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बीसीसीआई के लिए 2023 ख़ास है 50 ओवर वर्ल्ड कप की वजह से। नजर बेहतर आयोजन पर है तो बड़े मुनाफे पर भी। मुनाफे का समीकरण सीधे स्पांसर से जुड़ता है- ख़ास तौर पर तब जब देश में मंदी का माहौल हो। ऐसे में अचानक ही जो हो रहा है, वह बीसीसीआई की सोच से बिलकुल अलग है।  

बीसीसीआई ने पिछले 6 महीनों में तीन स्पांसर को गंवा दिया है : पेटीएम स्पांसर थे घरेलू सीजन के लिए टाइटल अधिकार के- उनकी जगह अब मास्टरकार्ड  स्पांसर हैं, टीम किट और मर्चेंडाइज स्पांसर एमपीएल ने अपने दिसंबर 2023 तक के बचे कॉन्ट्रैक्ट अधिकार केकेसीएल को दे दिए तथा तीसरा नाम बायजू का है जिनके साथ कॉन्ट्रैक्ट मार्च 2023 में खत्म हो रहा है। वर्ल्ड कप के साल में ये कोई अच्छी खबर नहीं।

अभी तक बोर्ड ने ये स्पष्ट नहीं किया है कि क्या केकेसीएल/किलर (केवल किरण क्लोदिंग लिमिटेड) उन्हें नए कॉन्ट्रैक्ट में वही पैसा देंगे जो एमपीएल (ई-स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म) से मिल रहा था? एमपीएल प्रति मैच 65 लाख रुपये दे रहे थे। बाजार की खबर ये है कि कॉन्ट्रैक्ट पूरी तरह से ट्रांसफर नहीं हुआ है- इसलिए केकेसीएल से मिलने वाली फीस थोड़ी कम हो सकती है।

बायजू की जगह कौन लेगा ये अभी तय नहीं। अन्य दोनों स्पांसर के उलट, बायजू खुद नया स्पांसर नहीं ढूंढ रहे और बोर्ड की परेशानी ये है कि जिन हालात में बायजू जा रहे हैं वे बहुत अच्छे नहीं। जर्सी स्पांसर बायजू ने बोर्ड को कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट के बकाया पैसे की वसूली में वे लगभग 140 करोड़ रुपये बैंक गारंटी भुगतान से ले लें। बायजू पर कोविड ने जो असर डाला उसकी कहानी बड़ी अजीब है। आम तौर पर कोविड के कारण, सभी की व्यापार में कमाई गिरी पर टीम इंडिया के जर्सी स्पांसर बायजू (कॉन्ट्रैक्ट की रकम : लगभग 35 मिलियन अमरीकी डालर) को कोविड से फायदा हुआ। कोविड में ऑन लाइन क्लास का बाजार टॉप पर था- खूब रजिस्ट्रेशन हुए जिस से फीस बढ़ी, नई कमाई से नए-नए सेंटर खोल लिए और उसी दौर में न सिर्फ क्रिकेट, कुछ और स्पांसरशिप कॉन्ट्रैक्ट भी कर लिए। कोविड का असर कम हुआ तो स्कूल-कॉलेज खुले, ऑनलाइन क्लास के लिए रजिस्ट्रेशन बुरी तरह गिर रहा है और उसी हिसाब से फीस और हालत ये है कि कॉन्ट्रैक्ट का पैसा भी नहीं दे पा रहे।

भारत के टी20 वर्ल्ड कप से बाहर होते ही बायजू ने बीसीसीआई से कॉन्ट्रैक्ट बीच में रोकने का अनुरोध किया था। बीसीसीआई ने, किसी न किसी तरह, उन्हें मना लिया और कॉन्ट्रैक्ट की नई तारीख मार्च 2023 तय कर दी। ये भी आ रही है और बायजू जा रहे हैं। इसीलिए मार्च 2023 तक के अपने हिसाब को फाइनल करते हुए बीसीसीआई से कहा कि कॉन्ट्रैक्ट की जो बैंक गारंटी, उनके पास है- उसका पैसा बैंक से क्लेम कर लें।

याद रहे- बैंकिंग में, जिस कंपनी के लिए बैंक ने, बैंक गारंटी दी हो (यहां बायजू) उसके पेमेंट न देने पर अगर बैंक पेमेंट करे तो इसे कतई अच्छा नहीं माना जाता- ये कंपनी की गिरती साख/तंग आर्थिक हालत  का संकेत है। ये बात बायजू को बहुत अच्छी तरह मालूम होगी- तब भी वे बोर्ड को बैंक से पेमेंट लेने के लिए कह रहे हैं तो ये एक तरह की चेतावनी है। बायजू, अपना खर्चा कम करने के लिए, 2500 स्टॉफ भी निकाल रहे हैं। बोर्ड का काम भी बढ़ा दिया- नया स्पांसर ढूंढो।

