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सब जानते हैं नई सेलेक्शन कमेटी बन रही है। इसकी जरूरत इसलिए आ गई कि चेतन शर्मा की पूरी सेलेक्शन कमेटी की छुट्टी कर दी। नई कमेटी में आने के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख निकल चुकी है (28 नवंबर 2022)  और अब सीएसी को दावेदारों के इंटरव्यू लेने हैं और बनाने हैं नए सेलेक्टर।

नई कमेटी के लिए पहला काम- 2023 में श्रीलंका के विरुद्ध भारत में लिमिटेड ओवर सीरीज के लिए टीम चुनना। चेतन शर्मा का पैनल, ‘सैक’ किए जाने के बावजूद, हाल-फिलहाल काम कर रहा है और नई कमेटी बनने तक वे काम करेंगे।बीसीसीआई को हर जोन से एक सेलेक्टर की जरूरत है हालांकि कमेटी की संरचना में कहीं ये नहीं लिखा कि हर ज़ोन से एक सेलेक्टर होना चाहिए। बहरहाल हर जोन के क्रिकेटरों का प्रतिनिधित्व हो सके इसके लिए सेलेक्टर ज़ोन प्रतिनिधि माने जाते हैं। पहले सिस्टम था जोन की क्रिकेट एसोसिएशन, आपस में तय करती थीं कि किसे भेजना है सेलेक्शन कमेटी में पर जब  बीसीसीआई ने सेलेक्टर्स को काम की फीस देना शुरू किया तो सेलेक्टर बनाने का अधिकार भी अपने हाथ में ले लिया। इसीलिए अब क्रिकेटर, सेलेक्टर बनने के लिए आवेदन करते हैं और बोर्ड की 3 सदस्य की क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी, इंटरव्यू लेती है।

ऑफिशियल तौर पर बोर्ड ने ये नहीं घोषित किया है कि दावेदार कौन कौन हैं या किन्हें शॉर्टलिस्ट कर रहे हैं पर बीसीसीआई के सूत्रों के मुताबिक कुछ ख़ास नाम ये हैं : नार्थ जोन : मनिंदर सिंह, अतुल वासन, निखिल चोपड़ा, अजय रात्रा, रतिंदर सोढ़ी।
ईस्ट जोन : शिव सुंदर दास, प्रभंजन मल्लिक, आरआर परिदा, सुभोमोय दास, एस लाहिड़ी, शरदिंदु मुखर्जी, सुब्रतो बनर्जी।सेंट्रल जोन : ज्ञानेन्द्र पांडेय, अमय खुरसिया।
वेस्ट जोन: सलिल अंकोला, समीर दिघे, विनोद कांबली।
साउथ जोन : कंवलजीत सिंह, हेमांग बदानी ,वेंकटेश प्रसाद, डोड्डा गणेश, जैकब मार्टिन। मौजूदा पैनल से तीन सदस्य फिर से इसी ड्यूटी के लिए आवेदन कर सकते थे- सिर्फ चेतन शर्मा और हरविंदर सिंह ने आवेदन किया है, सुनील जोशी ने नहीं। 

नाम पर गौर कीजिए- इन में से कोई ऐसा नाम नहीं जो दिग्गज कहा जाए। एक समय था जब सिर्फ बड़े और दिग्गज सेलेक्शन कमेटी में आते थे और चीफ बनते थे। ईस्ट जोन की स्थिति इस मामले में कमजोर थी- ज्यादा बड़े नाम न होने या टेस्ट न खेलने के कारण। लाला अमरनाथ, विजय मर्चेंट, चंदू बोर्डे, बिशन सिंह बेदी और दिलीप वेंगसरकर जैसे बड़े खिलाड़ी कमेटी चीफ रहे हैं। एक भी टेस्ट न खेले राज सिंह डूंगरपुर की क्रिकेट समझ किसी से कम नहीं थी- इसीलिए टेस्ट क्रिकेटर के कमेटी में होने के बावजूद उन्हें चीफ बनाया गया।

आज भी कई बड़े-बड़े दिग्गज एक्टिव हैं, भारतीय क्रिकेट को उनके अनुभव और क्रिकेट समझ की जरूरत है पर वे सेलेक्शन कमेटी में नहीं आते। क्यों? इसका कोई तय जवाब तो नहीं पर  वजह समझना ज्यादा मुश्किल भी नहीं। इन सेलेक्टर के सेलेक्टर यानि कि सीएसी खुद इस ‘योग्य’ नहीं कि इन दिग्गजों का इंटरव्यू ले। अब देखिए नई बनी सीएसी में अशोक मल्होत्रा, जतिन परांजपे और सुलक्षणा नाइक हैं। इनमें से, इसके हैड अशोक मल्होत्रा ने 7 टेस्ट और 20 वनडे खेले और वे सबसे सीनियर हैं। जतिन सिर्फ 4 वनडे इंटरनेशनल खेले जबकि सुलक्षणा ने 2 टेस्ट, 46 वनडे और 31 टी20 इंटरनेशनल खेले पर महिला क्रिकेट से हैं।

जब ये, इंटरव्यू लें सुनील गावस्कर, कपिल देव, रवि शास्त्री, अनिल कुंबले या वीरेंद्र सहवाग जैसों का तो कैसा लगेगा? ये इन ‘दिग्गजों’ को रिजेक्ट भी तो कर सकते हैं। राहुल द्रविड़ जैसे सीनियर को कोच बनाने के लिए 2 सदस्य की जिस कमेटी ने उनका इंटरव्यू लिया था उसमें रूद्र प्रताप सिंह और सुलक्षणा थे। ठीक है रूद्र ने 14 टेस्ट, 58 वनडे और 10 टी20 इंटरनेशनल खेले पर क्या वे ये ‘तय’ कर सकते थे कि टीम इंडिया को किस कोच की जरूरत है? यहां मुद्दा रूद्र की योग्यता पर सवालिया निशान लगाना नहीं, बीसीसीआई की, न सिर्फ सेलेक्शन कमेटी, सीएसी में भी बड़े नाम ला पाने की नाकामयाबी का है। जो नाम अब सेलेक्टर बनने के लिए सामने आए हैं इनमें से कई तो कोई ख़ास ‘एक्टिव’ भी नहीं पर चूंकि क्वालिफिकेशन को पूरा करते हैं- इसलिए आवेदन कर दिया। भारतीय क्रिकेट में ऐसी सोच का कोई महत्व नहीं।

उस पर चुनी टीम का प्रदर्शन सही न रहे तो आलोचना का निशाना बनो। ये भी कि गावस्कर, कपिल, रवि शास्त्री और कुंबले बिना जवाब देह हुए- एक सेलेक्टर की फीस से कहीं ज्यादा पैसा कमा रहे हैं और दूसरे कामों से तो वे ऐसे काम में क्यों आएं, जो हर समय मुश्किल पैदा करे? हाल के सालों में सेलेक्शन कमेटी के काम में बहुत दखलंदाजी भी हो रही है। सेलेक्शन कमेटी का खुद कमजोर होना, उन्हें बैक फुट पर ले आता है। पिछले दो चीफ एमएसके प्रसाद और चेतन शर्मा इसका सबूत हैं। राज सिंह डूंगरपुर जैसे हिम्मती चीफ में ही अजहर को कप्तान बनाने का दम था। नवाब पटौदी से कप्तानी छीनने का दम विजय मर्चेंट जैसे चीफ में ही था।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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