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विराट कोहली की बेहतरीन पारी ने भारत-पाकिस्तान विश्व कप मैच की अन्य हर चर्चा को पीछे कर दिया पर ये वो मैच था जिसमें बहुत कुछ ऐसा हुआ जिसका जिक्र हमेशा होता रहेगा। इन्हीं की बदौलत मैच का पेंडुलम एक टीम से दूसरी टीम की तरफ होता रहा और ये अंदाजा लगाना कोई मुश्किल नहीं कि हार के बाद पाकिस्तान टीम के मन में कसक गई।

क्या आपने नोट किया कि पाकिस्तान की पारी के दौरान टीम इंडिया का सपोर्ट स्टाफ (यहां तक कि मालिश करने वाले राजीव और थ्रो-डाउन विशेषज्ञ भी), बाउंड्री पर तैनात थे- ख़ास तौर पर पॉवरप्ले ओवर में। क्यों? ये गेंद जल्दी से वापस लौटाने से समय बचा रहे थे। ओवर रेट तेज करने में मदद के प्रयासों में, आईसीसी ने नया लॉ बनाया है। हाल ही में एशिया कप में, टीम इंडिया ने इसी का नुकसान उठाया था और आख़िरी ओवर में डीप में कोई फील्डर नहीं थे। इसकी प्रेरणा, ऑस्ट्रेलिया के विश्व कप से पहले के एक प्रेक्टिस मैच से मिली थी।

मोहम्मद नवाज का आख़िरी ओवर देखिए :

19.1: हार्डिक पांड्या आउट- नए टी 20 इंटरनेशनल लॉ से दिनेश कार्तिक स्ट्राइक पर आए न कि कोहली, भले ही दोनों बल्लेबाज रन लेने की कोशिश में क्रॉस कर चुके थे।  
19.2: दिनेश कार्तिक- 1 रन
19.3: विराट कोहली-  2 रन
19.4: विराट कोहली- 6 रन। फुल टॉस जिसे अंपायर ने कमर की ऊंचाई से ऊपर होने के लिए नो बॉल दिया। बाबर ने इस पर बहस की पर कोई फायदा नहीं हुआ।  19.4: विराट कोहली – गेंद यॉर्कर पर ऑफ-साइड स्टंप से बाहर और इसे वाइड दे दिया।  
19.4: विराट कोहली- 3 बाई। कोहली बोल्ड पर चूंकि फ्री हिट इसलिए जब तक गेंद थर्ड मैन से वापस लौटे 3 बाई बना लिए। पिछले हफ्ते वेबर डब्ल्यूबीबीएल में भी तो यही हुआ था। पर्थ की पीपा क्ली एक फ्री हिट पर स्कूप से चूकी तो (एनाबेल सदरलैंड की गेंद पर) बोल्ड हो गई और गेंद चार बाई के लिए बाउंड्री पर चली गई थी। 19.5 : दिनेश कार्तिक- आउट। एक स्टंपिंग! 
19.6: आर अश्विन- वाइड।     19.6: आर अश्विन- 1 रन और भारत जीत गया।

कई विवाद तो इसी ओवर के थे। मसलन मोहम्मद नवाज की वह फुल टॉस जिसे कमर से ऊपर होने के लिए नो बॉल दिया। पाकिस्तानी फील्डर्स के विरोध के बावजूद फैसला नहीं बदला पर वसीम अकरम, वकार यूनिस, शोएब अख्तर, मोइन खान और शोएब मलिक जैसों की राय थी कि इस पर फैसले के लिए थर्ड अंपायर को कहा जाना चाहिए था। यहां तक कि पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खब्बू स्पिनर ब्रैड हॉग ने भी कॉल पर सवाल उठाया। इसी से ये मैच पलटा और आखिरी ओवर में, भारत को 16 रन की जरूरत से, मैच में भारत की जीत के आसार बन गए।   एक ध्यान देने वाली बात ये है कि मारियस इरासमस (स्क्वायर-लेग अंपायर) को इस नो बाल के बारे में विराट कोहली ने कहा था और ये उनका अधिकार था।

तो अंपायरों ने, थर्ड अंपायर की मदद क्यों नहीं ली? लॉ ये है कि 6 बनते ही नो बॉल के फैसले की समीक्षा की कोई गुंजाइश नहीं थी। इसलिए थर्ड अंपायर के लिए रेफरल नहीं किया- हां, अगर कोई आउट का मामला बनता या फील्डर गेंद रोकता तो इसे रेफर किया जा सकता था। क्या वास्तव में गेंद कमर की ऊंचाई से ऊपर थी- ये बड़े विवाद का मामला है और पूरी तरह से स्क्वायर लेग अंपायर के विवेक पर निर्भर है। पिछले साल सितंबर में ऑस्ट्रेलिया वूमन-इंडिया वूमन वन डे में भी तो यही हुआ था और इस कॉल ने ऑस्ट्रेलियाई जीत में बड़ी ख़ास भूमिका निभाई थी। वहां फैसला थर्ड अंपायर ने दिया था।

क्या आपने ध्यान दिया? आखिरी गेंद पर ऐश ने चौका लगाया लेकिन भारत को इसके लिए सिर्फ एक रन मिला- वही जो गेंद के बाउंड्री पर जाने से पहले उन्होंने पूरा कर लिया था और भारत उसी से जीत गया। भारत का स्कोर 163 होने के बजाय 160 था। मैच चूंकि जीत के साथ ही ख़त्म हो गया इसलिए उसके बाद, गेंद के बॉउंड्री को पार करने को नहीं गिना गया।  
इस पर भी विवाद है कि रिज़वान ने दिनेश कार्तिक को स्टंप किया या रन आउट? रिजवान को स्टंप्स के सामने गेंद पकड़ते देखा गया। लॉ में ऐसा कहीं नहीं है कि विकेटकीपर गेंद को स्टंप्स के सामने पकड़ नहीं सकता।

आखिरी ओवर में, 12 मिनट से ज्यादा समय लगा, लेकिन जो नाटक और उत्तेजना थी- किसी को भी इससे कोई शिकायत नहीं थी। क्या नहीं था इस एक ही ओवर में : भाग कर रन बने, 4 और 6 के बॉउंड्री शॉट लगे, विकेट गिरे, नो बॉल, फ्री हिट और जीत का नतीजा- एक प्रसिद्ध जीत। अंपायर तारीफ़ के हकदार हैं कि किसी दबाव में नहीं आए।

चरनपाल सिंह सोबती

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