चौथे दिन का खेल शुरू हुआ तो इंग्लैंड वाले भी मान रहे थे कि अभी भी इस टेस्ट में कुछ भी हो सकता है। आठ विकेट बचे थे और 139 रन से पीछे – समीकरण मुश्किल जरूर था भारत के लिए पर ऐसे ही तो ऐतिहासिक टेस्ट खेले जाते हैं। हुआ क्या – मशहूर बल्लेबाज़ी चरमरा गई और भारत एक पारी एवं 76 रन से हार गया।
सच तो ये है कि भारत इस टेस्ट को पहले ही दिन हार गया था – कोहली के टॉस जीतने के बावजूद। टॉस जीतकर परिस्थितियों का बेहतर फायदा उठाने का मौका मिलता है – कितना फायदा उठाया ये 78 का स्कोर बता देता है। चौथे दिन कुल 19.3 ओवर फेंके गए और लंच से बीस मिनट पहले सब ख़त्म। मुफ्त की छुट्टी मिल गई – लगभग दो दिन की।
टेस्ट में नाकामयाबी की बात करते हुए विराट कोहली ने माना कि गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों सही नहीं खेले। फिर भी आत्म विश्वास ऐसा कि अगले टेस्ट से पहले ऐसा कोई विशिष्ट मुद्दा नहीं है जिसे लेकर वे चिंतित हों। टीम में बदलाव को वे क्रिकेट का हिस्सा मानते हैं – 4 सितंबर से ओवल में अगला टेस्ट है। वे गारंटी दे रहे हैं कि टीम इस हार से निराश नहीं। हार के बावजूद वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप पॉइंट्स में तीसरे नंबर पर है भारत। भारत की क्रिकेट को देखिए :
- विराट कोहली – अब बिना शतक के लगातार 51 इंटरनेशनल पारी खेल चुके हैं।
- पिछले 10 साल में भारत ने इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट के पहले ओवर में चार बार एक विकेट गंवाया है – हर बार गेंदबाज जेम्स एंडरसन !
- पुजारा अब तेंदुलकर से आगे निकलकर एंडरसन के सबसे फेवरेट भारतीय विकेट – 10 बार आउट किया है। कोहली को 7 बार एंडरसन (इंग्लैंड में 6 और भारत में 1) ने आउट किया है।
- कप्तान विराट कोहली टॉस जीतने के बाद पहली बार लाल गेंद वाला टेस्ट हारे – इससे पहले : 22 जीत और 4 ड्रा।
- 6 बार ऐसा हो चुका है जब पुजारा अपने ओवरनाइट स्कोर में बिना कोई रन जोड़े आउट हुए।
- पंत ने पांच पारियों में 87 रन बनाए हैं – इस सीरीज में वे जिस तरह से आउट हो रहे हैं, उससे साफ़ पता लग रहा कि ड्यूक गेंद पर नंबर 6 पर बल्लेबाजी की उनकी टेलेंट पर शक है।
- रविचंद्रन अश्विन – ICC की टेस्ट गेंदबाज रैंकिंग में दूसरे और ऑलराउंडर रैंकिंग में नंबर 4 – तब भी कम से कम पहले तीन टेस्ट के लिए तो उन्हें टीम में जगह नहीं मिली।
जब टेस्ट में हार के बाद, प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई रिपोर्टर आधुनिक युग के सबसे बेहतर बल्लेबाजों में से एक को बैटिंग पर तकनीकी सुझाव दे तो इसी से अंदाजा लगा लेना चाहिए कि टीम की क्रिकेट को कैसे देखा जा रहा है। विराट कोहली की तारीफ करनी होगी कि वे चुप रहे। कुछ साल पहले एक अन्य भारतीय कप्तान ने तो लगभग ऐसी ही सलाह देने वाले सीनियर जर्नलिस्ट को अपने पास बुला लिया था और कहा कि जैसा कह रहे हैं – वैसा खेलकर दिखाएं !
टीम मैनेजमेंट को इतना तो मानना होगा कि जैसा खेले वह टीम की प्रतिष्ठा से कतई मेल नहीं खाता। पहली पारी में 56/3 से 78 ऑल आउट और दूसरी पारी में 237/3 से 278 ऑल आउट यानि कि दोनों पारी में मिलकर आख़िरी 7 विकेट पर 63 रन में गिरे। 554 टेस्ट में भारत ने सिर्फ एक बार इससे खराब प्रदर्शन किया है – पुणे में ऑस्ट्रेलिया 2017 के विरुद्ध आखिरी 7 विकेट मैच में सिर्फ 41 रन जोड़ पाए थे। और देखिए लीड्स 2021 में पहली पारी में 30 ओवर में 57 रन पर गंवाए आखिरी 8 विकेट और दूसरी पारी में 16.1 ओवर में 63 रन पर गंवाए आखिरी 8 विकेट।
दूसरी नई गेंद के सामने 8 विकेट 53 रन में गंवाना उतना ही भयावह था जितना पहली सुबह 78 रन पर आउट होना। साफ़ है – जब नई गेंद पर सही शुरूआत नहीं मिलती तो मुश्किल वहीं आती है। बहुत लिखा जा रहा है कि आखिरी 5 बल्लेबाजी में बिलकुल बेकार हैं। उन्हें क्यों दोष दें – रन बनाना सबसे पहले टॉप बल्लेबाज़ की ड्यूटी है। मिडिल आर्डर रन नहीं बना रहा तो वे जिम्मेदार नहीं। कोहली/पुजारा/रहाणे ने डेब्यू से दिसंबर 2019 तक 370 पारी में 17054 रन बनाए 50.01 औसत से – 56 सेंचुरी, 68 स्कोर 50 वाले (औसत : कोहली – 54.98, पुजारा – 49.48 और रहाणे – 43.74)। वहीं जनवरी 2020 से इन तीनों ने मिलकर 70 पारी में 1788 रन बनाए हैं 26.29 औसत से, सिर्फ एक सेंचुरी, सिर्फ 12 स्कोर 50 वाले (औसत : कोहली – 24.68, पुजारा – 27.56 और रहाणे -26.25)। ये टीम का दुर्भाग्य है कि तीनों एक साथ जूझ रहे हैं।
दूसरी पारी में रोहित, पुजारा और विराट ने ख़राब बल्लेबाजी नहीं की – यहां तक कि केएल राहुल ने भी 50+ गेंद खेलीं पर पहली पारी में बहुत ख़राब खेलना भारी पड़ गया। एक तकनीकी गलती भी कर गए। तीसरे दिन 30 मिनट फालतू नहीं खेलना चाहिए था – ऐसे में चौथे दिन पहले 30 मिनट पुरानी गेंद से खेलने का मौका मिल जाता और विराट और पुजारा दोनों को सेट होने में मदद मिलती।
ये भी तो सोचिए कि भारत के 20 में से 50 प्रतिशत से ज्यादा विकेट या तो विकेटकीपर जोस बटलर ने कैच किए या स्लिप फील्डर ने। विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा या अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाज भी इंग्लिश गेंदबाजों से नहीं बच सके। जब गेंद शार्ट ऑफ़ लेंथ हो तो हर बल्लेबाज के पास उसे खेलने या छोड़ने का समय होता है – एक बार बल्लेबाज शॉट खेलने आगे निकल आया तो कुछ नहीं कर सकते और यहीं गेंद की तेजी अपना कमाल कर जाती है।
किस सबक के साथ ओवल में खेलेंगे ?
- चरनपाल सिंह सोबती