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इंग्लैंड के विरुद्ध ट्रेंट ब्रिज और लॉर्ड्स टेस्ट में दो समानताएं तो थी हीं –

पहली : पूरे टेस्ट के दौरान स्पिनर आर अश्विन की कमी महसूस की गई – उदहारण के लिए जो रुट को आउट करना जब किसी के बस में नहीं रहा तो पता लगा कि टीम इंडिया का नंबर 1 स्पिनर (79 टेस्ट में 413 विकेट) तो ड्रेसिंग रूम में है। अकेले जो रुट ने टेस्ट का समीकरण बदल दिया।

दूसरी : टीम मैनेजमेंट ने नहीं माना कि अश्विन को टीम में न लेना गलती था।

अश्विन आज दुनिया के सबसे बेहतर स्पिनर में से एक हैं तो इसी बात पर टेस्ट टीम के 11 में उनके लिए जगह होनी चाहिए। टीम इंडिया में ऐसा नहीं है। टीम में अगले सर्वश्रेष्ठ स्पिनर रविंदर जडेजा को चुना। यहां चर्चा का मुद्दा जडेजा की आलोचना नहीं, टीम मैनेजमेंट की बार- बार अश्विन की टीम में भूमिका को न समझने की हो रही है। टीम में जडेजा क्यों या अश्विन क्यों नहीं- इस पर जवाब ये है कि जडेजा बेहतर बल्लेबाज़ हैं। अगर टीम को संतुलित अटैक के लिए एक स्पिनर की जरूरत है तो आप उसे उसकी गेंदबाज़ी की टेलेंट पर चुनेंगे या बल्लेबाज़ी की? टीम में टॉप 6 बल्लेबाज़ चूंकि अपना रोल सही नहीं निभा रहे इसलिए टीम को स्पिनर ऐसा चाहिए जिसे वे ‘बेहतर बल्लेबाज़’ कह सकें। अगर भारत ने ट्रेंट ब्रिज और लॉर्ड्स टेस्ट पर अपनी पकड़ खोई तो ये उसके लिए सबसे बड़ी वजह में से एक रही। ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ। वेस्टइंडीज का 2019 टूर- तब अश्विन को नहीं, हनुमा विहारी को खिलाया ये कहते हुए कि कैरेबियन परिस्थितियों में वे टीम की संरचना के लिए बेहतर विकल्प हैं।

इसका मतलब तो ये हुआ कि चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे और यहां तक कि कप्तान कोहली (कोलकाता में पिंक बॉल टेस्ट में नवंबर 2019 में बांग्लादेश के विरुद्ध 136 के बाद से किसी भी तरह की इंटरनेशनल क्रिकेट में सेंचुरी नहीं बनाई) रन नहीं बना रहे या ऋषभ पंत का कुछ पता नहीं कि क्या करेंगे तो सही टीम चुनने के साथ समझौता किया जाए? आप किस गेंदबाज़ को टीम से निकाल रहें हैं ? उसे जिसने :

  • अपने पिछले 8 टेस्ट में 18 से कम के औसत और 43.42 के स्ट्राइक रेट से 48 विकेट लिए ।
  • ऑस्ट्रेलिया में तीन टेस्ट में, भारत के असाधारण प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार खिलाड़ियों में से एक- एडिलेड और मेलबर्न टेस्ट में 5-5 विकेट तथा सिडनी में वह बल्लेबाज़ी जिससे सीरीज में टर्न अराउंड हुआ- 128 गेंद में 39* और विहारी के साथ टेस्ट ड्रॉ कराया।
  • WTC फाइनल में भी, पहली पारी में 22 बनाते हुए अन्य कई से बेहतर बल्लेबाज दिखे- साथ ही जब न्यूजीलैंड टेस्ट जीत रहा था तो अश्विन के दो विकेट ने ही चमत्कार की उम्मीद जगाई थी।
  • अपने पिछले 12 ‘अवे’ टेस्ट में (सभी दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में) 43 विकेट।
  • इस इंग्लैंड टूर में जब सभी छुट्टी पर थे तो अश्विन काउंटी चैंपियनशिप मैच खेले ताकि ड्यूक बॉल के मिजाज को और बेहतर समझ सकें- ओवल में समरसेट के विरुद्ध सरे के लिए 7 विकेट झटके जिसमें दूसरी पारी में 6/27 का रिकॉर्ड था।

ट्रेंट ब्रिज टेस्ट में चौथे तेज गेंदबाज शार्दुल ठाकुर की चोट से ऐसा लगा कि अश्विन खेलेंगे- टीम की सोच अलग थी। वीवीएस लक्ष्मण ने बिलकुल ठीक कहा- ‘ जब WTC फाइनल में अश्विन पहली पसंद थे स्पिनर के तौर पर तो उस फाइनल के बाद ऐसा क्या हुआ कि इलेवन में उनके लिए जगह नहीं।’ वैसे ये ये एक अलग चर्चा है कि इंग्लैंड में भारत ने वास्तव में ‘चौथे सीमर’ को कितना इस्तेमाल किया? दक्षिण अफ्रीका के सबसे बेहतर तेज गेंदबाजों में से एक डेल स्टेन ने इंग्लैंड में सीरीज शुरू होने से पहले ही कहा था कि इंग्लैंड में अश्विन भारत के लिए सबसे ख़ास गेंदबाज़ साबित होंगे।

कोई साधारण गिनती नहीं है 400 विकेट का रिकॉर्ड। कई जानकार तो अश्विन को भारत का सबसे बेहतर स्पिनर कहते हैं – यहां तक कि उन्हें आलराउंडर क्यों नहीं गिनते? वे किससे कम हैं?

  • इंग्लैंड के विरुद्ध इस साल का चेन्नई का दूसरा टेस्ट : 317 रन की जीत और सीरीज में 1-1 की बराबरी पर लाने में जिस क्रिकेटर ने सबसे ख़ास भूमिका निभाई वे अश्विन थे। विराट कोहली ने माना था अश्विन की इस भूमिका को।
  • टेस्ट रैंकिंग में टॉप 100 बल्लेबाज़ में से एक (82) और गेंदबाज़ी में नंबर 2 पर।
  • 30 बार 5 विकेट का रिकॉर्ड ।
  • 79 टेस्ट में 5 सेंचुरी।
  • 1966 के बाद ऐसे पहले खिलाड़ी जिसने टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड के विरुद्ध 5 विकेट और सेंचुरी का रिकॉर्ड बनाया (तब : गारफील्ड सोबर्स)।

अगर भारत से किसी को कुंबले के 619 टेस्ट विकेट के रिकॉर्ड के लिए चुनौती माना गया तो वे अश्विन ही हैं पर लगातार टेस्ट न खेलना और उम्र मुश्किल बन सकते हैं – इस समय लगभग 35 साल के पर फिट। फिटनेस और स्ट्राइक रेट दोनों के साथ तालमेल बनाते हुए आगे भी इसी तरह से विकेट लेना आसान नहीं होगा। 79 टेस्ट के बाद अश्विन के नाम 413 विकेट और सिर्फ एम मुरलीधरन ने 79 टेस्ट में उनसे ज्यादा (442) विकेट लिए थे- लेकिन लगभग 5 हज़ार ज्यादा गेंद फेंककर। डेल स्टेन 399 और रिचर्ड हेडली 396 उनके बाद हैं। तो और क्या साबित करना बचा है?

  • चरनपाल सिंह सोबती

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