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रणजी ट्रॉफी के इस सीजन के पहले राउंड में बना एक ख़ास रिकॉर्ड लगभग नजर अंदाज हो गया। तमिलनाडु के जुड़वां भाइयों बाबा अपराजित और बाबा इंद्रजीत ने छत्तीसगढ़ के विरुद्ध एक ही पारी में  शतक बनाया- ये अनोखा रिकॉर्ड इसलिए क्योंकि एक ही टीम के लिए, एक ही फर्स्ट क्लास मैच में शतक बनाने वाले पहले भारतीय जुड़वा का सेट बन गए।
अपराजित का 10 वां फर्स्ट क्लास शतक- स्कोर किया 166 रन। इंद्रजीत का 11वां फर्स्ट क्लास शतक- स्कोर किया 127 रन। साथ में तीसरे विकेट की पार्टनरशिप में 207 रन।  वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि जब इंद्रजीत और अपराजित ने एक ही मैच में शतक बनाए- इससे पहले एक बार लेकिन फर्क ये कि तब दोनों ने शतक अलग-अलग टीम के लिए खेलते हुए बनाए। इंद्रजीत इंडिया ग्रीन और अपराजित इंडिया रेड के लिए खेल रहे थे तब 2018 में दलीप ट्रॉफी में। इसलिए इस बार का रिकॉर्ड कुछ अलग था।  
बाबा इंद्रजीत : 2012 में अंडर 19 वर्ल्ड कप विजेता टीम में थे। इस सीजन में दिल्ली के विरुद्ध इससे पिछले मैच में भी शतक (117) बनाया था और झारखंड के विरुद्ध अगले मैच की पहली पारी में भी शतक (100) बना दिया- इस तरह लगातार तीन पारी में शतक बनाए। लगातार 3 शतक बनाने वाले तमिलनाडु के चौथे खिलाड़ी- अन्य तीन : रॉबिन सिंह, एस बद्रीनाथ और मुरली विजय। वे किस तरह की फार्म में हैं- इसका अंदाजा उनके लिस्ट ए और फर्स्ट क्लास क्रिकेट के दिसंबर 2021 से शुरू लगातार स्कोर से हो जाता है- 51*,64, 4, 0, 31, 50, 80, 117, 127,100 और 52 रन। इसके बावजूद टीम इंडिया के सेलेक्टर्स की दावेदारों की लिस्ट में उनका कहीं जिक्र भी नहीं है।  
अभी तो किस्मत अच्छी है कि इंद्रजीत को कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ अपना पहला आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट मिल गया- विकेटकीपिंग विकल्प के तौर पर जबकि सच में वे विकेटकीपिंग को हाल ही में कुछ गंभीरता से लेने लगे हैं। सैम बिलिंग्स और शेल्डन जैक्सन के बाद फ्रैंचाइज़ी के लिए तीसरा विकल्प होंगे ।
दलीप ट्रॉफी में शुरुआत पर दोहरा शतक बनाया- 280 गेंदों में 200 रन और  आखिरी विकेट के लिए 178 रन जोड़े विजय गोहली के साथ।    

2016 की शुरुआत से देखें तो इंद्रजीत ने 34 फर्स्ट क्लास मैचों में 66.68 की औसत से 2667 रन बनाए हैं। इस दौर में कम से कम 25 फर्स्ट क्लास मैच खेलने वालों में, किसी भी भारतीय बल्लेबाज का औसत इंद्रजीत से बेहतर नहीं। विश्व स्तर पर, अफगानिस्तान के बहिर शाह, न्यूजीलैंड के डेवोन कॉनवे और दक्षिण अफ्रीका के ओबस पीनार का रिकॉर्ड ही उनसे बेहतर है।  
मजे की बात ये है कि मौजूदा सीजन के लिए तमिलनाडु ने उन्हें सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी टी 20 की टीम से निकाल दिया था। 50 ओवरों की विजय हजारे ट्रॉफी में वापसी की और फाइनल में तमिलनाडु के खेलने में ख़ास भूमिका निभाई- सेमीफाइनल और फाइनल में 50 और 80 की पारियों सहित चार स्कोर 50 वाले  बनाए- कुल 314 रन। सीज़न की सफलता का श्रेय अपनी  ऑफ-सीज़न की मेहनत को देते हैं।
 बाबा अपराजित : रणजी में तमिलनाडु जैसी मजबूत टीम के लिए खेलना ही अपने आप में उपलब्धि है और वह भी सिर्फ 17 साल की उम्र में। अगले ही साल भारत की उस अंडर-19 टीम में थे जिसने उन्मुक्त चंद की कप्तानी में वर्ल्ड कप जीता था। उस टूर्नामेंट में अपराजित स्टार परफॉर्मर थे- पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के विरुद्ध क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में दो बैक-टू-बैक मैन ऑफ द मैच थे। टूर्नामेंट के फौरन बाद, उन्हें एमएस धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स ने चुन लिया। 
तब भी, आज, दोनों भाई अपने करियर में एक ही मुकाम पर खड़े हैं। अपराजित को सीएसके ने चार साल में एक भी मैच नहीं खिलाया। इससे भी बुरी बात ये कि ये टीम सस्पेंड हुई तो उन्हें राइजिंग पुणे सुपरजायंट ने साइन किया (वही टीम जिसके कप्तान एमएस धोनी और कोच स्टीफन फ्लेमिंग थे)। दो सालों में वहां भी कोई मैच नहीं खेल पाए। क्रिकेटर अगर पैसा चाहते हैं तो खेलने का मौका भी- करियर तो खेलने से ही आगे बढ़ेगा।  
इसलिए ये सवाल जरूर उठेगा कि इन दोनों में से किसी को भी अभी तक भारत के लिए खेलने का मौका क्यों नहीं दिया गया? पिछले साल जब अपराजित ने तमिलनाडु प्रीमियर लीग में 118 रन बनाए थे, तब डीन जोन्स ने कहा था- ‘भारतीय सेलेक्टर्स और आईपीएल स्काउट्स की नज़र इस क्रिकेटर पर है। मैंने टी 20 क्रिकेट में अब तक की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक देखी है।’
अपराजित की टीम को जीत के लिए 166 रन की जरूरत थी- खुद 118 रन बना दिए ! फिर भी, कुछ भी नहीं बदला है। इनमें से किसी के रिकॉर्ड में कोई आईपीएल मैच नहीं है। 27 साल की उम्र, समय कम होता जा रहा है पर उम्मीद कायम- देर-सबेर मौका मिलेगा। अमोल मजूमदार जैसे घरेलू क्रिकेट में ढेरों रन बनाने के बावजूद सही मौके की तलाश करते रहे- कहीं इन  के साथ भी ऐसा ही न हो।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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