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इस साल जुलाई के महीने में दो टीम इंडिया एक साथ खेलेंगी – एक इंग्लैंड में और दूसरी श्रीलंका में। क्या भारत ने इससे पहले कभी एक ही समय पर दो अलग अलग इंटरनेशनल खेलने वाली टीम बनाई हैं? ठीक ऐसा तो नहीं हुआ पर भारत इससे पहले भी दो टीम एक साथ खिलाने का प्रयोग कर चुका है लेकिन तब अंदाज़ अलग था। कब? ये बड़ा मजेदार किस्सा है। 1998 में, कुआलालंपुर में कॉमनवेल्थ गेम्स और पाकिस्तान के विरुद्ध सहारा कप टूर्नामेंट की तारीखों में टकराव हो गया – दोनों सितंबर के महीने में। इस पर BCCI ने कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए टीम भेजने से कतराना शुरू कर दिया लेकिन इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) ने तो इसे देश की प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया। BCCI पर खुले आम आरोप लगा कि वे ज्यादा पैसा देने वाले सहारा कप में खेलना चाहते हैं और उनकी नज़र में कॉमन वेल्थ गेम्स की कोई कीमत नहीं। IOA की नज़र में न सिर्फ कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्रिकेट टीम भेजना जरूरी था- टॉप टीम जानी चाहिए न कि युवा खिलाड़ियों वाली इंडिया ए टीम। सरकारी दबाव में जब इस बात पर आखिर में सहमति हुई कि टीम इंडिया कॉमनवेल्थ गेम्स में जाएगी तब तक सहारा कप की तारीखें बदलने के सब रास्ते बंद हो चुके थे। BCCI मुसीबत में थी और पर अनोखा रास्ता निकाल लिया- टॉप खिलाड़ी बाँट दिए। सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण जैसे टॉप क्रिकेटर गए अजय जडेजा की टीम में कॉमनवेल्थ गेम्स में खेलने जबकि सहारा कप के लिए, मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में गई टीम में सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, जवागल श्रीनाथ और वेंकटेश प्रसाद जैसे खिलाड़ी थे। यहां फर्क ये रहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स में खेले गए क्रिकेट मैच ‘इंटरनेशनल’ नहीं गिने गए। इसका मतलब ये है कि तब भारत के एक ही दिन में दो अलग अलग देश में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का रिकॉर्ड नहीं बना। हाँ,12 सितम्बर1998 ऐसा दिन था जब कुआलालंपुर में अजय जडेजा की टीम कनाडा के विरुद्ध खेली और उसी दिन, हज़ारों मील दूर, मोहम्मद अजहरुद्दीन की टीम ने पाकिस्तान के विरुद्ध उस टूर्नामेंट का पहला वन डे इंटरनेशनल खेला। इस प्रयोग को ‘फ्लॉप शो’ बनाने का सिलसिला यहीं ख़त्म नहीं हुआ। कॉमनवेल्थ गेम्स में क्रिकेट के मुकाबले में 16 टीमें शामिल थीं। भारत ग्रुप बी में एंटीगा, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के साथ था। भारत तब ऑस्ट्रेलिया से हार गया और कनाडा के विरुद्ध जीता लेकिन बारिश ने एंटीगा के विरुद्ध मैच धो दिया तो नतीजा ये रहा कि गोल्ड जीतने का दावेदार भारत ग्रुप स्टेज में ही इवेंट से बाहर हो गया। आज तक यह आरोप लगता है कि न तो BCCI और न ही टीम के क्रिकेटरों का ध्यान अच्छा खेलने पर था। अब चूंकि ग्रुप राउंड से आगे न निकल पाने के कारण खिलाड़ी फुर्सत में थे और उधर सहारा कप में भी टीम इंडिया अच्छा नहीं खेल पा रही थी तो BCCI ने 4 खिलाड़ियों (सचिन, जडेजा, कुंबले और रॉबिन सिंह) को सहारा कप के आखिरी दो मैचों के लिए कनाडा भेजने का फैसला किया। इस पर पाकिस्तान वाले भड़क गए। उनका कहना था कि वर्ल्ड कप की प्लेइंग कंडीशंस पर खेले जा रहे इस टूर्नामेंट में बिना वजह टीम में कोई बदलाव नहीं हो सकता। बड़ी बहसबाज़ी के बाद समझौता हुआ कि सिर्फ सचिन और जडेजा कनाडा जाएंगे। इस बीच, इस गफलत (खुले आम BCCI प्रेसीडेंट राजसिंह डूंगरपुर और सेक्रेटरी जेवाई लेले क्रिकेटरों के कनाडा जाने के सवाल पर अलग अलग बयान दे रहे थे) से बेखबर खिलाड़ी अपने प्रोग्राम बनाते रहे।जब BCCI ने उन्हें ढूँढा कनाडा भेजने के लिए तो जडेजा तो मिल गए – उन्हें अगली फ्लाइट से रवाना कर दिया गया। वे सहारा कप के चौथे मैच में खेले। तेंदुलकर का कहीं अता- पता नहीं था। बहुत ढूंढने पर पता लगा कि वे अपने परिवार के साथ छुट्टी बिताने खंडाला चले गए हैं। उन्हें वहां ढूँढा और बिना तैयारी उन्हें भी कनाडा रवाना कर दिया – वे सीरीज के आखिरी पांचवें मैच में खेले। इसका वैसे कोई फायदा नहीं था क्योंकि पाकिस्तान कप तो जीत हीचुका था। तब भी तेंदुलकर ने सौरव गांगुली के साथ बल्लेबाजी करते हुए 77 रन की पारी खेली और अजहरुद्दीन की सेंचुरी ने भारत को 256-9 का अच्छा स्कोर बनाने में मदद की, लेकिन आमेर सोहेल के 97* ने पाकिस्तान को जीत दिला दी ।इस बार बहरहाल ऐसा नहीं होगा क्योंकि बहुत कुछ बदल चूका है। श्रीलंका टूर के लिए सेलेक्टर्स उन्हीं बचे खिलाड़ियों से टीम चुनेंगे जो इंग्लैंड टूर के लिए नहीं चुने गए। ये तय है कि एक साथ खेलने वाली दो टीम संभालना आसान नहीं होता। अब वैसे तेंदुलकर को ढूंढने जैसा किस्सा भी नहीं होगा क्योंकि ये मोबाइल युग है और उस पर डोप पालिसी के अंतर्गत BCCI को पता रहता है हर खिलाड़ी के प्रोग्राम के बारे में। इस बार भी दोनों टीम के एक दिन में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का रिकॉर्ड नहीं बनेगा। खैर ये दो टीम वाला किस्सा बड़ा मजेदार था। – चरनपाल सिंह सोबती

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