दिल्ली राजनीतिक गर्मी के लिए तो मशहूर है ही- गर्म मौसम के लिए भी मशहूर है। अप्रैल की तपती धूप में भारत के टॉप पहलवान जंतर मंतर के पास अपने ‘सम्मान’ की लड़ाई में दूसरी बार बैठे। जिन्हें, मैट पर प्रैक्टिस में समय लगाना चाहिए था वे अधिकार मांग रहे हैं : पहले तो था कि डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करो और अब साथ में जोड़ दिया है कि उन पर एक्शन लो। एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों ने उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी का आरोप लगाते हुए अलग-अलग पुलिस शिकायत दर्ज की हैं।
क्या ये भारत में खेलों की दुनिया में इस तरह का पहला मसला है? नहीं। साथ में ये भी सच है कि जब-जब ऐसी घटनाएं सामने आईं तो अधिकारियों की कोशिश सिर्फ यही रही कि मामले को दबा दिया जाए। शिकायत करने वाले को न्याय तो दूर, उसके उलट, उस पर ही अलग-अलग आरोप लगा कर या खेल करियर ख़त्म करने जैसी कोशिश के साथ धीरे-धीरे वह मामला अपने आप ही समय की धूल में दबा दिया। अब भी एफआईआर दर्ज करने से इनकार करने पर, सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करना पड़ा था। तब तो कहीं, एफआईआर दर्ज हुई। घटनाओं का ये सिलसिला भारत में महिलाओं की दशकों से चली आ रही मुहिम का एक और पेज है।
पहलवान इस मुद्दे का ‘राजनीतिकरण’ नहीं चाहते। वजह- भारत में लगभग सभी टॉप खेल एसोसिएशन में राजनेताओं या उनके वंशजों का वर्चस्व है। इनमें बीसीसीआई भी है। अभी तो कई मामले सामने ही नहीं आते। बीसीसीआई के ऑफिस की एक महिला स्टाफ ने, बोर्ड के सीईओ राहुल जौहरी पर काम के दौरान, सेक्स आरोप की शिकायत की तो क्या हुआ उस केस का? बीसीसीआई ने कभी जिक्र तक नहीं किया इस केस का।
इस सारे घटनाक्रम का एक पहलू और भी है जिस पर पहलवान हैरान हैं। पहलवानों ने जब अपनी मुहिम शुरू की तो उन्हें भरोसा था कि भारत के पदक विजेता और स्टार क्रिकेटर खुल कर उनके समर्थन में बोलेंगे। ऐसा नहीं हुआ और कोई खुल कर नहीं बोला। टॉप खिलाड़ियों की चुप्पी की ओर इशारा करते हुए विनेश फोगट ने कहा- ‘यह देखकर बड़ा दुःख हुआ कि पावर में बैठे लोगों के सामने खड़े होने की इन टॉप खिलाड़ियों में हिम्मत नहीं है। दूसरे खेलों के खिलाड़ी इस मसले से कन्नी काट गए।’
विनेश ने कहा-‘पूरा देश क्रिकेट की पूजा करता है लेकिन एक भी क्रिकेटर ने हम से बात नहीं की है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप हमारे पक्ष में बोलें, लेकिन कम से कम एक न्यूट्रल संदेश दें और कहें कि पीड़ित के लिए न्याय होना चाहिए। यही मुझे दर्द दे रहे हैं … चाहे वह क्रिकेटर्स हों, बैडमिंटन खिलाड़ी हों, एथलेटिक्स हों, बॉक्सिंग हों ….।’
उन्होंने ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन का उदाहरण दिया, जो अमेरिका में शुरू हुआ था, लेकिन दुनिया भर के खिलाड़ियों ने नस्लवाद और भेदभाव से लड़ने के लिए एकजुट भावना दिखाई । ‘अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के दौरान उन्होंने अपना समर्थन दिखाया था। क्या हम इतने भी लायक नहीं हैं?’
‘हम नहीं जानते कि वे किससे डरते हैं? ऐसा लगता है कि वे इस बात से डरते हैं कि इससे उनके स्पांसर और ब्रांड सौदे पर असर आ सकता है। जब हम कुछ जीतते हैं तो ये हमें बधाई देने के लिए आगे आते हैं। क्रिकेटर ट्वीट करते हैं। अब क्या हो गया? क्या आप सिस्टम से इतना डरते हैं?’
इतना सब कुछ होने के बाद, कप्तान कपिल देव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर तीनों पहलवानों की एक तस्वीर पोस्ट की, जिसके कैप्शन में लिखा था:’क्या उन्हें कभी न्याय मिलेगा?’ वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और इरफान पठान ने भी विरोध पर अपनी चुप्पी तोड़ी। मौजूदा बड़े खिलाड़ी अभी भी चुप हैं।
ये बात सोचने पर तो मजबूर करती है पर ये मुद्दा नया नहीं। भारत में किसी भी मसले पर मौजूदा खिलाड़ी कुछ नहीं बोलते। क्या पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने (या न खेलने) पर कोई मौजूदा खिलाड़ी कुछ बोल रहा है? पॉप स्टार सिंगर रिहाना और प्रज्ञान ओझा के बीच ऑनलाइन भिड़ंत कोई ज्यादा पुरानी नहीं। पॉप सुपर स्टार रिहाना ने भारतीय किसानों के विरोध पर अपनी बात कही तो 24-कैप टेस्ट दिग्गज ओझा ने पलटवार किया कि हमें अपने आंतरिक मामलों में किसी बाहरी व्यक्ति की दखल की जरूरत नहीं है! तो इस पर देश के सबसे प्रसिद्ध क्रिकेटरों में से कुछ – रवि शास्त्री, अनिल कुंबले, हार्दिक पांड्या, सुरेश रैना, शिखर धवन और रोहित शर्मा- ने देश को एकजुट करने और भारतीय मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की निंदा करने के लिए कठोर, रेलिंग ट्वीट किए पर किसान विरोध पर कुछ न बोले- न उनके साथ और न उसके विरोध में।
जब भारत के पूर्व टेस्ट सलामी बल्लेबाज वसीम जाफर को आधारहीन, दुर्भावनापूर्ण अफवाहों के बीच उत्तराखंड के चीफ कोच से हटा दिया इस आरोप से कि उन्होंने मुस्लिम खिलाड़ियों का पक्ष लिया और इस्लामिक विद्वानों को टीम से बात करने बुलाया- तब भी पुराने खिलाड़ी ही जाफ़र के समर्थन में बोले। बोर्ड का कोड ऑफ कंडक्ट खिलाड़ियों को ‘बांध’ देता है।
- चरनपाल सिंह सोबती