बार आउट किया जबकि बाकी टीम ने कुल मिलाकर ऐसा सिर्फ 11 बार किया। ये गिनती रिकॉर्ड है। कैसी अजीब बात है उस सीज़न में आईपीएल फाइनल का सबसे कम स्कोर बना जिसमें इतने सारे बड़े स्कोर देखे गए और ज्यादातर उसी टीम ने बनाए जिसने फाइनल में कम स्कोर बनाने पर हार मिली।

केकेआर के जिन 6 गेंदबाज ने सीज़न में कम से कम 10 विकेट लिए- वही पूरे सीजन में ज्यादातर मैच में खेले। हर एक का अलग रोल था- मिचेल स्टार्क और वैभव अरोड़ा नई गेंद से अटैक, हर्षित राणा और रसेल डैथ ओवर में और नरेन और वरुण चक्रवर्ती बीच के ओवरों में कंट्रोल। गेंदबाजी यूनिट की औसत 22.9 और स्ट्राइक रेट 14.7 सीजन में बेस्ट।

इस गेंदबाजी को कमाल की बल्लेबाजी ने सपोर्ट किया। एक आईपीएल सीज़न में सबसे बेहतर रन-रेट 10.70 दर्ज किया, बिना किसी हंगामे के- ऐसा नहीं कि कभी चमके और कभी बिलकुल फ्लॉप। एक आईपीएल सीज़न में अपने सभी रन चेज वाली जीत रिकॉर्ड करने वाली सिर्फ दूसरी टीम बने (इससे पहले : 2021 में सीएसके) जो स्थिरता का सबूत है।

आईपीएल 2022 और 2023 में 7-7 ओपनर का इस्तेमाल किया जबकि इस बार पहले 12 मैच में सिर्फ सुनील नरेन और फिल साल्ट और जब सॉल्ट इंग्लैंड लौट गए तो रहमानुल्लाह गुरबाज़ को लाए। नरेन को ओपनर बनाना एक मास्टर स्ट्रोक रहा। नीलामी में साल्ट को किसी ने साइन नहीं किया था- केकेआर उन्हें जेसन रॉय की जगह लाए और उसने 182 के स्ट्राइक रेट से 435 रन बना दिए। सीजन में मिलकर सबसे बेहतर बैट औसत 34 और सबसे बेहतर स्ट्राइक रेट 178.4 दर्ज किया। 

सभी थिंक टैंक और सपोर्ट स्टाफ के रोल की बात कर रहे हैं। गौतम गंभीर और चंदू पंडित का नाम ले रहे हैं पर कप्तान श्रेयस अय्यर और असिस्टेंट कोच अभिषेक नैय्यर का रोल भी कम न था- कमिंस जैसे सीजनल कप्तान को 3 मैच में मात देना कोई छोटी बात नहीं। सीजन में कई फैसले जो बोर्ड पर लिए- ग्राउंड में हिट रहे। कोच चंद्रकांत पंडित अब 4 टीम के लिए ट्रॉफी जीत चुके हैं- रणजी ट्रॉफी मुंबई (2003, 2004, 2016), विदर्भ (2018, 2019), मध्य प्रदेश (2022) और आईपीएल कोलकाता नाइट राइडर्स (2024)। गंभीर अब 2007 और 2011 में वर्ल्ड कप के साथ कप्तान के तौर पर दो आईपीएल टाइटल और मेंटर के तौर पर एक टाइटल (सभी केकेआर के लिए)।

टीम में लचीलापन था जो वास्तव में बड़े काम आया। सीज़न में नंबर 3 पर सिर्फ 3 खिलाड़ी इस्तेमाल किए- ज्यादातर वेंकटेश या अंगकृष रघुवंशी। श्रेयस अक्सर नंबर 4 पर लेकिन नंबर 5 पर भी खेले जहां वेंकटेश और रिंकू सिंह का भी इस्तेमाल हुआ जबकि नंबर 6 पर आमतौर पर रिंकू या रसेल और नंबर 7 पर रमनदीप,रिंकू और वेंकटेश खेले। ये पैटर्न क्रीज पर खब्बू और दाएं हाथ के बल्लेबाज की जोड़ी बनाने  की कोशिश में बदलता रहा। पेस-हिटर और स्पिन-हिटर सब थे- रमनदीप, रसेल, साल्ट, नरेन, वेंकटेश, रघुवंशी और रिंकू सभी ने इस सीज़न में पेस पर 150+ स्ट्राइक रेट से रन बनाए जबकि नरेन और श्रेयस स्पिन पर हावी रहे। रसेल, साल्ट और रमनदीप भी अपने रोल में खूब चले।

आज भी ये सच है कि ऑलराउंडर टीम की कामयाबी में ख़ास भूमिका निभाते हैं। केकेआर के पास दो वर्ल्ड क्लास वेस्टइंडीज ऑलराउंडर हैं- भाग्यशाली हैं कि उनके पास सालों से नरेन और आंद्रे रसेल हैं। कौन सी और टीम ऐसे खिलाड़ी के साथ खेली जिसने रन नहीं दिए और खुद टूर्नामेंट में तबाही वाले ओपनर में से एक रहे। रसेल लीग के सबसे खतरनाक और अनुभवी फिनिशर में से रहे जो मिडिल और डेथ में एकदम गेम-चेंजर हैं। नरेन और रसेल की बदौलत ही ये टीम वास्तव में 8 बल्लेबाज और 6 गेंदबाज के साथ खेली और अगर स्कोर 57-5 हो गया (वानखेड़े में मुंबई इंडियंस के विरुद्ध) तो गेंदबाजी छेड़े बिना 9वें बल्लेबाज को बेंच से बुला लिया।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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