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भले ही लॉर्ड्स में भारत की पहली पारी में लोकेश राहुल ने सेंचुरी बनाई पर रोहित शर्मा के 83 रन किसी भी तरह से कम नहीं थे। असल में ये 83 महज एक गिनती नहीं हैं- रोहित शर्मा के बैट से एक अच्छे स्कोर की जितनी जरूरत खुद उन्हें थी, उतनी ही टीम इंडिया को थी। क्या आपने ध्यान दिया कि 83 बनाने के बाद रोहित शर्मा ने क्या कहा- ‘यह भारत से बाहर टेस्ट क्रिकेट में खेली सबसे चुनौतीपूर्ण पारी थी।’ रोहित सेंचुरी तक नहीं पहुँच पाए पर यह स्कोर उन्हें जो आत्मविश्वास देगा – उसे देखते हुए सेंचुरी ज्यादा दूर नहीं।

रोहित ने इसीलिए इन 83 को अपनी सर्वश्रेष्ठ पारी नहीं कहा क्योंकि अभी तो वे खेल रहे हैं और इससे भी बेहतर खेलने के और मौके मिलेंगे- हाँ, जो हालात थे उनमें एक चुनौती वाली पारी खेली। रोहित ने दिखाया कि टेस्ट में अपने आप को कैसे रोकना है- ऊंचे शॉट खेलने से कतराते रहे और 11 चौके और एक छक्का लगाया। नई गेंद पर अपने आप को समझना- एक ओपनर की पहली पहचान है।

रोहित शर्मा उस परिचय के दायरे से बाहर आ रहे हैं जहां उन्हें सिर्फ लिमिटेड ओवर क्रिकेट के दिग्गज के तौर पर जाना जाता है। 3 वन डे डबल सेंचुरी बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी और अब तक 4 टी 20 इंटरनेशनल सेंचुरी की वजह से इंटरनेशनल क्रिकेट में एक बड़ा नाम है उनका। सभी जानते हैं कि 2013 में ओपनर बनाए जाने के बाद से उनका करियर ग्राफ ऊपर गया है और हिटमैन धीरे-धीरे उस फार्म को टेस्ट में भी फिट कर रहे हैं।

2019 की शुरुआत से, रोहित का टेस्ट ओपनर के तौर पर 60.75 का औसत- कम से कम दो पारी खेलने वालों में सबसे अच्छा है। इस दौरान 4 सेंचुरी बनाईं। तो कमी कहाँ थी- कमी थी भारत से बाहर अच्छे टेस्ट रिकॉर्ड की। इसीलिए इंग्लैंड टूर एक चुनौती है। सभी तारीफ कर रहे थे उनकी टेलेंट की पर इस सवाल के साथ कि क्या वे रन बनाएंगे? ऐसा नहीं है कि 83 के स्कोर ने सब कुछ एकदम बदल दिया- इतना हुआ कि आगे के लिए उम्मीद बंधी है। 83 के स्कोर सहित कुल टेस्ट रिकॉर्ड – 69 पारी में 2810 रन 46.83 औसत से 7 सेंचुरी के साथ और इसमें भारत से बाहर रिकॉर्ड- 42 पारी में 1140 रन 29.23 औसत से बिना सेंचुरी यानि कि विदेश में उनका टेस्ट औसत अभी 30 भी नहीं है। अब तक 675 क्रिकेटरों ने ‘होम’ और ‘अवे’ दोनों जगह कम से कम 10 टेस्ट खेले हैं। इन सभी के होम और अवे टेस्ट रिकॉर्ड को देखें तो औसत में सबसे बड़े अंतर का रिकॉर्ड रोहित शर्मा का है- भारत में औसत 79.52 और भारत से बाहर
29.23 यानि कि अंतर हुआ 50.29 का। दूसरे नंबर पर विजय हज़ारे हैं- 33.60 के अंतर के साथ।

