fbpx

24 अगस्त 1971 का दिन भारतीय क्रिकेट में हमेशा खास रहेगा। हर साल, इस दिन 1971 में इंग्लैंड के विरुद्ध ओवल में मिली जीत को याद किया जाता है- इस साल कुछ ज्यादा याद कर रहे हैं क्योंकि जीत के 50 साल पूरे हो गए।

मिहिर बोस ने अपनी 1990 में प्रकाशित ‘हिस्ट्री ऑफ़ इंडियन क्रिकेट’ किताब में इतिहास की शुरूआत ओवल में जीत के साथ ही की।1971 का ओवल टेस्ट- इंग्लैंड में भारत की पहली टेस्ट और सीरीज जीत थी। अजीत वाडेकर की शानदार कप्तानी और टीम उस जमीं पर कामयाब हुई- जहां भारतीय क्रिकेट के बड़े बड़े दिग्गज इससे पहले नाकामयाब रहे थे। दिन, महीने, साल बीत जाएंगे पर ये जीत हमेशा याद रहेगी।

इस जीत के बारे में ,ख़ास तौर पर आखिरी दिन के खेल के बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है पर कुछ पहलू अभी भी ऐसे हैं जो कम चर्चा में आए, गलत लिखे जाते हैं या जीत के शोर में छिपे रह गए। इन्हीं कुछ मजेदार पहलू के साथ उस जीत को याद करते हैं :

बेला का सच : आखिरी दिन के खेल के जिक्र में बेला नाम के हाथी के बच्चे की मौजूदगी का जिक्र है। टेस्ट के आखिरी दिन ही गणेश चतुर्थी थी। इसीलिए इस शुभ दिन के प्रतीक को कुछ भारतीय समर्थक स्टेडियम ले आए। सुबह खेल शुरू होने से पहले ही बेला को भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम के बाहर देखा गया। इस 3 साल उम्र के प्रतीक को वे चेसिंगटन ज़ू से लाए थे और उसकी टोपी पर ‘चेसिंगटन ज़ू XI’ लिखा था।

इन क्रिकेट प्रेमियों की मेहनत और इंतज़ाम का किसी ने जिक्र नहीं किया- कोई मजाक नहीं है कि आप ज़ू के जानवर को बाहर ले आएं और वह भी स्टेडियम में। ये क्रिकेट प्रेमी पहले तो लंदन में हाथी ढूंढते रहे जो नहीं मिला। तब इन्हें बर्मिंघम में टायसेली पेट स्टोर्स नाम की दो दुकानों का पता लगा जो न सिर्फ पिल्ले, खरगोश, हम्सटर और चूहे बेचते थे, बंदर, चिम्पांजी और बेबी गोरिल्ला भी बेचते थे। उस समय हाथी उनके पास भी नहीं था। हाँ, यहां से सरे के उस ज़ू को एक छोटे हाथी को बेचने के बारे में पता लगा और इन्हीं दुकान वालों ने बेला को वहां से दिलाया था।

जब ड्रेसिंग रूम में मैनेजर हेमू अधिकारी और कप्तान अजीत वाडेकर टीम के बचे 97 रन बनाने की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे थे, तब अधिकारी ने बेला को देखा और वाडेकर को बुलाया। वाडेकर ने इसे बड़ा अच्छा शगुन माना क्योंकि गणेश चतुर्थी थी। वे 45* के अपने पिछले दिन के स्कोर से आगे खेलने गए और पहली ही गेंद पर आउट। पवेलियन लौटेते ही वाडेकर ने भगवान गणेश से प्रार्थना की कि जीत को संभव बनाएं। बाकी इतिहास है।

जीत मिली तो वाडेकर सो रहे थे- क्यों और उन्हें किसने नींद से जगाया : आउट होकर लौटे कप्तान ने पैड उतारे, स्कोरबोर्ड देखा और मैच की स्थिति का आंकलन किया। थके से थे, टीम अच्छी स्थिति में थी और अगले दिन से ससेक्स के विरुद्ध होव में फर्स्ट क्लास मैच खेलना था (उन दिनों के प्रोग्राम का अंदाज़ा लगाइए) – इसलिए मन हुआ कि सफर से पहले कुछ आराम कर लें। ड्रेसिंग रूम के फर्श पर ही लेट गए और आंखें बंद कर लीं।

