fbpx


पिछले कुछ महीनों में ऑस्ट्रेलिया ने टी 20 वर्ल्ड कप और एशेज सीरीज जीती- ऐसा कोई रिकॉर्ड टीम इंडिया बनाती तो खिलाड़ियों के साथ कोच की भी वाह-वाह होती। बड़े चैक कोच को भी मिलते इनाम में। आगे भी कोच बने रहना पक्का हो जाता। ऑस्ट्रेलिया ने कोच जस्टिन लैंगर को बाहर कर दिया।
ठीक है लैंगर ने खुद कोच की जिम्मेदारी को छोड़ा पर हालात ही ऐसे हो गए थे कि अपने सम्मान को बचाने के लिए उनके सामने कोई रास्ता ही नहीं बचा था। लेंगर पकिस्तान टूर से पहले क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया से अपने भविष्य पर साफ़ नजरिया जानना चाहते थे- आखिरकार इस साल जून में उनका कॉन्ट्रेक्ट खत्म होना था। बदले में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें 6 महीने और कॉन्ट्रेक्ट बढ़ाने की लॉलीपॉप दी। ये हुई एक कामयाब कोच की दुर्दशा। 
भारत में सब ने अनिल कुंबले के बाहर होने को याद किया- वह प्लेयर पावर का नतीजा था और ये भी प्लेयर पावर का। कमजोर बोर्ड चुपचाप, कठपुतली बनकर तमाशा देखते रहे। हैरानी इस बात की है कि जिस ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट को सही प्रोफेशनल अंदाज में चलाने के लिए तारीफ़ होती हैं- वहां ऐसा हुआ। पुराने टेस्ट खिलाड़ियों में अलग दंगल चल रहा है- कोई लैंगर के समर्थन में तो ढेरों मौजूदा खिलाड़ियों के समर्थन में। मौजूदा प्लेइंग ग्रुप में से किसी ने सार्वजनिक रूप से लैंगर का समर्थन नहीं किया- सच तो ये है कि जो हुआ वे उसके आर्किटेक्ट हैं।  
खबर जरूर अचानक आई पर आग कई महीने से सुलग रही थी। पिछले साल, भारत से हैरान करने वाली हार के बाद, मीडिया में ऐसी खबरें लीक हुई थीं कि लेंगर बड़े सख्त और भावुक हैं। खिलाड़ी कहने लगे कि लेंगर की स्कीम और जिद्द हार के के लिए बहुत कुछ जिम्मेदार है। इन रिपोर्ट के सामने आने के बाद, मीटिंग हुई, लैंगर पर आरोप लगे और लेंगर को कहना पड़ा कि सख्ती कम करेंगे, अपना तरीका बदलेंगे। उन्होंने ऐसा किया या नहीं, यह मायने नहीं रखता, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने पहली बार टी 20 वर्ल्ड कप जीता और एशेज में इंग्लैंड को हरा दिया। 
जब भारत से हार के बाद बगावत हुई थी तो कमिंस उन तीन खिलाड़ियों में से एक थे (अन्य दो : तब टेस्ट कप्तान टिम पेन और वाइट बॉल कप्तान आरोन फिंच) जिन्होंने लैंगर और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया से मीटिंग में हिस्सा लिया था। उसके बाद लैंगर ने कुछ ड्यूटी अपने असिस्टेंट को दीं तो सीनियर खिलाड़ियों को उनकी ‘पावर’  देने के लिए भी सहमत हुए।
 कमिंस ने टेस्ट कप्तान के रूप में पेन की जगह ली। पेन नजदीक थे लैंगर के पर कमिंस को वे बिना मांगे मिले। आज हालात कैसे हैं इसका अंदाजा इयान चैपल की बात से लगाया जा सकता है- वे कहते हैं कि कप्तान बनते हुए, कमिंस को कोच कौन है- इस बारे में अपनी बात रखनी चाहिए थी। कप्तान को वह कोच मिलना चाहिए जिसके साथ वह अच्छी तरह से काम कर सकते हैं।

प्लेयर पावर बुरी बात नहीं पर सुविधाओं, बुनियादी ढांचे और टीम की बेहतरी के मुद्दे पर न कि ये तय करो कि कोच कौन होना चाहिए? सुनील गावस्कर ने लिखा- ‘हम में से कितने लोगों को स्कूल में हर टीचर या कॉलेज में प्रोफेसर पसंद थे? क्या कभी प्रिंसिपल के पास यह कहने गए थे कि वह उन्हें बर्खास्त कर दें?’ 
और मजेदार नजारा देखिए। एशेज में हार के बाद, इंग्लिश क्रिकेट में मैनेजिंग डायरेक्टर एशले जाइल्स, कोच क्रिस सिल्वरवुड और असिस्टेंट कोच ग्राहम थोरपे की छुट्टी हो गई। इंग्लैंड के कोच की छुट्टी हुई बहुत नर्म और बारीकी न समझने के लिए, लैंगर की छुट्टी हुई सख्त और अनुशासन चाहने के लिए। 
इंग्लैंड में एक सुर में आवाज है कि टीम को कोई कड़क कोच चाहिए। कौन है ऐसा? जस्टिन लैंगर- और कौन। जस्टिन लैंगर अब आजाद हैं। जो रूट को भी उनके बगल में एक दमदार कोच की जरूरत है। गैरी कर्स्टन भी उम्मीदवार होंगे लेकिन लैंगर एशेज विजेता हैं, टी 20 वर्ल्ड कप विजेता हैं और ऑस्ट्रेलिया में खेलने के बारे में सब कुछ जानते हैं। जीतने के लिए कभी-कभी सख्त होना पड़ता है। इंग्लैंड के कोच, एशेज सीरीज में हार के बाद भी इंग्लिश टीम को खुले आम शराब पीने से नहीं रोक पाए- इतनी कि पुलिस बुलानी पड़ी। जस्टिन लैंगर को 2018 बॉल टेंपरिंग कांड के बाद ऑस्ट्रेलिया ने कोच बनाया था। वे टीम की प्रतिष्ठा वापस लाए, ऑस्ट्रेलियाई जनता का विश्वास वापस दिलाया और निराशाजनक प्रदर्शन की  स्ट्रिंग को जीत में बदल दिया। टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 पर पहुंचे और लैंगर ने इस्तीफा दे दिया।
वैसे इंग्लैंड के अगले नियमित कोच की बात आने पर सुनील गावस्कर ने एक दावेदार के नाम का सुझाव दिया है- सच ये कि इसने एक नई चर्चा को शुरू कर दिया है। वे कहते हैं- क्यों न इंग्लैंड रवि शास्त्री को अपना कोच बनाने के बारे में सोचे? 

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *