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भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज, इंटरनेशनल क्रिकेट के सबसे पुराने मुकाबलों में से एक है। भारत ने अपना पहला टेस्ट 1932 में इंग्लैंड के विरुद्ध खेला और अब तक जो 551 टेस्ट खेले हैं, उनमें से सबसे ज्यादा 126 टेस्ट इंग्लैंड के विरुद्ध खेले हैं। इतना पुराना और ऐतिहासिक आपसी मुकाबला पर किस ट्रॉफी के लिए? बड़ी हैरानी की बात है कि आधुनिक दौर में इन दोनों टीम के बीच टेस्ट क्रिकेट सीरीज को कोई पक्का नाम न देकर, इस सीरीज का वह चर्चा और महत्व मिलता ही नहीं दिया जो मिलना चाहिए।

4 अगस्त से इंग्लैंड में नई सीरीज शुरू हो रही है – विजेता को कौन सी ट्रॉफी मिलेगी? इस सवाल का आम जवाब यही है कि विजेता को पटौदी ट्रॉफी मिलेगी क्योंकि 2007 में तय हुआ था कि इंग्लैंड- भारत टेस्ट इंग्लैंड में इसी ट्रॉफी के लिए खेलेंगे। सच ये है कि ये सिर्फ कोरा फैसला साबित हुआ – क्या किसी रिपोर्ट में ये पढ़ने को मिला है कि पटौदी ट्रॉफी सीरीज शुरू होने वाली है या इस बार पटौदी ट्रॉफी को कौन जीतेगा? इसके पीछे की सच्चाई हैरान करने वाली है।

औपचारिक रिकॉर्ड ये है कि ये दोनों टीम जब भारत में खेलती हैं तो एंथनी डी’मेलो ट्रॉफी के लिए और इंग्लैंड में पटौदी ट्रॉफी के लिए। फिर भी हाल के सालों में किसी विजेता कप्तान को इस नाम वाली ट्रॉफी नहीं मिली। इस साल इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट सीरीज जीतने के बाद विराट कोहली को जो ट्रॉफी मिली वह पेटीएम ट्रॉफी थी और डी’मेलो का तो कहीं जिक्र भी नहीं था। इसी तरह इंग्लैंड वाले विजेता को अपने स्पांसर के नाम वाली इनवेस्टेक ट्रॉफी देते हैं। तो फिर एंथनी डी’मेलो ट्रॉफी और पटौदी ट्रॉफी का क्या हुआ – न तो BCCI के पास इसका जवाब है और न ECB के पास। कुछ ख़ास बातें नोट कीजिए :

