क्रिकेट है तो अभी भी रन और विकेट का खेल लेकिन समय के साथ इतना टेक्निकल, पेचीदा और लॉ की मुश्किल वाला हो गया है कि कभी-कभी इसे खेलने वाले बड़े दिग्गज भी कह देते हैं – अच्छा ऐसा है! हमें तो मालूम ही नहीं था। इसलिए मेरे और आप जैसे क्रिकेट प्रेमी इसे समझने में गलती कर दें तो हैरानी की कोई बात नहीं। पिछले कुछ दिनों में, ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश लीग में कुछ ऐसा ही हुआ- जो हुआ उसे बड़े ध्यान से समझना होगा।
क्या आप जानते हैं कि बीबीएल में ‘टाइम आउट’ का लॉ क्या है? एक विकेट गिरने के 75 सेकंड के अंदर नया बल्लेबाज अगली गेंद खेलने के लिए तैयार होना चाहिए। देरी हो गई तो? बल्लेबाज टाइम आउट और यहां टाइम आउट का मतलब है ‘फ्री बॉल’ की घोषणा जिसमें बल्लेबाज पिच के किनारे खड़ा होगा और गेंदबाज़ खाली पड़े स्टंप्स पर फ्री बॉल फेंकेगा- गेंद स्टंप्स पर लगी तो बल्लेबाज आउट अन्यथा वह पारी आगे खेलेगा।
एडिलेड ओवल में मेलबर्न स्टार्स-एडिलेड स्ट्राइकर्स मैच : इंटरनेशनल क्रिकेटर मार्कस स्टोइनिस ने अपनी टीम के लिए मैच जीता (35 गेंदों में 74 रन) पर ये क्या स्ट्राइकर्स वाले तो कहते हैं कि वह तो ‘टाइम आउट’ थे और अंपायर गलती कर गए। स्टोइनिस की बदौलत मेलबर्न टीम ने नए साल की पूर्व संध्या पर खेले इस मैच को 8 रन से जीत लिया। आरोप है स्टोइनिस 75 सेकंड के अंदर अपनी पहली डिलीवरी का सामना करने में नाकामयाब रहे और उन पर इसकी पेनल्टी लगनी चाहिए थी। अपील हुई जिसे अंपायर ने नहीं माना।
इससे ठीक 11 दिन पहले, सिडनी थंडर के विरुद्ध मैच में स्ट्राइकर्स के होज, पिच पर तो फ़टाफ़ट पहुंच गए पर वहां गार्ड लेने और पिच पर मिट्टी दबाने में लग गए- जब नॉन स्ट्राइकर मैट शॉर्ट चिल्लाए तो उन्हें होश आया कि 75-सेकंड पूरे होने वाले हैं। होज के साथ ऐसा, इससे पहले भी हुआ था।
स्टोइनिस कहते हैं, उन्हें 75 सेकंड की सीमा के बारे में मालूम था और इसी के अंदर वे पहली गेंद खेले। अब बहस ये है कि अगर बल्लेबाज ने 75 सेकंड के अंदर पहली गेंद नहीं खेली तो अपील भी क्यों हो- अंपायर पेनल्टी ही तो दे रहें इसलिए अपने आप दें!
मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलिया- दक्षिण अफ्रीका टेस्ट : मिचेल स्टार्क ने नॉन स्ट्राइकर सिरे पर गेंद फेंके जाने से पहले क्रीज से बाहर निकलने पर आउट की बहस को फिर शुरू कर दिया। स्टार्क ने, दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी के दौरान, डू ब्रुइन को, क्रीज से बाहर होने के बावजूद रन आउट करने से इनकार कर दिया। थ्यूनिस डी ब्रुइन को चेतावनी दी पर आउट नहीं किया और साथ में ये भी कह दिया कि वह ऐसा कभी नहीं करेंगे।
अभी ये चर्चा चल ही रही थी कि एमसीजी में मेलबर्न स्टार्स-मेलबर्न रेनेगेड्स मैच में तमाशा हुआ। रेनेगेड्स की पारी के आखिरी ओवर के दौरान नॉन-स्ट्राइकर सिरे पर इंटरनेशनल क्रिकेटर एडम जम्पा ने रोजर्स को रन के लिए गेंद फेंके जाने से पहले ही क्रीज से आगे निकलने के लिए आउट कर दिया और अपील की। बड़ा शोर था और अंपायर ने अपील सुनी नहीं तो खुद स्टार्स के कप्तान से पूछा कि क्या वह अपील कर रहे हैं? जवाब था- हां। टीवी अंपायर ने रिप्ले देखा और रोजर्स को आउट नहीं दिया। पहली बार, ऐसे किसी भी मामले में अंपायर ने गेंदबाज के गेंद फेंकने के एक्शन को ध्यान से देखा और कहा कि ज़म्पा ने अपना एक्शन पूरा नहीं किया था- इसलिए रोजर्स आउट नहीं।
इस एक फैसले से न सिर्फ दीप्ति के एक्शन, और भी कई एक्शन की अब जांच शुरू हो जाएगी। और भी मजेदार बात ये रही कि मेलबर्न स्टार्स के कोच डेविड हसी ने भी अपने गेंदबाज जम्पा का साथ नहीं दिया। जम्पा बार-बार कहते रहे कि उन्हें ये विकेट चाहिए था- हसी ने कहा अगर टॉम रोजर्स को आउट दे भी देते तो भी वे अपील वापस ले लेते।
ब्रेट ली कहते हैं कि ऐसे हर केस में तमाशा हो रहा है तो क्यों न इस तरह से आउट होना ही हटा दें? वे कहते हैं- ऐसी हर गलती पर 5 रन की पेनल्टी लगा दो। कमी क्या थी- गेंदबाजी आर्म का मुड़ाव जो 90° वर्टिकल से कम था। तो अब आगे से इस रिलीज पॉइंट पर भी बहस हुआ करेगी। आपको याद होगा- दीप्ति ने भी जब डीन को आउट किया था तो इंग्लैंड में सबसे ज्यादा शोर ये कह कर हुआ था कि दीप्ति का वह गेंद फेंकने पूरा इरादा था ही नहीं।
ब्रिसबेन हीट-सिडनी सिक्सर्स : एक बड़ा मजेदार सवाल सामने आया- बाउंड्री या छक्का? आजकल फील्डर बाउंड्री पार करने के बावजूद कैच ले रहे हैं- उससे ये सवाल सामने आया। यहां हीट ऑलराउंडर नेसर ने गेंद को बाउंड्री रोप के ठीक अंदर छुआ लेकिन कैच पूरा नहीं कर पाए तो गेंद को हवा में फेंका, खुद बाउंड्री के बाहर निकल गए, लौटे और बाउंड्री रोप के अंदर कैच पूरा किया। एडम वोग्स के 2009 में ऐसे कैच पर बड़ा हंगामा हुआ था।
यहां ख़ास बात ये है कि नेसर ने पहली बार बाउंड्री के अंदर रहते हुए गेंद को छुआ था। फॉक्स क्रिकेट कमेंटेटर और खेल के दिग्गज, एडम गिलक्रिस्ट और माइक हसी ने भी माना कि उन्हें इस लॉ के बारे में मालूम नहीं था।
- चरनपाल सिंह सोबती