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जो भारत के लिए कभी टेस्ट नहीं खेल पाए उस लिस्ट में राजेंद्र गोयल, शरद हजारे और पद्माकर शिवालकर ही नहीं, और भी कई नाम आ सकते हैं। क्यों नहीं खेले- इसका डिप्लोमेटिक जवाब यही है कि गलत वक्त पर पैदा हुए और टीम इंडिया में कोई और ऐसा खिलाड़ी खेल रहा था जिसे हटा नहीं पाए। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं होता। विश्वास न हो तो डैरेन स्टीवंस का प्रोफाइल देख लीजिए।

जन्म अप्रैल 1976 में और 46 साल से भी बड़ी उम्र तक फर्स्ट क्लास और वाइट बॉल क्रिकेट खेल चुके हैं दाएं हाथ के बल्लेबाज और मीडियम तेजी के गेंदबाज के तौर पर- लंबाई 5 फुट 11 इंच। रिकॉर्ड देखिए :
फर्स्ट क्लास क्रिकेट : 326 मैच, 16,676 रन, 35.18 औसत, 591 विकेट, 24.78 औसत
लिस्ट ए क्रिकेट : 327 मैच, 7,942 रन, 29.96 औसत,162 विकेट, 33.88 औसत
टी20 क्रिकेट : 227 मैच, 4,201 रन, 26.25 औसत, 125 विकेट, 26.04 औसत
कुल रिकॉर्ड : 880 मैच, 28,819 रन, 878 विकेट
इतना लंबा करियर, ढेरों रन और विकेट पर इंग्लैंड के सेलेक्टर्स ने एक भी इंटरनेशनल खेलने योग्य नहीं समझा।

1997 में लेस्टरशायर के साथ ओपनर के तौर पर करियर शुरू हुआ पर आठ सीज़न के बाद भी टीम में जगह के लिए जूझ रहे थे- टीम से कभी बाहर तो कभी अंदर। 2004 में उस हैंपशायर के विरुद्ध 105 और 70 रन बनाए जिसके आक्रमण में क्रिस ट्रेमलेट और शेन वार्न भी थे। तब भी, कुछ ही दिन बाद काउंटी क्लब ने रिलीज कर दिया।

नया कॉन्ट्रैक्ट केंट ने दिया जहां एकदम स्टाइलिश बल्लेबाजी और तेज स्लिप कैचिंग के लिए चमके। लेस्टरशायर के लिए बहुत कम गेंदबाजी की थी- 105.3 ओवर में 67 औसत से 6 विकेट। इस समय उनके रिकॉर्ड में 10 विकेट के दो प्रदर्शन हैं- 70-11 जब केंट ने 2011 में कैंटरबरी में सरे को हराया और फिर 2019 में ट्रेंट ब्रिज में 92-10। एक हफ्ते बाद, 20-5 की गेंदबाजी यॉर्कशायर के विरुद्ध और 237 रन भी बनाए। यह उनके 38 फर्स्ट क्लास 100 में से एक है। वनडे में भी 7 कमाल के 100 बनाए हैं- इसी से यह माना गया कि वे एक वास्तविक ऑलराउंडर हैं। 2007 में उन्हीं के साथ एजबेस्टन में केंट ने ट्वेंटी20 कप फाइनल में ग्लूस्टरशायर को हराया- केंट की पहली टी20 ट्रॉफी।

स्टीवंस ने दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में क्लब क्रिकेट खेला और जिम्बाब्वे, न्यूजीलैंड और बांग्लादेश में टी20 फ्रेंचाइजी क्रिकेट। उनकी टीम, ढाका ग्लेडियेटर्स ने एक के बाद एक खिताब जीते हैं। वहीं, 2012-13 में, वह मैच फिक्सिंग के आरोपों में फंसे- खुद कुछ नहीं किया था बस समय पर एक सट्टेबाज के संपर्क की रिपोर्टिंग नहीं की। बाद में उन्हें बरी कर दिया। बांग्लादेश प्रीमियर लीग में 2015-16 में कोमिला विक्टोरियन के लिए खेलने के लिए लौटे और फाइनल में 3 ओवरों में 3 विकेट ने टीम को अपना तीसरा बीपीएल खिताब दिला दिया।

लेकिन केंट वह टीम है जिसके लिए सबसे ज्यादा दिल से खेले और गजब का प्रदर्शन किया। उम्र बढ़ती रही, टीम इंग्लैंड से नजरअंदाज होते रहे पर खेलते रहे। 2021 में विजडन ने ‘5 क्रिकेटर्स ऑफ़ द ईयर’ में से एक चुना- 1933 में लेस्टरशायर के इवार्ट एस्टिल के बाद सबसे बड़ी उम्र के विजडन के ‘5 क्रिकेटर्स ऑफ़ द ईयर’ में से एक। 40+ की उम्र में सिर्फ डब्ल्यू जी ग्रेस ने एक मैच में 10 विकेट लिए और उसी इंग्लिश सीजन में दोहरा शतक बनाया था- यही स्टीवंस ने किया 2019 में। 1870 के दशक के एडगर विलशर के बाद केंट के लिए नियमित खेलने वाले सबसे बड़ी उम्र के गेंदबाज बने। 2021 में ग्लैमरगन के विरुद्ध शतक और पिछले 35 साल में चैंपियनशिप शतक लगाने वाले सबसे बड़ी उम्र के खिलाड़ी बने। एक कलर ब्लाइंड जिसे भूरे, लाल और हरे रंग के बीच फर्क नहीं मालूम- क्रिकेट पर इसका कोई असर नहीं आने दिया।

केंट के लिए डैरेन स्टीवंस ने आख़िरी सीजन खेल लिया है- 2022 सीजन में खेलने का मतलब है केंट के साथ 17 साल और उम्र 46 साल की। अभी भी रिटायर नहीं हुए हैं- बस केंट ने भविष्य की तैयारी के लिए उन्हें अगले सीजन के लिए कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिया। अभी भी उन्हें पूरी उम्मीद है कि अगले सीजन से पहले कोई और काउंटी क्लब उन्हें कॉन्ट्रैक्ट देगा और वे खेलेंगे ।

अकेले केंट के लिए, तीनों तरह की क्रिकेट में 630 से ज्यादा मैच जिसमें 28,000 से ज्यादा रन और लगभग 900 विकेट उनके नाम हैं। रॉब की, जो इस समय ईसीबी के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, तब केंट के कप्तान थे जब उन्होंने स्टीवंस को नई गेंद की ड्यूटी दी थी- इसी ने उनका करियर हमेशा के लिए बदल दिया। उनके 43 शतकों में से, 2019 में यॉर्कशायर के विरुद्ध 225 गेंदों में करियर का सबसे बड़ा स्कोर 237 हमेशा याद रहेगा।

  • वाल्टर कीटन के बाद से फर्स्ट क्लास क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले सबसे बड़ी उम्र के क्रिकेटर- कीटन ने 1949 में ऐसा ही किया था।
  • पारी में 28 चौके और 9 छक्के- 225 गेंदों पर।
  • इंग्लैंड के इंटरनेशनल क्रिकेटर सैम बिलिंग्स(138) के साथ 346 रन की रिकॉर्ड पार्टनरशिप – उस सीजन में सबसे बड़ी पार्टनरशिप।

क्या ऐसा खिलाड़ी एक भी इंटरनेशनल मैच खेलने का हकदार नहीं था? मौके आए- टेस्ट के लिए 15 में आए, टूर पर गए, 2011 वर्ल्ड कप के लिए शॉर्ट लिस्ट 30 में भी थे पर किसी ने आख़िरी 11 में नहीं चुना।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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