  • भारत में विजेता के लिए जो एंथनी डी’मेलो ट्रॉफी है – वह किसके नाम पर है? ये ट्रॉफी देने का सिलसिला 1951 से शुरू हुआ। BCCI के संस्थापकों में से एक थे ये एंथनी डी’मेलो – बोर्ड के सेक्रेटरी भी रहे और 1936 के इंग्लैंड टूर के बीच से लाला अमरनाथ को वापस भेजने के लिए वे ही जिम्मेदार थे।
  • पटौदी ट्रॉफी इंग्लैंड -भारत टेस्ट क्रिकेट सीरीज के लिए इंग्लैंड ने शुरू की – 2007 में इन दोनों टीम के बीच टेस्ट क्रिकेट सीरीज की 75वीं सालगिरह के मौके पर। ट्रॉफी डिजाइन की अवार्ड विजेता ब्रिटिश सिल्वर और गोल्ड स्मिथ जॉक्लिन बर्टन ने और बनाया भी उन्होंने। ट्रॉफी का नाम पटौदी परिवार के नाम पर रखा गया – इफ्तिखार अली खान पटौदी भारत और इंग्लैंड दोनों के लिए टेस्ट खेले जबकि उनके बेटे मंसूर अली खान भारत के कप्तान और कामयाब क्रिकेटर रहे। इस फैसले में MCC शामिल थे। ट्राफी को 2012 में बेंटले एंड स्किनर, लंदन में जॉक्लिन की प्रदर्शनी में भी इसकी ख़ूबसूरती के लिए प्रदर्शित किया गया।
  • उस समय ECB का सुझाव था कि आगे से सभी इंग्लैंड-भारत टेस्ट सीरीज इसी ट्रॉफी के लिए खेलें पर BCCI ने इंकार कर दिया और कहा वे भारत में दी जाने वाली ट्रॉफी का नाम नहीं बदलेंगे। यहीं से गफलत शुरू हो गई।
  • पटौदी परिवार ने BCCI को लिखा भी कि इंग्लैंड का पटौदी ट्रॉफी का सुझाव मान लो पर BCCI ने इंकार कर दिया इस दलील पर कि एंथोनी डी मेलो के भारतीय क्रिकेट में योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।
  • इंग्लैंड में 2011 की सीरीज : मंसूर अली खान पटौदी और शर्मीला टैगोर दोनों ओवल में थे, जहां उन्हें ट्रॉफी देने के लिए आमंत्रित किया था ECB ने। लंच पर रिहर्सल की गई कि पटौदी ट्रॉफी कैसे देंगे। जब विजेता को ट्रॉफी देने का वक़्त आया तो प्रेज़ेंटर माइक आथर्टन ने पटौदी ट्रॉफी का नाम तक नहीं लिया। प्रोग्राम ख़त्म और टाइगर ट्रॉफी के पास खड़े रह गए। उस समय के इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने जब टाइगर को ऐसे में देखा तो टाइगर के पास आए और टाइगर ने उन्हें ट्रॉफी दे दी – किसी ने नहीं देखा, कोई फोटो नहीं और न ही टेलीकास्ट। भारत लौटने पर टाइगर बीमार पड़ गए और सितंबर में उनका निधन हो गया।
  • मंसूर अली खान पटौदी के निधन के बाद उनका परिवार इस मामले में BCCI के पीछे नहीं पड़ा।BCCI ने पटौदी ट्रॉफी का सुझाव कभी नहीं माना पर उनका ये रवैया देखकर इंग्लैंड वाले भी जिस तरह भूले, वह बड़ा खराब है – इस गलती को सुधारने की पहल BCCI को करनी चाहिए थी, पर वे इस मामले का जिक्र तक नहीं करते।
  • इंग्लैंड में 2014 की सीरीज : शर्मिला को फिर से ECB ने विजेता टीम को ट्रॉफी देने आमंत्रित किया। तब भी इनवेस्टेक ट्रॉफी दी गई।
  • इंग्लैंड में 2018 की सीरीज : टेस्ट सीरीज के आखिर में विजेता को ट्रॉफी देने ECB के निमंत्रण पर शर्मिला टैगोर इंग्लैंड में ओवल में मौजूद थीं पर विजेता को पटौदी ट्रॉफी देने का वहां नाम तक नहीं लिया गया – स्पांसर के नाम वाली स्पेकसेवर्स ट्रॉफी दी गई।

इतना सब होने के बाद भी शर्मिला नाराज नहीं हैं BCCI से क्योंकि BCCI ने पटौदी की याद में पटौदी मेमोरियल लेक्चर की शुरुआत की। उन्होंने ये मान लिया है कि वे भारत या इंग्लैंड के बोर्ड को इस बात के लिए मजबूर नहीं कर सकते कि सीरीज के विजेता को पटौदी ट्रॉफी ही दी जाए।

इंग्लैंड के स्पिनर मोंटी पनेसर ने ट्रॉफी की इस चर्चा में एक नया पेज जोड़ दिया है। उनका सुझाव है कि इन दोनों टीम की सीरीज एक नई ट्रॉफी के लिए खेली जाएं – ‘तेंदुलकर-कुक ट्रॉफी’ के लिए।मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर 200 टेस्ट मैच खेलने वाले एकमात्र क्रिकेटर हैं – 15,921 रन और 51 सेंचुरी। दूसरी ओर, एलिस्टेयर कुक ने 161 टेस्ट में 12,472 रन बनाए, जो टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड की ओर से सबसे ज्यादा हैं।

शायद पटौदी ट्रॉफी का जिक्र टीम इंडिया में इस जीतने का नया जोश पैदा कर दे ?

  • चरनपाल सिंह सोबती

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