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टी 20 वर्ल्ड कप पहला सेमीफाइनल : पाकिस्तान (153-3) ने न्यूजीलैंड (152-4) को 7 विकेट से हराया और इसमें उनकी ओपनर जोड़ी ने 100 वाली पार्टनरशिप दर्ज की। ये दोनों वे फैक्ट हैं जो पाकिस्तान टीम के नाम के साथ लिखना बंद हो गया था। पाकिस्तान टीम ‘वर्ल्ड कप से बाहर’ लिख रहे थे- हालांकि अभी उनके हिस्से के मैच बचे थे और ओपनर तो, ख़ास तौर पर बाबर आजम की वजह से, बिलकुल फ्लॉप थे। तब भी पाकिस्तान ने न तो उम्मीद छोड़ी और न ही बाबर पर भरोसा। दोनों का जवाब मिल गया- सेमीफाइनल खेले जबकि ऑस्ट्रेलिया जैसी बड़ी टीम बाहर हो गई और इतना ही नहीं, फाइनल खेल रहे हैं। ये सफर कहां तक चलेगा- ये समय बताएगा।

टी20 वर्ल्ड कप की आख़िरी 4 टीम में पाकिस्तान का आना नाटकीय ही था- टूर्नामेंट में अपने पहले दो मैच हारने वाली टीम से शायद उनके अपने समर्थकों ने बड़ी उम्मीद छोड़ दी थी। वही टीम सेमीफाइनल में तीसरी गेंद से हावी हो गई न्यूजीलैंड पर और इतवार के फाइनल में अपना स्थान बुक कर लिया।पहली गेंद : फिन एलन का चौका- ये वह आख़िरी क्षण था जो कीवी टीम के नाम रहा। दूसरी गेंद : फिन एलन एलबीडब्ल्यू आउट- रिव्यू ने बचा लिया। तीसरी गेंद : फिन एलन फिर से एलबीडब्ल्यू- इस बार रिव्यू ने भी नहीं बचाया। शाहीन शाह अफरीदी का पहला विकेट था- इस गेंदबाज ने 4 ओवर में सिर्फ 24 रन दिए और ये लगभग तय कर दिया कि भारत/इंग्लैंड से फाइनल खेलेंगे।

बाकी की कमी स्पिनरों ने पूरी कर दी। हालत ये कि यूं लगा केन विलियमसन टेस्ट में खेल रहे हैं- 42 गेंद में दो चौकों के साथ 46 रन। डेरिल मिशेल के 35 गेंद में 53* ने स्कोर कुछ सुधारा अन्यथा 152-4 भी न बनते। बाबर आजम को पहले ओवर में लाइफ लाइन ने तय कर दिया कि वापसी के सब रास्ते बंद और जब पहला विकेट गिरा 105 पर तो जरूरी रन रेट पाकिस्तान के कंट्रोल में था।  

किसे विश्वास था इस टर्न अराउंड पर? शायद कोच सकलैन मुश्ताक को सबसे ज्यादा। लगभग 6 हफ्ते पहले की बात है। कराची में एक टी20 इंटरनेशनल में इंग्लैंड को 10 विकेट से हरा दिया। एक दिन बाद, इंग्लैंड ने उन्हें 63 रन की जीत में बुरी तरह से हरा दिया। सारा मूड निराशा में बदल गया। उस रात सकलैन मुश्ताक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था- ‘ये दिन कुछ इस तरह निकला जैसे दिन और रात, गर्मी और सर्दी, बारिश- सब नेचुरल हैं। ठीक वैसे ही, खेल है- हार-जीत तो हमेशा रहेगी। इसे स्वीकार करने की जरूरत है और हम करते हैं। हम जो कर सकते हैं वह है इरादा- बाकी के लिए सिर्फ प्रार्थना कर सकते हैं।’