यही वजह है कि व्यक्तिगत तौर पर ये टूर रोहित के टेस्ट करियर को याद करने की दास्तान में बदल सकता है- उसी की पहली कड़ी है ये 83 का स्कोर। यदि वह अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो आने वाले कुछ और सालों के लिए उनके टेस्ट करियर को नई लाइफ लाइन मिलेगी। कुछ ख़ास रिकॉर्ड देखिए :

  • भारत के लिए टेस्ट जीत में टॉप औसत (कम से कम 1500 रन) : 66.65 – रोहित शर्मा, 65.78 – राहुल द्रविड़, 61.93 – सचिन तेंदुलकर, 58.25 – विराट कोहली और 55.90 – वीवीएस लक्ष्मण।
  • 83 – एशिया के बाहर उनका सबसे बड़ा टेस्ट स्कोर।
  • 2011 और 2021 की शुरुआत के बीच के दशक में, कोई भी भारतीय ओपनर जोड़ी एशिया के बाहर एक टेस्ट में 20 ओवर से ज्यादा नहीं टिक पाई थी। 2021 की शुरुआत के बाद से 9 टेस्ट में पांच बार ऐसा कर चुके हैं और इस रिकॉर्ड में सबसे ख़ास कॉमन फेक्टर रोहित शर्मा हैं।
  • रोहित शर्मा – लॉर्ड्स में इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट, वनडे और टी 20 इंटरनेशनल में ओपनिंग करने वाले पहले खिलाड़ी (2009 टी 20 वर्ल्ड कप, 2018 वन डे मैच,2021 टेस्ट)।
  • इंग्लैंड के टॉस जीतकर भारत को पहले बैटिंग के लिए कहे जाने के बाद, पहली पारी में 50 बनाने वाले पहले भारतीय ओपनर।
  • मेहमान ओपनर बल्लेबाजों के इंग्लैंड में सबसे ज्यादा 50+ स्कोर (तीनों तरह की क्रिकेट में) : 17 – क्रिस गेल और गोर्डन ग्रीनिज,16 – रोहित शर्मा,14 – मार्क टेलर,13 – सुनील गावस्कर।

ऐसा नहीं है कि शुरुआत में कोई कमी थी – टेस्ट डेब्यू पर सेंचुरी और असल में अपने पहले दोनों टेस्ट में सेंचुरी बनाई। यहीं से एकदम उम्मीद का पहाड़ उन पर आ गया। सिर्फ सफेद गेंद के फॉर्म को टेस्ट रन में बदलने की बात थी।दुर्भाग्य से उनका टेस्ट करियर ऐसा नहीं रहा। बार-बार टीम से अंदर-बाहर होते रहे- टेस्ट में उनसे ओपन कराने की सोच तो शायद टेस्ट करियर को आखिरी ऑक्सीजन देने जैसी थी। नतीज़ा ये है कि अब पूछते हैं कि इसे पहले क्यों नहीं आजमाया? वे किस तरह हावी होकर खेले इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब भारत के 100 रन थे तो उसमें राहुल ने सिर्फ 16 रन बनाए थे।

एक सोच जिसे अब बदलना होगा उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। ये सोचना गलत है कि टेस्ट टीम में सफेद गेंद के बेहतर खिलाड़ी के फिट होने में दिक्कत है – रोहित शर्मा और लोकेश राहुल दोनों के नाम टी 20 सेंचुरी हैं और वे मिनटों में किसी भी अटैक को तहस- नहस कर सकते हैं। घरेलू क्रिकेट में लाल गेंद पर तैयारी की कमी अब पहले जैसी समस्या नहीं- रोहित शर्मा ने 2015 से रणजी ट्रॉफी मैच नहीं खेला है। मानसिक तौर पर रोहित शर्मा जून की शुरुआत से ही लाल गेंद पर खेल रहे हैं और यही अनुभव काम आ रहा है।

नोट : सभी रिकॉर्ड लॉर्ड्स टेस्ट में भारत की पहली पारी तक।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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