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अजहर अली ने इंग्लैंड के विरुद्ध कराची में अपना आखिरी टेस्ट खेल लिया- 97 टेस्ट और पाकिस्तान के लिए सबसे ज्यादा टेस्ट की लिस्ट में 6 नंबर पर। ये गिनती अपने आप बता देती है कि पाकिस्तान क्रिकेट में अजहर का योगदान क्या है- आधुनिक पाकिस्तानी क्रिकेट के सबसे सफल करियर में से एक। उन पर, कम से कम अभी तो सेलेक्टर्स की तरफ से ऐसा कोई दबाव नहीं था कि टेस्ट टीम में उनकी जगह खतरे में है। तब भी, 100 टेस्ट खेलने के रिकॉर्ड का भी इंतजार नहीं किया।

पाकिस्तान के रन-स्कोरिंग चार्ट में 7142 रन के साथ नंबर 5 और इस दौरान कई ऐसी पारियां खेलीं जो उन्हें एक टॉप बल्लेबाज साबित करती हैं पर हाल के सालों में कभी भी टॉप बल्लेबाज के तौर पर उनका नाम लेने में जानकार हमेशा कंजूसी करते रहे। आज भी बाबर और रिजवान का जिक्र उनसे पहले होता है।

7000 टेस्ट रन उस बल्लेबाज के नाम जिसने एक लेग स्पिनर के तौर पर खेलना शुरू किया- क्या ये कम है? ये ठीक है कि ‘फॉर्मेट स्पेशलिस्ट’ खिलाड़ियों का समय आ गया है पर 53 वनडे इंटरनेशनल (1845 रन, 36.90 औसत, 3 शतक) के रिकॉर्ड के बावजूद पाकिस्तान ने उन्हें एक भी टी20 इंटरनेशनल में नहीं खिलाया। जिन्हें कोई टी20 इंटरनेशनल खेलने का मौका नहीं मिला पर वे टेस्ट और वनडे खेले- ऐसे खिलाड़ियों की लिस्ट में अजहर टॉप में से एक हैं।

इसकी भी अज़हर ने कभी चिंता नहीं की और वे टेस्ट क्रिकेट में रन बनाने का काम बखूबी करते रहे। दूसरी टीम के गेंदबाजों के लिए उनका विकेट एक चुनौती बना रहा। इसी तरह, पाकिस्तान ने उन्हें कभी उस विश्वास के साथ कप्तान नहीं बनाया जिसकी जरूरत थी। ये तब हुआ जबकि उन्होंने संकट में टीम की जिम्मेदारी उठाई- 9 टेस्ट में कप्तानी तब शुरू हुई जब 2019 में सरफराज अहमद विवादास्पद हालात में हटाए गए तथा 2015 से वनडे में वर्ल्ड कप के बाद टीम को संभाला। इस चक्कर में उनकी अपनी फार्म पर असर आया और इसीलिए कप्तान बनना उन्हें रास नहीं आया। सेलेक्टर भी इंतजार के मूड में नहीं थे।

जब भी अजहर अली के बेहतरीन टेस्ट करियर को देखेंगे तो उनके 302* विरुद्ध वेस्टइंडीज, दुबई (2016) का ख़ास जिक्र जरूर होगा। ये सिर्फ दूसरा गुलाबी गेंद टेस्ट था और अजहर अली ने इनमें में पहला ट्रिपल शतक बना कर इतिहास लिख दिया। जाने-पहचाने फ्लैट ट्रैक पर, 23 चौकों और 2 छक्कों के साथ तिहरा शतक लगाने वाले चौथे पाकिस्तानी खिलाड़ी- लगभग 11 घंटे से ज्यादा बल्लेबाजी की और पाकिस्तान ने 155.3 ओवरों में 579/3 का स्कोर बनाया।

इसी तरह, 205* विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया, मेलबर्न (2016) भी उसी साल बनाए- ऑस्ट्रेलिया में दोहरा शतक बनाने वाले पहले पाकिस्तानी खिलाड़ी और एमसीजी में 32 साल में ऐसा करने वाले पहले। पाकिस्तान के स्कोर के लगभग आधे रन उनके थे- 205* पाकिस्तान के 443/9 पारी समाप्त घोषित में। इसे अजहर अली की एशिया के बाहर संभवतः सर्वश्रेष्ठ टेस्ट पारी गिनते हैं।

141* बनाए विरुद्ध इंग्लैंड, साउथेम्प्टन (2020) में इंग्लैंड टूर में। इंग्लैंड के 583/8 ने शुरू से पाकिस्तान पर दबाव बना दिया था। नंबर 3 अजहर तीसरे ओवर में बल्लेबाजी करने आए और इसमें मोहम्मद रिजवान के साथ 138 रन की साझेदारी की। जब दूसरी पारी में, पाकिस्तान की बैटिंग लाइन-अप जुट गई टेस्ट बचाने पर तो अज़हर अली भी इसमें शामिल थे और 114 गेंदों खेल गए 31 रन बनाने के लिए।

127 विरुद्ध वेस्टइंडीज बने थे रोसो (2017) में और ये टेस्ट कमाल का था- नेल-बाइटिंग फिनिश और यूनुस खान एवं मिस्बाह-उल-हक की विदाई। पहली पारी में अजहर के शतक ने नींव रखी यादगार जीत की। 334 गेंद खेले लगभग आठ घंटे तक बल्लेबाजी में। जब 103 बनाए विरुद्ध श्रीलंका, दुबई (2014) में तो अंदाज बिलकुल अलग था- दिखाया कि जरूरत में एकदम तेज भी खेल सकते हैं। टेस्ट की चौथी पारी में 59 ओवरों में 309 रन की जरूरत थी और अजहर ने सरफराज अहमद और मिस्बाह-उल-हक के साथ कीमती साझेदारी निभाते हुए 137 गेंदों पर 103 रन बना दिए। जब आउट हुए तो जीत ज्यादा दूर नहीं थी।

इतना सब किया सही तारीफ़ और पहचान के बिना- ठीक वैसे ही, जैसे कि अपनी आखिरी टेस्ट पारी में 0 पर आउट हो गए।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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