यहां तक कि स्टार इंडिया (जिनके पास भारत के घरेलू क्रिकेट सीजन के मीडिया अधिकार हैं) ने भी बीसीसीआई से मौजूदा सौदे में 130 करोड़ रुपये की छूट मांगी है। ये क्या मामला है? स्टार ने 2018-2023 के लिए भारत के इंटरनेशनल और घरेलू क्रिकेट अधिकार खरीदे थे 6138.1 करोड़ रुपये में। जब लगभग 130 करोड़ रुपये की छूट की मांग की खबर पहली बार मीडिया में आई तो इसे सही तरह से समझा नहीं गया- सच ये है कि स्टार ने न तो डिस्काउंट मांगा और न ही पैसा माफ़ करने को कहा। इस मसले को देखिए :  उनके 2018-2023 के कॉन्ट्रैक्ट के बीच कोविड ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया जिससे क्रिकेट कैलेंडर भी बिगड़ा। प्रोग्राम भी बदले। स्टार की दलील है कि कॉन्ट्रैक्ट लेते हुए जो कैलेंडर था, उसके हिसाब से हर मैच की कीमत निकाल कर कॉन्ट्रैक्ट की रकम निकाली थी तो भले ही मैच नए कैलेंडर में बाद में खेलें हों- उनकी कीमत वही मानी जाए जो मूल कैलेंडर में थी। उदहारण- जो मैच 2020 में खेलने थे, अगर 2022 में खेले तो भी उन मैचों की कीमत 2020 के लिए रेट से लें न कि 2022 के रेट से।

अब आते हैं उस प्रोग्राम पर जिसके कारण ये विवाद शुरू हुआ। भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका सीरीज 2020 में होनी थी पर कोविड महामारी के कारण खेले नहीं और इसे 2022 में खेले। 6 मैचों की सीरीज में- 3 वनडे और 3 टी20 इंटरनेशनल थे जो 28 सितंबर से 11 अक्टूबर 2022 के बीच खेले।  
बीसीसीआई की गणना : सीरीज के लिए प्रति मैच 78.9 करोड़ रुपये कीमत।  स्टार की गणना : 46.5 करोड़ रुपये प्रति मैच जो 2020 के मैचों का कॉन्ट्रैक्ट में रेट था।
इससे फर्क ये आया कि जो 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट 6,138 करोड़ रुपये का था वह 6,277 करोड़ रुपये का हो गया- अंतर आया 139 करोड़ रुपये का और इसी को मीडिया में लगभग 130 करोड़ लिखा गया।

2018 में जब स्टार से कॉन्ट्रैक्ट हुआ था तो चर्चा में ये आया था कि वे एक इंटरनेशनल मैच के लिए लगभग 60 करोड़ रुपये देंगे लेकिन फाइन प्रिंट में मैच की कीमत आयोजन के साल के हिसाब से थी- प्रति मैच : पहले साल में- 46 करोड़ रुपये, दूसरे साल में- 47 करोड़ रुपये, तीसरे साल में- 46.5 करोड़ रुपये, चौथे साल में- 77.4 करोड़ रुपये और पांचवें और आख़िरी साल में 78.9 करोड़ रुपये। एपेक्स काउंसिल की मीटिंग में स्टार के नई गणना के अनुरोध पर चर्चा तो हुई पर फैसला टाल दिया गया जिससे लगता है कि समझौते की कोशिश हो रही है।

इतने बड़े कॉन्ट्रैक्ट में, ये कोई बहुत बड़ी रकम नहीं पर बीसीसीआई को ज्यादा परेशानी, इस खबर से पैदा हुई गलतफहमी, बाजार में गलत संदेश और इस मुद्दे के मीडिया में आने पर है। गलतफहमी, बड़े गलत वक्त पर बनी- मीडिया अधिकार का मौजूदा राउंड इस साल मार्च में खत्म हो रहा है और बीसीसीआई अगले पांच साल के राउंड के लिए मीडिया अधिकार बेचने की तैयारी कर रहा है। आईपीएल मीडिया अधिकारों की 48,390 करोड़ रुपये की बिक्री को देख कर बीसीसीआई की एक और बड़ी बिक्री पर नजर है।

ये लगभग तय है कि इस बार कीमत 2018-2023 सालों के 6138.1 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी पर उसके लिए जरूरी है कि किसी भी स्पांसर के साथ कोई विवाद न हो।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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