क्रिकेट के बाजार की दो ख़ास ख़बरों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। एक तरफ आईपीएल मीडिया अधिकार की महंगी बिक्री का जश्न मनाया जा रहा है और उसी से प्रेरित हो आईसीसी ने अपने नए मीडिया अधिकार की बिक्री का राउंड शुरू कर दिया है तो दूसरी तरफ जिन दो खबर की यहां चर्चा कर रहे हैं- वे चेतावनी हैं। महंगी हो रही क्रिकेट क्या कर सकती है?
पहली खबर ये कि टीम इंडिया की जर्सी के स्पांसर बायजू ने अपनी तीनों कंपनी- बायजू, व्हाइटहैट जूनियर और टॉपर के 2,500 से ज्यादा स्टाफ की छंटनी कर दी है। इसमें लगभग हर डिपार्टमेंट का स्टाफ शामिल है। इसका मतलब बाजार में ये निकाला जा रहा है कि दुनिया की सबसे कीमती एडटेक कंपनी में सब कुछ ठीक नहीं है। बायजूज, का मौजूदा कीमत का आंकलन 22 बिलियन डॉलर है। इतनी बड़ी कंपनी और स्टाफ की छंटनी ! यहां किसी बिज़नेस अखबार की तरह से रिपोर्ट लिखने का कोई इरादा नहीं इसलिए इस खबर को सीधे क्रिकेट से जोड़ते हैं।
बायजू टीम इंडिया के सबसे बड़े स्पांसर में से एक हैं। इस साल मार्च में पिछला कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म हुआ था तो बीसीसीआई के साथ लगभग 55 मिलियन डॉलर का नया कॉन्ट्रैक्ट किया- पिछली दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध सीरीज इस नए कॉन्ट्रैक्ट में पहली थी। ये कॉन्ट्रैक्ट 18 महीने का है। 55 मिलियन डॉलर का ये कॉन्ट्रैक्ट कोई छोटी रकम नहीं है। बायजू का आईसीसी के साथ भी स्पांसर का कॉन्ट्रैक्ट है जो 2023 तक चलेगा। इतना ही नहीं, ये एडटेक स्टार्टअप तो फीफा विश्व कप कतर 2022 के भी एक स्पांसर में से एक हैं।
इस एडटेक दिग्गज ने 2019 में ओप्पो से टीम इंडिया के स्पांसर अधिकार लिए थे। ओप्पो ने अपने कॉन्ट्रैक्ट के बचे हिस्से को बेच दिया था। बायजू के नक्शेकदम पर चलते हुए आईपीएल में क्रिकेट टीमों को प्रायोजित करने वाले स्टार्ट-अप की गिनती एकदम बढ़ी है। एक तरफ आईपीएल के नए मीडिया अधिकार की रिकॉर्ड कीमत पर बिक्री तो दूसरी तरफ बायजू में ये छंटनी- क्या तालमेल है दोनों खबर में? चेतावनी है ये क्योंकि बाजार में ये माना जा रहा है कि बायजू का क्रिकेट पर अपनी ‘चादर से ज्यादा’ पैसा खर्च करना उन्हें संकट में ले आया है और स्टाफ उसकी कीमत चुका रहा है।
संयोग से जबकि पूरी दुनिया कोविड के घटते असर से खुश है- बायजू इसी से परेशानी में है। स्कूलों और कॉलेजों के खुलने और महामारी के घटते प्रभाव के साथ, बायजू सेंटर में पढ़ने वालों की गिनती में बड़ी तेज गिरावट देखी जा रही है। इससे आने वाली फीस में जबरदस्त गिरावट और नतीजा पैसे का संकट। स्टाफ को सेलरी नहीं दे पा रहे- टीम इंडिया के एक मैच के लिए 5 करोड़ रुपये दे रहे हैं। मेन इन ब्लू के जून 2022 से दिसंबर 2023 तक लगभग 139 मैच खेलने की उम्मीद है। वे बीसीसीआई को दो टीम वाली सीरीज के लिए प्रति मैच 5 करोड़ रुपये और आईसीसी टूर्नामेंट के लिए प्रति मैच 1.7 करोड़ रुपये दे रहे हैं।
दूसरी खबर ऑस्ट्रेलिया से। वहां बोर्ड के ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर, 450 मिलियन डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट के साथ चैनल 7 हैं। गड़बड़ ये हुई कि चैनल 7 ने अचानक ही क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को कोर्ट में घसीट लिया और अपना कॉन्ट्रैक्ट बीच में ही तोड़ने की कानूनी मंजूरी मांगी है। विवाद तो 2020 से चल रहा है पर ये नहीं सोचा गया था कि वे अचानक ही मामले को कोर्ट में घसीट देंगे। आरोप में तो यहां तक लिखा गया कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया बेहद निकम्मी, गैर-पेशेवर और घटिया एडमिनिस्ट्रेशन वाली एसोसिएशन है।
आरोप की लिस्ट बड़ी लंबी है और सीधे आईपीएल की कामयाबी से तुलना करते हुए कहा गया कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया वाले, बिग बैश लीग को आईपीएल की तरह से कामयाब बनाने में बुरी तरह नाक़ामयाब रहे। हर बड़ा स्टार आईपीएल में खेलना चाहता है- कोई बड़ा स्टार बिग बैश खेलने नहीं आता। इससे बिग बैश को कोई खास लोकप्रियता नहीं मिली।
एक बड़ी मजेदार घटना में स्टीव स्मिथ का जिक्र है। पिछले सीज़न के बिग बैश के दौरान स्मिथ टेस्ट ड्यूटी पर थे- इसलिए सिडनी सिक्सर्स के लिए उन्हें खेलने से रोक दिया था। संयोग से फाइनल से पहले वे फुर्सत में थे- तब भी क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें सिडनी सिक्सर्स के लिए खेलने नहीं दिया। दलील थी कि जो खिलाड़ी पूल में हैं सिर्फ वही खेल सकते हैं। चैनल 7 का मानना है कि स्मिथ के खेलने से फाइनल की ‘वेल्यू’ बढ़ती और सब को फायदा होता। ऐसे सख्त नियम किस काम के? महंगी कीमत पर कॉन्ट्रैक्ट खरीदने वाले बदले में हर वह मौका चाहते हैं जो उन्हें पैसा वसूल करने दे। वे गलत नहीं हैं।
– चरनपाल सिंह सोबती