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क्या आज ऐसी दो ‘टीम इंडिया’ बन सकती हैं जो सब पर भारी पड़ें ? पिछले कुछ महीने में भारत ने ऑस्ट्रेलिया टूर और उसके बाद इंग्लैंड के विरुद्ध अपनी पिचों पर युवा खिलाडियों के साथ जिस तरह की क्रिकेट खेली, उससे ये चर्चा शुरू हुई कि आज जैसी बेंच स्ट्रेंथ है- उससे तो भारत एक साथ दो टेस्ट टीम मैदान में उतार सकता है। दो टेस्ट टीम तो नहीं बनाईं पर ‘टीम इंडिया’ के नाम से दो टीम के अलग अलग दिनों में दो अलग अलग टूर पर खेलने का रिकॉर्ड बनने जा रहा है। अभी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल और इंग्लैंड के विरुद्ध इंग्लैंड में सीरीज की चर्चा चल ही रही थी कि BCCI ने एक टीम जुलाई में श्रीलंका टूर पर भेजने की सहमति दे दी – इस टूर में तीन वन डे और तीन टी 20 इंटरनेशनल खेलेंगे। ये बड़ी साफ़ बात है कि श्रीलंका में कोई ‘इंडिया ए’ नाम की टीम नहीं खेलेगी- ‘टीम इंडिया’ ही खेलेगी और मैच इंटरनेशनल गिने जाएंगे।

तो सीधी सी बात ये है कि श्रीलंका में तीन वन डे इंटरनेशनल 13,16 और 19 जुलाई को हैं और इसके बाद टी 20 इंटरनेशनल 22, 24 और 27 जुलाई को। दूसरी तरफ विराट कोहली की टीम इंग्लैंड में जुलाई में एक्शन में नहीं होगी क्योंकि उन्हें 18 से 22 जून तक वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल में खेलना है और इंग्लैंड के विरुद्ध 5 टेस्ट की टेस्ट सीरीज 4 अगस्त से शुरू होगी। इस तरह ये तो तय है कि एक दिन में, भारत की दो अलग अलग टीम के दो अलग अलग स्टेडियम में दो अलग अलग इंटरनेशनल मैच खेलने का रिकॉर्ड अभी भी नहीं बनेगा। तब भी शिखर धवन, भुवनेश्वर कुमार, हार्दिक पांड्या, युजवेंद्र चहल, संजू सैमसन, पृथ्वी शॉ, दीपक चाहर, राहुल चाहर, जयदेव उनादकट, कुलदीप यादव, वरुण चक्रवर्ती और राहुल तेवतिया जैसे खिलाड़ियों के उपलब्ध होने से श्रीलंका टूर के लिए कोई कमज़ोर टीम नहीं बनेगी।

पाकिस्तान के दिग्गज इंजमाम-उल-हक ने कहा कि भारत एक ही समय में दो अलग अलग नेशनल टीम को मैदान में उतारने वाला पहला देश है – उनकी इस स्टेटमेंट में BCCI के ऐसा करने के फैसले के प्रति हैरानी झलकती है तो भारत की बेहतर बेंच स्ट्रेंथ को मान लेना भी पर इतिहास की कसौटी पर उनकी ये बात सही नहीं है। आगे देखते हैं – कैसे ? इंज़माम ने आगे कहा कि ऑस्ट्रेलिया जब क्रिकेट में टॉप पर था तो उन्होंने भी ऐसा ही कुछ करने की कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहे। इंजमाम ने अपने यू ट्यूब चैनल इंजमाम उल हक – द मैच विनर के ताजा एपिसोड में कहा- ‘एक देश में एक टीम और दूसरे देश में अलग टीम, और दोनों नेशनल टीमे हैं। ऑस्ट्रेलिया टॉप पर था तो 1995 से 2005-2010 तक ऑस्ट्रेलिया ए और ऑस्ट्रेलिया बी नाम की दो अलग अलग इंटरनेशनल टीम बनाने की कोशिश की लेकिन उन्हें इजाजत नहीं मिली। भारत वो कर रहा है जो ऑस्ट्रेलिया भी अपने टॉप पर नहीं कर सका।’

असल में पिछले दिनों की क्रिकेट को देखते हुए चर्चा तो ये चल रही थी कि अगर इतनी अच्छी बेंच स्ट्रेंथ है तो क्या ‘टीम इंडिया’ की आज दो ऐसी टीम बन सकती हैं जो टेस्ट में सब पर भारी पड़ें ? ऑस्ट्रेलिया में पिछली सीरीज में जीत की सबसे ख़ास बात ये थी कि कई नियमित खिलाड़ियों की गैर मौजूदगी के बावजूद, अच्छी बेंच स्ट्रेंथ की बदौलत भारत ने टेस्ट और सीरीज को जीता। इस साल जब अहमदाबाद में चौथे टेस्ट में इंग्लैंड को हराया, तब भी टीम इंडिया में कई नियमित खिलाड़ी नहीं थे पर इंग्लैंड की एक न चली। हर किसी ने टीम इंडिया की बेंच स्ट्रेंथ की तारीफ की। टीम में किसी ख़ास जगह का कोई नियमित खिलाड़ी नहीं खेला तो टीम डगमगाई नहीं। सच ये है कि बेंच स्ट्रेंथ से आए खिलाड़ी किसी- किसी मौके पर इतना अच्छा खेल गए कि लगा कि नियमित खिलाड़ी को वापसी कैसे कराएंगे ?

अब ये देखें कि क्या इससे पहले कभी ऐसा हुआ है कि एक देश ने एक ही समय पर दो अलग अलग इंटरनेशनल खेलने वाली टीम बनाई हों? सिर्फ ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, क्लाइव लॉयड की कप्तानी के समय वेस्टइंडीज में भी ऐसी चर्चा हुई पर कभी ‘दो’ टेस्ट टीम बनाईं नहीं। विश्वास कीजिए एक बार ऐसा हुआ है। इंग्लैंड ने आर्थर गिलिगन की कप्तानी में 10 जनवरी 1930 से 24 फरवरी 1930 के बीच न्यूजीलैंड में 4 टेस्ट और एफ केलथोरपे की कप्तानी में 11 जनवरी 1930 से 11 अप्रैल 1930 के बीच वेस्टइंडीज में 4 टेस्ट की सीरीज खेली। उसके बाद ये प्रयोग फिर कभी नहीं किया गया।

और भी बड़ा सच ये है कि भारत भी इससे पहले ऐसा प्रयोग कर चुका है लेकिन अंदाज़ अलग था।1998 में, कुआलालंपुर में कॉमनवेल्थ गेम्स और पाकिस्तान के विरुद्ध सहारा कप टूर्नामेंट की तारीखों में टकराव हो गया। इस मौके पर BCCI ने टॉप खिलाड़ी बाँट दिए। यहां भी फर्क ये रहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स में खेले गए क्रिकेट मैच ‘इंटरनेशनल’ नहीं गिने गए। इसका मतलब ये है कि तब भी भारत के एक ही दिनों में दो अलग अलग देश में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का रिकॉर्ड नहीं बना। जानकार BCCI के इस विवादास्पद प्रयोग को ‘फ्लॉप शो’ गिनते हैं – क्यों , ये एक अलग स्टोरी है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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