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अमिताभ चौधरी, बीसीसीआई के हाल के सालों के एक प्रभावशाली अधिकारी जिन्होंने रांची में क्रिकेट लाने, बुनियादी ढांचे के विकास और वहां विश्व स्तर के स्टेडियम के बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई- उनका रांची में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 62 साल के थे। 

रांची में क्रिकेट स्टेडियम बनना और इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना सबसे ख़ास है। रांची से पहले, बिहार में इंटरनेशनल मैच, कीनन स्टेडियम- जमशेदपुर में खेलते थे। स्टेडियम का नाम है- झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम। जनवरी 2013 में भारत-इंग्लैंड वनडे इंटरनेशनल से यहां बड़े मैचों को खेलने का सिसिला शुरू हुआ। स्टेडियम में ‘अमिताभ चौधरी पवेलियन’ है।   कहा ये जाता है कि रांची को क्रिकेट में सबसे बड़ी पहचान दी एमएस धोनी ने पर वास्तव में ये श्रेय अमिताभ चौधरी के क्रिकेट स्टेडियम के सपने के नाम होना चाहिए- इसीलिए उन्हें ‘मिस्टर झारखंड क्रिकेट’ भी कहते थे। किसी जुनून की तरह स्टेडियम बनवाया। कई जमीन देखीं- कोई पसंद नहीं आई। किसी ने बताया कि एचईसी (Heavy Engineering Corporation Limited) के पास रांची में काफी जमीन है तो उन से स्टेडियम के लिए जमीन मांग ली। यही वजह है कि कई जगह इस स्टेडियम का नाम, एचईसी स्टेडियम लिखा भी मिलता है। पहला इंटरनेशनल क्रिकेट मैच 19 जनवरी 2013 को और उससे कुछ घंटे ही पहले स्टेडियम का उद्घाटन हुआ। 
वे सीनियर पीसीएस ऑफिसर थे और उनकी ड्यूटी के दौरान रांची में कहा जाता था कि ऐसे पुलिस वाले हैं, जो कभी नहीं सोते नहीं। इसी ड्यूटी में झारखंड में क्रिकेट से जुड़े और झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन में आ गए। वहीं से बीसीसीआई में पहुंचे। 2004 में क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन में आए और एक दशक से ज्यादा तक झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर काम किया।
वे बीसीसीआई की पहली ड्यूटी के तौर पर, 2005 में जिम्बाब्वे टूर पर भारतीय टीम के मैनेजर थे- ये वही टूर है जिसे सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल के बीच झड़प के लिए याद किया जाता है। जब बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर थे तो 2013 से 2015 तक बीसीसीआई के जॉइंट सेक्रटरी के तौर पर काम किया। चौधरी उस समय बीसीसीआई के वर्किंग सेक्रटरी थे, जब सुप्रीम कोर्ट  की कमेटी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेटर्स 2017 की शुरुआत से अक्टूबर 2019 तक बोर्ड के कामकाज को देख रही थी। इसमें कमेटी सदस्यों से उनकी झड़प के कई किस्से हैं। मसलन 2018 की शुरुआत में, सीओए ने कहा कि बीसीसीआई के ज्यादातर ऑफिशियल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंजूर बदलाव वाली नई शर्तों को लागू होने से रोक रहे हैं। इसी तरह अमिताभ चौधरी को मिलने वाला डेली एलाउंस।  
संयोग देखिए कि अनिल कुंबले-विराट कोहली भिड़ंत के दौरान भी वे फ्रंट पर थे। आखिरकार जून 2017 में कुंबले भारत के चीफ कोच पद से हटे। चौधरी ने हाल ही में झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया। दो साल पूरे करने के बाद इस साल जुलाई में ही तो रिटायर हुए थे।  
झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य बनाने के मामले में भी वे खूब चर्चा में रहे पर अपनी धुन के पक्के थे। उदाहरण के लिए नियम बनाया कि अगर एसोसिएशन के आजीवन सदस्य बनना चाहते हैं तो इम्तिहान पास करो- देश की और किसी एसोसिएशन में ऐसी कोई शर्त नहीं थी। यहां तक कि रांची को मशहूर बनाने वाले, महेंद्र सिंह धोनी को भी एसोसिएशन का ‘ऑनरेरी सदस्य’ बनाया और आरोप लगा कि इस तरह से उन्हें न तो वोट देने का अधिकार दिया और न ही एसोसिएशन में एक्टिव होने का मौका।

खैर काम करने में कमाल के थे। झारखंड में 34वें नेशनल गेम्स का आयोजन खराब इंतजाम और खराब मैनेजमेंट के विवाद में फंसा और राज्य की बदनामी हो रही थी तो आखिर में अमिताभ चौधरी को बुलाया गया। उसके बाद सभी ने गेम्स के बेहतरीन आयोजन की तारीफ़ की।

  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “‘मिस्टर झारखंड क्रिकेट’ – रांची में क्रिकेट में एमएस धोनी से भी बड़ी पहचान थे”
  1. शानदार आलेख! सोबती सर् की लेखनी का कोई जोर नही!

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