fbpx

सेलेक्टर्स ने जो 4 क्रिकेटर नेट्स के लिए विराट कोहली की टीम के साथ भेजे, उनमें से एक नाम अर्जन नागवासवाला है। अगर आप यह पूछते हैं कि ये कौन सा क्रिकेटर है तो आप गलत नहीं हैं। ये इंग्लैंड टूर अर्जन नागवासवाला के क्रिकेट करियर को कहाँ ले जाएगा ये तो नहीं मालूम पर इतना तय है कि पारसी क्रिकेटर की चर्चा उनकी बदौलत फिर से जुबान पर आ गई।

विकेटकीपर फारुख इंजीनियर ने भारत के लिए अपना आख़िरी टेस्ट 1975 में खेला था जबकि डायना एडुल्जी का महिला टीम में आखिरी मैच जुलाई 1993 में था। उसके बाद से अब पहली बार किसी पारसी क्रिकेटर का नाम टीम इंडिया की चर्चा में आया है। सच तो ये है कि ये एक सवाल था कि क्यों कोई पारसी क्रिकेटर टीम की चर्चा में इतने साल आए ही नहीं या क्यों पारसी क्रिकेटरों ने अच्छी क्रिकेट खेलना बंद कर दिया?

अर्जन नागवासवाला का तब जन्म भी नहीं हुआ था जब फारुख इंजीनियर ने 1975 में अपना आख़िरी टेस्ट खेला था। आखिरकार कुछ तो ऐसा किया होगा कि सेलेक्टर्स ने गुजरात के इस 23 साल के खब्बू मीडियम पेस गेंदबाज को इतिहास बनाने का मौका दिया और स्टैंडबाय के रूप में इंग्लैंड भेजा।

नरगल गांव के एक पारसी समुदाय से हैं अर्जन नागवासवाला- ‘ये ऐसा मौका है जिसका मैं लंबे समय से इंतजार कर रहा था। अब मैं बहुत खुश हूं।’ जो इंग्लैंड जाने से पहले कभी विराट कोहली से मिला भी नहीं था, अब उनके साथ एक ही ड्रेसिंग रूम में है। नागवासवाला इस बात से भी खुश हैं कि लगभग चार दशक के बाद एक पारसी क्रिकेटर ने टीम में है।

अपने बड़े भाई, विस्पी से खेल की बुनियादी बारीकियां को सीखने के बाद, नागवासवाला ने 2018-19 सीजन में गुजरात की ओर से खेलना शुरू किया। वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई के विरुद्ध पांच विकेट (5/78 जिसमें सूर्यकुमार यादव, आदित्य तारे और सिद्धेश लाड के विकेट शामिल थे) ने एकदम मशहूरी दिला दी। रणजी ट्रॉफी के 2019-20 सीज़न में 41 विकेट लिए। भले ही पिछले सीजन में रणजी ट्रॉफी नहीं थी, लेकिन गुजरात के लिए विजय-हजारे और सैयद मुश्ताक अली टी 20 ट्रॉफी में क्रमशः 7 मैच में 14.05 पर 19 विकेट और 5 मैच में 14.09 पर 9 विकेट लिए। इसी रिकॉर्ड से इंग्लैंड गई टीम में जगह मिली। जबकि उनकी टीम के ज्यादातर साथी क्रिकेटर आईपीएल खेले, विजय हजारे ट्रॉफी के बाद अर्जन नागवासवाला को एक लंबा ब्रेक मिला जिसका फायदा उठाकर तैयारी की आगे की चुनौती की।

भारत की सीनियर इंटरनेशनल क्रिकेट में पारसी क्रिकेटर

फिरोज एडुल्जी पलिया
सोराबजी होर्मासजी मुंचेरशा कोलाह
रुस्तमजी जमशेदजी
खेरशेद रुस्तमजी मेहेरहोमजी
रुसीतोमजी शेरियार मोदी
जमशेद खुदादाद ईरानी
केकी खुर्शेदजी तारापुर
पहलन रतनजी उमरीगर
नरीमन जमशेदजी कांट्रेक्टर
रुसी फ्रैमरोज़ सूरती
फारुख इंजीनियर
डायना एडुल्जी
रुसी जीजीभॉय – रिजर्व विकेटकीपर – भारत का वेस्ट इंडीज टूर 1971
अर्जन नागवासवाला – स्टैंडबाय

इस तरह लंबे समय के बाद एक पारसी क्रिकेटर चर्चा में आया है। पारसी समुदाय ने भारतीय क्रिकेट इतिहास में कई बड़े नाम दिए हैं। पारसी 1886 में इंग्लैंड का टूर करने वाली पहली भारतीय टीम थी। जब भारत में धर्म के आधार पर बनी टीम क्रिकेट खेलती थीं तो एक टीम पारसी भी थी। रूसी मोदी, पॉली उमरीगर, नारी कांट्रेक्टर, फारूख इंजीनियर और डायना एडुल्जी बड़े कामयाब रहे ।इसके बाद पारसी क्रिकेटर लगभग गायब ही हो गए थे।

अर्जन नागवासवाला की गेंदबाज़ी में ऐसी क्या बात है कि वे इंग्लैंड गए और उनसे बेहतर रिकॉर्ड वाले रह गए? उनके पास इनस्विंगर और आउटस्विंगर गेंद तो हैं ही, शॉर्ट-पिच भी फेंकते हैं विकेट लेने के लिए। एक सीज़न में 8 मैच में 18.36 के औसत से तीन बार 5 और एक बार 10 विकेट के साथ 41 विकेट लेना उन्हें चर्चा में ले आया- सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पंजाब के विरुद्ध था 10/114 का। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 16 मैच में 22.53 की औसत से 62 विकेट लिए हैं, जिसमें 4 बार पांच विकेट और 1 बार दस विकेट शामिल हैं। 20 लिस्ट-ए और 15 टी20 मैचों में क्रमश: 39 और 21 विकेट लिए हैं।

मुंबई में अभी भी कुछ पारसी क्लब मौजूद हैं जो मशहूर मानसून क्रिकेट कांगा लीग में खेलते हैं, लेकिन पारसी क्रिकेटर सीनियर इंडियन क्रिकेट के मंच से लगभग गायब ही हो गए थे। आईपीएल का हिस्सा न होने के कारण भी अर्जन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया।

  • उनके आइडल वसीम अकरम और ज़हीर खान हैं।
  • आईपीएल सीजन 2021 के दौरान मुंबई इंडियंस के लिए नेट गेंदबाज थे।
  • टीम इंडिया की 2011 वर्ल्ड कप जीत ने उन्हें क्रिकेट को करियर के रूप में लेने के लिए प्रेरित किया।
  • गेंद को दोनों तरह से स्विंग कर सकते हैं और घरेलू सर्किट में घातक बाउंसर फेंकने वाले कुछ गेंदबाजों में से एक।
  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *