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इंग्लैंड-वेस्टइंडीज लॉर्ड्स टेस्ट को कैसे याद रखेंगे? क्या- एक दुखद और अजीब टेस्ट, एंडरसन के रिटायरमेंट की कोरियोग्राफी वाला टेस्ट, वेस्टइंडीज टीम के बिना सही वार्मअप लॉर्ड्स में खेलने की हिमायत वाला टेस्ट या खत्म हो रही टेस्ट क्रिकेट के ताबूत में एक और बड़ी कील ठोकने वाला टेस्ट?

आज के क्रिकेट प्रेमियों की पीढ़ी यह सोच भी नहीं पाएगी कि ज्यादा पुरानी बात नहीं जब इंग्लैंड टूर कम से कम 3-4 महीने चलता था और पहले टेस्ट से पहले ही मेहमान टीम 8-10 बेहतर स्तर वाले काउंटी मैच खेल लेती थी। आज हालत ये है कि जहां एक तरफ वेस्टइंडीज के कुछ सबसे बेहतर क्रिकेटर पिछले 6 महीने से टी20 क्रिकेट खेल रहे हैं- वहीं जनवरी में टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को आउट कर सनसनी बनने वाले शमर जोसेफ ने उसके बाद से सिर्फ 14 ओवर फेंके थे और टेस्ट खेलने आ गए।

इस टेस्ट से एक हफ्ता पहले की एक खबर की कहीं रिपोर्टिंग नहीं हुई। क्रिकेट के कुछ सबसे पावरफुल लोग और खिलाड़ी एमसीसी के वर्ल्ड क्रिकेट कनेक्ट्स कांफ्रेंस (लॉर्ड्स) में मौजूद थे और वहां क्रिकेट वेस्टइंडीज के सीईओ जॉनी ग्रेव ने साफ़ कहा कि अगर क्रिकेट के इस फॉर्मेट को केरेबियन में बचाना है तो क्रिकेट में जो पैसा है- उसे बांटने का तरीका बदलना होगा। किसी ने इस स्टेटमेंट को ज्यादा भाव नहीं दिया और ज्यादा चर्चा इस बात पर हुई कि वाइट-बॉल क्रिकेट को पसंद करने वाले युवा प्रशंसकों की जेब से और पैसे कैसे निकाले जाएं?

जब एंडरसन ने टेस्ट खेलना शुरू किया तब से टेस्ट कम और कम होते जा रहे हैं और ऐसे ही चला तो संभव है 2020 वाले ये साल खत्म होने तक 5-6 देश ही टेस्ट खेल रहे होंगे। इस विदाई में एंडरसन के बारे में बहुत कुछ कहा और लिखा गया, उसके पीछे का सच तो देखिए- एंडरसन सिर्फ 700 विकेट लेने वाले या 40 हजार गेंद फेंकने वाले पहले तेज गेंदबाज नहीं बल्कि ऐसा रिकॉर्ड बनाने वाले संभवत आखिरी गेंदबाज़ भी हैं। पिछले 21 साल में जिस लगन और मेहनत से वे खेले- और कौन खेल रहा है? उनके सामने क्रिकेट में युग बदल रहा है। 1950 में, वेस्टइंडीज ने पहली बार इंग्लैंड में टेस्ट मैच जीता था तो उसे क्रिकेट में एक नई पावर की शुरुआत कहा गया था- उसी लॉर्ड्स में. वही टीम टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ तमाशा करने वाली क्रिकेट खेली।

74 साल बाद लॉर्ड्स टेस्ट में वेस्टइंडीज के खिलाड़ी सिर्फ लाइन में लगे ही दिखाई दिए- या तो जेम्स एंडरसन के फेयरवेल के लिए अन्यथा फटाफट आउट होने के लिए। मैच में किसी वेस्टइंडीज खिलाड़ी ने 31 से बड़ा स्कोर नहीं बनाया। टेस्ट के पहले दिन उनके कुछ सपोर्टर ग्राउंड में थे- तीसरे दिन तक सब गायब हो चुके थे। क्या आप जानते हैं टेस्ट सीरीज की तैयारी के नाम पर और इस लॉर्ड्स टेस्ट में एंडरसन और एटकिंसन को खेलने के लिए, वेस्टइंडीज टीम ने क्या किया-  टोन ब्रिज स्कूल में ट्रेनिंग कैंप और उसी दौरान इधर-उधर से जुटाए कुछ युवा के साथ बेकेनहम में एक 3 दिन का मैच और उसे भी जीत नहीं पाए।

जो क्रिकेट चला रहे हैं (वेस्टइंडीज बोर्ड और ईसीबी) उनसे पूछा जाना चाहिए कि क्रेग ब्रेथवेट के इन मासूम क्रिकेटरों के लिए बिना प्रैक्टिस, अजीब इंग्लिश परिस्थितियों में लॉर्ड्स टेस्ट खेलने का प्रोग्राम कैसे बना दिया? उनके टॉस हारते ही ये 3 दिन वाला टेस्ट था। सच ये है कि अगर इंग्लैंड को दूसरी शाम 30 मिनट एक्स्ट्रा दे देते तो इस तीसरे दिन की भी जरूरत नहीं पड़ती। नोट कीजिए- दूसरे टेस्ट और तीसरे टेस्ट से पहले भी वेस्टइंडीज टीम कोई प्रैक्टिस मैच नहीं खेल रही।

लॉर्ड्स में वेस्टइंडीज की 7 सेशन में हार इस बात का साफ़ संकेत है कि भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बाहर रेड-बॉल क्रिकेट इस समय बड़ी खस्ता हालत  में है। टेस्ट तीसरे दिन एक घंटे बाद खत्म होने का मतलब है दो दिन और ढाई सेशन का खेल गया, टेस्ट से वह ‘वीक एंड’ गया जब छुट्टी वाले दिन लोग बच्चों को टेस्ट दिखाने लाते, एमसीसी को गेट मनी का नुकसान और कई अन्य तरह के इंतजाम- सब बर्बाद हुए। क्या इस टेस्ट का स्तर जेम्स एंडरसन जैसे क्रिकेटर के लिए सही विदाई था? 
इसीलिए इस चर्चा में दम है कि टीमों को दो डिवीजन में बांट दो, दूसरी डिवीजन की टीम खेलें ही 3 दिन वाले टेस्ट और जो टीम इंग्लैंड में काउंटी टीम से मैच खेलने लायक नहीं- उन्हें टेस्ट क्यों खेलने दें? टेस्ट मैच के तीसरे दिन के लिए टिकट खरीदना समझदारी नहीं रह गया है।

वेस्टइंडीज क्रिकेट की इस औसत दर्जे की क्रिकेट की कई वजह हैं- उन के युवा खिलाड़ी अमेरिका की कल्चर की तरफ आकर्षित हो रहे हैं- इसलिए क्रिकेट नहीं, बास्केटबॉल पहली पसंद है। जो बेहतर क्रिकेटर हैं वे टी20 फ्रेंचाइजी क्रिकेट खेलते हैं क्योंकि बेहतर पैसा मिलता है। दोष उनका नहीं क्योंकि हर कोई पैसा कमाना चाहता है। क्रिकेट वेस्टइंडीज के पास इतना पैसा है नहीं कि इन्हें रोक ले। इसलिए इस मुद्दे पर भारत के बढ़ते प्रभुत्व की आलोचना करने वाले दोष की सुई आईपीएल के नए वैल्यूएशन (16.4 बिलियन डॉलर- लगभग 136972 करोड़ रुपये) और आईसीसी की कमाई में से बीसीसीआई के 38.5 प्रतिशत हिस्से पर ले आते हैं। ये कोई नहीं देखना चाहता है कि जिस कमाई में से ये हिस्सा बंट रहा है- उसे हासिल करने के लिए किसका योगदान कितना है? सबसे पहले वे अपने देश में क्रिकेट संभालें।

अब सवाल फ्यूचर टेस्ट प्रोग्राम पर आ गया है- इसका अपना फ्यूचर अंधकार में है। इंग्लिश समर में क्या ऐसी कमजोर टीम (और श्रीलंका भी अगली सीरीज में ऐसे ही खेली तो क्या होगा) के विरुद्ध खेलना जारी रखें क्योंकि ऑस्ट्रेलिया या भारत हर सीजन में नहीं आ सकते। दक्षिण अफ्रीका ने इस साल की शुरुआत में न्यूजीलैंड में खेलने जो टीम भेजी वह उनकी थर्ड इलेवन थी क्योंकि उनके बेहतर क्रिकेटर तो फ्रैंचाइज़ी क्रिकेट खेल रहे थे। पाकिस्तान में टैलेंट है पर आपस में भिड़ने से फुर्सत नहीं, न्यूजीलैंड में अब शायद ही कोई टेस्ट क्रिकेट देखता है। आयरलैंड, बांग्लादेश और जिम्बाब्वे आपस में ही अच्छा खेल सकते हैं। ये लॉर्ड्स टेस्ट एक चेतावनी है। इसीलिए यहां तक सुझाव है कि जिस इंग्लिश सीजन में भारत या ऑस्ट्रेलिया टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल रहे- एक ‘रेस्ट ऑफ द वर्ल्ड इलेवन’ सीरीज खेले।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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