लगभग दो घंटे बाद सब खत्म। वाडेकर को जीत के बारे में सबसे पहले तब पता चला जब उन्हें इंग्लैंड टीम के मैनेजर केन बैरिंगटन ने नींद से जगाया- ‘दोस्त, जल्दी से बालकनी पर आ जाओ वर्ना यहां दंगा हो जाएगा।’

जीत वाले रन का सच : 173 का लक्ष्य और 170 पर 6 वां विकेट गिरा। क्रिकेट में अभी भी जीत की गारंटी नहीं थी। इसीलिए लगभग एक घंटे से बैटिंग कर रहे अनुभवी फारूख इंजीनियर(28*) ने नए बल्लेबाज़ आबिद अली से कहा कि आगे कोई ख़ास बल्लेबाज़ नहीं बचा है, इसलिए – ‘कोई जोखिम न लें। हमें टेस्ट और सीरीज जीतने हैं।’

आबिद ने क्या किया – पहली ही गेंद पर ट्रैक पर आगे निकल गए। बस किस्मत साथ थी कि नॉट स्टंपिंग का मौका चूक गए। इंजीनियर ने डांटा – ‘कोई चांस मत लो। सिर्फ तीन रन बचे हैं। क्या कर रहा है? पूरा ओवर है और जीतने के लिए अभी भी समय बचा है।’

इस पर आबिद ने क्या किया – पूरा जोखिम उठाकर प्वाइंट की तरफ लेट कट खेल दिया और गेंद बॉउंड्री तक पहुंचने से पहले ही भीड़ ग्राउंड में आ गई थी।

उस फोटो को देखकर इंजीनियर आज भी हैरान क्यों हो जाते हैं : जीत के फ़ौरन बाद की कई फोटो हैं – एक ऐसी भी जिसमें दर्शकों की भीड़ ने आबिद अली को कन्धों पर उठा रखा है। जीत के समय के नॉन स्ट्राइकर इंजीनियर को आज तक ये समझ नहीं आया है कि भीड़ ने सिर्फ 4 गेंद खेलने वाले आबिद को तो कन्धों पर उठा लिया और और उनकी तरफ किसी का ध्यान ही नहीं था जबकि वे 50 मिनट से बैटिंग कर रहे थे। शायद इसलिए कि आबिद ने विजयी शॉट मारा और हीरो बन गए।

ये सच है :

  • टेस्ट से पहले मीडिया और टीम मैनेजमेंट में ये चर्चा थी कि मेनचेस्टर के पिछले टेस्ट में एक भी विकेट न लेने वाले, भगवत चंद्रशेखर, शायद इस टेस्ट के लिए 11 में न हों। हेमू अधिकारी और कप्तान अजीत वाडेकर का वोट बहरहाल उनके साथ था।
  • उनकी 6-38 की गेंदबाज़ी के दौरान उन्हें किस इंग्लिश बल्लेबाज़ ने बड़े आराम से खेला? नंबर 10 डेरेक अंडरवुड ने। इसीलिए उनके गज़ब के स्पेल के बावजूद वाडेकर ने गेंद उनसे ले ली और बेदी को पारी में अपना पहला ओवर फेंकने बुलाया। अंडरवुड ने बेदी को स्वीप करने की कोशिश की और शॉर्ट लेग पर कैच हो गए।
  • बेदी को नंबर 11 जॉन प्राइस ने जैसे खेला, उसे देखकर वाडेकर ने फिर से गेंद चंद्रा को दे दी- प्राइस एलबीडब्लू और इंग्लैंड 101 पर आउट।
  • जीत के बाद जब भीड़ ग्राउंड में घुस रही थी तो उनमें एक लगभग पांच साल की छोटी भारतीय लड़की भी थी – और तो और उसने अपने छोटे भाई को भी उठा रखा था।
  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *