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आम तौर पर बीसीसीआई की 2022 की एजीएम की चर्चा, जय शाह की मौजूदगी में, सौरव गांगुली के जाने और रोजर बिन्नी के अध्यक्ष के तौर पर आने की खबर बन गई। इस चक्कर में एक बड़ी पोस्ट पर आए एक नए नाम पर किसी ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अब ये अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि बीसीसीआई में, इस राजनीतिक माहौल में भी, कोई अगर ट्रेजरर बन गया तो क्या वह कोई साधारण व्यक्ति होगा? जी हां, यहां आशीष शेलार की बात कर रहे हैं- शोर इसलिए नहीं कि शुरुआत वैसी जैसे ‘टीम इंडिया’ में कोई नया बल्लेबाज शुरू की कुछ गेंद संभल कर खेलता है। नाम नोट कर लीजिए- बीसीसीआई में अगले बिग गन का। वे मुंबई क्रिकेट से आए हैं बीसीसीआई में और उनके पास  क्रिकेट और राजनीति दोनों की बिल्कुल सही क्वालिफिकेशन है।  
बीसीसीआई की नई टीम में, आशीष शेलार नए ट्रेजरर और नई पोस्ट पर चयन होते ही आशीष शेलार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को धन्यवाद दिया। अब बात आती है कि वे हैं कौन और परिचय इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वे मुंबई क्रिकेट से बीसीसीआई में आए हैं। नए ट्रेजरर के हाथ में बीसीसीआई के 9629 करोड़ रुपये के खजाने की चाबी है। उनके बारे में :

  • वे मुंबई बीजेपी अध्यक्ष हैं।
  • आशीष शेलार की क्रिकेट इनिंग्स जून 2015 में शुरू हुई थी- मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन( एमसीए) के सदस्य बने।
  • सिर्फ क्रिकेट से नहीं जुड़े। एमसीए में आने के बाद, मुंबई डिस्ट्रिक्ट फुटबॉल एसोसिएशन की अध्यक्षता संभाली। राजस्थान स्पोर्ट्स क्लब (इसके साथ 350 से ज्यादा क्लब हैं) के उपाध्यक्ष बने।
  • 12 जनवरी, 2017 को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बन गए। इस तरह से पिछले कई साल से क्रिकेट और राजनीति दोनों में हैं और एमसीए अध्यक्ष के तौर पर टी20 मुंबई लीग शुरू करने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है।  बांद्रा वेस्ट से एमएलए हैं।    इन दिनों में बीसीसीआई के साथ-साथ एमसीए चुनाव की भी बड़ी चर्चा थी और जब तक उनका नाम, बीसीसीआई की रिंग में नहीं आया था- वे एमसीए अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे- उसके बाद एमसीए चुनाव से हट गए। एमसीए चुनाव की चर्चा अलग से करेंगे।
  • आशीष शेलार को गृह मंत्री शाह के करीबी और विश्वासपात्र में गिना जाता है और पार्टी को बीएमसी में जीत दिलाना उनका राजनीति में अगला लक्ष्य है। मुंबई और महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी प्रभावशाली हस्ती हैं वे।   अगर ज्यादा पीछे न जाएं तो महाराष्ट्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार और कांग्रेस के विलासराव देशमुख जैसे उन राजनेताओं की लिस्ट में अब उनका भी नाम है जो भारतीय क्रिकेट पर भी छा गए। मजे की बात ये है कि राजनीति में प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद, उन्हें हमेशा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार (भूतपूर्व बीसीसीआई, आईसीसी  और एमसीए अध्यक्ष) का आशीर्वाद मिला है। एमसीए चुनाव के लिए भी पवार के साथ मिलकर ग्रुप बनाया था। तो इस तरह पवार के आशीर्वाद के अलावा अमित शाह का समर्थन उनके साथ है।
  • 2013 में पहली बार क्रिकेट की राजनीति में शामिल हुए और एमसीए उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़े- हार गए थे। तब वे इससे भी ज्यादा इस बात पर ख़बरों में थे कि बीजेपी के दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे के नाम को एमसीए अध्यक्ष पद के लिए आगे कर दिया- हालांकि सामने शरद पवार थे। मुंडे ने कहा वे पवार के एकाधिकार को तोड़ना चाहते थे (2001 से 2011 तक एमसीए अध्यक्ष रहे थे और बाद में कांग्रेस के विलासराव देशमुख अध्यक्ष बने)। संयोग से, मुंडे की कोशिश नाकामयाब रही और वे तो इस गलती पर चुनाव ही नहीं लड़ पाए कि उनका स्थायी पता मुंबई का नहीं था। मामला कोर्ट में पहुंचा जहां एक कोर्ट ने पवार को एमसीए अध्यक्ष के तौर पर काम करने से रोक दिया पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया। एमसीए चुनाव कितने ख़ास होते हैं इसका अंदाजा तो इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र के उस समय के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की मां प्रेमिला चव्हाण (इंडियन वूमन क्रिकेट एसोसिएशन की संस्थापक और अध्यक्ष) भी 2013 के उस साल एमसीए अध्यक्ष के चनाव को लड़ने के लिए तैयार थीं।
  • 2013 का एमसीए चुनाव तो निकल गया पर 2015 में एमसीए चुनाव एक सीधी राजनीतिक लड़ाई थे- पवार अध्यक्ष और शेलार उपाध्यक्ष पद के लिए ‘बाल महादलकर ग्रुप’ में तो  ‘क्रिकेट फर्स्ट ग्रुप’ में विजय पाटिल (सीनियर कांग्रेस नेता डी.वाई. पाटिल के बेटे) अध्यक्ष के उम्मीदवार और ठाकरे परिवार भी उनके साथ अपने उपाध्यक्ष उम्मीदवार के साथ। तब भी पवार और शेलार जीत गए।
  • शेलार 2017 में एमसीए अध्यक्ष बने- पवार के लोढ़ा पैनल की सिफारिशों के बाद, इस्तीफा देने से।   इस साल भी, पवार ने पहले तो संदीप पाटिल का समर्थन किया जबकि शेलार ने उम्मीदवारों का अपना पैनल बनाया पर बाद में दोनों के बीच बंद कमरे में हुई मीटिंग के बाद, उन्होंने पवार-शेलार पैनल बना दिया।  क्रिकेट की राजनीति में मकसद बहुत अलग हैं और हर पार्टी उस में हिस्सा लेना चाहती है।
  • एडवोकेट हैं आशीष शेलार। बॉलीवुड के प्रति प्रेम और संगीत के प्रति जुनून (मोहम्मद रफी के कट्टर प्रशंसक) के लिए भी पहचाने जाते हैं।

साउथ-सेंट्रल मुंबई में एक जर्जर चॉल में जिंदगी शुरु करने के बाद, शेलार ने बी.एससी किया और बाद में एलएलबी की डिग्री हासिल की। मुश्किलों से जूझना उन्हें खूब आता है। एक युवा आरएसएस स्वयंसेवक के तौर पर शुरूआत की। एबीवीपी और बीजेवाईएम के सदस्य से बने म्युनिसिपल कॉर्पोरेटर, बीएमसी में पार्टी के नेता, एमएलसी और उसके बाद एमएलए। अब बांद्रा से दूसरी बार विधायक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री (अब डिप्टी सीएम) देवेंद्र फडणवीस की पिछली बीजेपी सरकार के लगभग आखिर में, शेलार का मंत्री बनने का सपना पूरा हुआ पर सरकार जल्दी ही हट गई। अब नई इनिंग्स बीसीसीआई में है।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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