उनका एक-एक शब्द इस वर्ल्ड कप में पाकिस्तान टीम के लिए सही साबित हुआ। 6 हफ्ते बाद उनकी पाकिस्तान टीम, 2009 के बाद पहली बार वर्ल्ड टी20 के फाइनल में है। उस टूर्नामेंट में- जिसमें फंस गए थे, लड़खड़ा गए थे। भारत से पहले मैच में हार पर ध्यान दीजिए आखिरी ओवर में नो-बॉल कॉल ने बड़ा तमाशा किया। जिम्बाब्वे के विरुद्ध दूसरे मैच में हार- तब जब वे किसी टूर्नामेंट में बचाव किए गए सबसे छोटे टोटल से दो रन पीछे थे। किस्मत का फैक्टर उनके साथ नहीं था। वही फैक्टर तब उनके साथ था जब नीदरलैंड ने दक्षिण अफ्रीका को हराया था। ये चमत्कार उन्हें आखिरी 4 में ले गया।  असिस्टेंट कोच मैथ्यू हेडन ने ठीक कहा- ‘पिछले तीन हफ्तों में क्या हुआ है इसकी परवाह कौन करता है?’ वह टूर्नामेंट जिसमें शुरुआती मैच में ऑस्ट्रेलिया पर न्यूजीलैंड की जीत ने उन्हें ग्रुप फेवरिट बना दिया, आखिरी चार में पाकिस्तान की मौजूदगी (भारत और जिम्बाब्वे से हारने के बाद) चमत्कार की तरह है। भारत के विरुद्ध भी, विराट कोहली की एक असाधारण पारी ने मैच उनसे छीना।

पहले दो मैच में हार। अगले दो मैचों में नीदरलैंड और दक्षिण अफ्रीका को हराने के बावजूद, पाकिस्तान के आगे जाने का एकमात्र तरीका ये बचा था कि आखिरी मैच जीतना है और प्रोटियाज हार जाएं डच टीम से। संयोग से एडिलेड में डबल-हेडर था और पाकिस्तान का मैच था बांग्लादेश से। दक्षिण अफ्रीका का मैच सुबह 10.30 बजे शुरू हुआ। पाकिस्तान टीम के स्टेडियम जाने से पहले हर खिलाड़ी अपने फोन पर उनके मैच को देख रहा था। नेट्स पर प्रेक्टिस में किसी का ध्यान नहीं था- सिर्फ मैच देखना चाहते थे। नीदरलैंड्स 158 रन और जवाब में दक्षिण अफ्रीका के विकेट गिरते रहे। दक्षिण अफ्रीका टूर्नामेंट की सबसे बेहतर टीमों में से एक थी पर उस दिन 13 रन से हार गई और पाकिस्तान ने इस मौके का फायदा उठाते हुए बांग्लादेश को हरा दिया। क्रिकेट में कुछ भी असंभव नहीं।

सोशल मीडिया पर तरह -तरह के संयोग की चर्चा हो रही है। ‘1992 के रिपीट’ की बात हो रही है। इमरान खान से लेकर बाबर आजम तक, उनकी टीम में एक समानता जरूर है- खतरों से खिलवाड़, इंतजार, जब दुनिया उन्हें ‘फिनिश’ मान ले तो उठते हैं, हमला करते हैं और जीत उनके नाम। लाहौर में गोली के घाव सहलाते हुए, इमरान खान को पुरानी याद जरूर आई होगी- लगभग तीन दशक पहले, उनकी टीम ने, यहीं ऑस्ट्रेलिया में एक अनोखी स्टोरी लिखी थी। 1992 के 50 ओवर वर्ल्ड कप में भी पाकिस्तान को उनके मैच पूरे हुए बिना ‘बाहर’ घोषित कर दिया था। एक असाधारण टैलेंट की बदौलत वापसी हुई- तब इंजमाम उल हक जो 22 साल के थे (ऑकलैंड में मार्टिन क्रो की टीम को झटका दिया और इतिहास बदल गया) और इस बार मोहम्मद हारिस जो 21 साल के हैं। तो क्या बाबर अगले ‘इमरान’ हो सकते हैं? 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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