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दलीप ट्रॉफी 2022 (मैच तमिलनाडु में 8-25 सितंबर के बीच) शुरू हो चुकी है। कोयंबटूर 21 सितंबर से शुरू होने वाले फाइनल की मेजबानी करेगा। दलीप ट्रॉफी को तीन सीज़न के बाद (आखिरी बार 2019-20 सीज़न में बेंगलुरु में) फिर से खेल रहे हैं। ख़ास बात ये कि नॉर्थ-ईस्ट ज़ोन टीम की एंट्री- इसलिए अब ये 6 -टीम का नॉकआउट टूर्नामेंट है।  
एक और ख़ास बात- जैसे ही ये तय हुआ कि दलीप ट्रॉफी खेलेंगे, बीसीसीआई ने सभी राज्य एसोसिएशन को जोनल सेलेक्शन कमेटी बनाने के बारे में लिखा और दलीप ट्रॉफी के लिए टीमों का चयन इस कमेटी ने किया। बीसीसीआई का नया संविधान, उनके नेशनल सेलेक्टर्स को जोनल टीमों को चुनने की इजाजत नहीं देता है। जोनल पैनल ने टूर्नामेंट के लिए 15 खिलाड़ियों की टीम को चुना और साथ में एक जोनल कनवेनर भी, जो मैच/टीम पर बोर्ड को रिपोर्ट कर रहे हैं। इसी कनवेनर ने टीम कोच, फिजियो, ट्रेनर, परफॉर्मेंस एनालिस्ट, मसाजर और मैनेजर समेत अपने सपोर्ट स्टाफ नॉमिनेट किए। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। दलीप ट्रॉफी के मैच तमिलनाडु में कोयंबटूर, सलेम और चेन्नई खेले जा रहे हैं।  
अगर दलीप ट्रॉफी नए खिलाड़ियों के लिए, अपनी टेलेंट साबित करने का मौका है तो उनके लिए भी जो अपने सही ‘टच’ की तलाश में हैं। मसलन आजिंक्य रहाणे जिन्हें वेस्ट जोन टीम की कप्तानी भी दे दी। रहाणे को इस सीजन में आईपीएल के दौरान कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेलते हुए हैमस्ट्रिंग में चोट लगी थी। कुछ दिन बेंगलुरु में नेशनल क्रिकेट एकेडमी में रिहैबिलिटेशन में रहे और कुछ हफ्ते पहले ही बल्लेबाजी शुरू की थी। संयोग से वेस्ट जोन का पहला मैच, कमजोर और कम अनुभवी नार्थ-ईस्ट के साथ था और रहाणे ने 207* का स्कोर बनाकर इसका पूरा फायदा उठाया।  
खैर सबसे ख़ास बात है उस दलीप ट्रॉफी की घरेलू क्रिकेट के कैलेंडर में वापसी जिसे कभी टीम इंडिया के लिए सेलेक्शन ट्रॉयल माना जाता था। इसके बावजूद दलीप ट्रॉफी, हाल के सालों में धीरे-धीरे अपनी पहचान और महत्व खोती गई और यूं लगने लगा था कि सिर्फ औपचारिकता के लिए इसे खेल रहे हैं। घरेलू कैलेंडर में इसे फिर से प्रासंगिक बनाने की उम्मीद तो है पर क्या वास्तव में ऐसा होगा?
पिछले एक दशक में, ये टूर्नामेंट,जो कभी भारत का सबसे महत्वपूर्ण फर्स्ट क्लास क्रिकेट टूर्नामेंट था, अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। बीसीसीआई ने इसे, इसीलिए, कोविड के दौरान आयोजित करने की कोई कोशिश नहीं की। यहां तक कि 2015-16 में भी, इसे नहीं खेले थे- लगातार 54 बार ट्रॉफी खेलने के बाद। 
नतीजा- बीसीसीआई की काफी आलोचना हुई तो अगले सीज़न में वापसी हुई पर नए अंदाज में। जोनल टीम, जो इसकी पहचान थीं- वे गायब और पिंक बॉल का एक तीन-टीम का टूर्नामेंट बना दिया। इन टीमों को नेशनल सेलेक्टर्स ने चुना। सिर्फ फ्रिंज खिलाड़ियों और चोट के बाद अपनी फिटनेस साबित करने के इच्छुक को ही इस टूर्नामेंट में खेलने से कुछ हासिल हुआ अन्यथा ये बेकार सा, बिना रोमांच का टूर्नामेंट था। टीम में इधर-उधर से आए खिलाड़ियों में जीत के लिए कोई जोश नहीं था। दलीप ट्रॉफी को जोनल स्तर पर खेलने से ये बिलकुल अलग था।इंडिया रेड मौजूदा चैंपियन है।
सच ये है कि 2008 से 2012 के बीच इस टूर्नामेंट ने अपनी चमक खोना  शुरू कर दिया था। इंटरनेशनल क्रिकेट के बाद, सारी चर्चा आईपीएल और ए टूर ले गए और दलीप ट्रॉफी साइड लाइन हो गई। जोनल प्रारूप के साथ, कम से कम प्रतिष्ठा का मुकाबला तो था- ध्यान टूर्नामेंट जीतने पर था। इसलिए अब जोनल टीम के साथ खेलने के फैसले के लिए बीसीसीआई ने सही कदम उठाया है। 
इस समय भी, ऐसा नहीं कि जो टीम इंडिया में हैं उनके अतिरिक्त सभी अच्छे खिलाड़ी दलीप ट्रॉफी में खेल रहे हैं- टकराव इंडिया ए-न्यूजीलैंड ए सीरीज से है। तब भी रोमांच बरकरार क्योंकि कई टेस्ट और  लिमिटेड ओवर इंटरनेशनल खिलाड़ी अपनी जोनल टीम में हैं। इस तरह मौका है- अब 6 टीम में 90 क्रिकेटरों को चुना जबकि पिछले प्रारूप में तो 45 खिलाड़ियों को ही मौका मिल रहा था। 

आपको बता दें कि दलीप ट्रॉफी नवांनगर के कुमार श्री दलीपसिंहजी के नाम पर शुरू हुई और स्वरुप जोनल टीम वाला ही तय किया था। नार्थ जोन और वेस्ट जोन 18 जीत के साथ अब तक की सबसे कामयाब टीम हैं- इस गिनती में नार्थ की एक और वेस्ट जोन की तीन ऐसी ट्रॉफी जीत शामिल हैं जब वे संयुक्त विजेता रहे थे। 2014-15 तक, 5 जोनल टीमों ने इसमें हिस्सा लिया और नॉक-आउट आधार पर एक-दूसरे से खेले। 1993-94 सीज़न से, इसे लीग टूर्नामेंट बना दिया। 2002-03 सीज़न के लिए, 5 नई टीम आ गईं- एलीट ए, एलीट बी, एलीट सी, प्लेट ए और प्लेट बी जो एलीट ग्रुप और प्लेट ग्रुप  में खेलीं। यह प्रारूप सिर्फ एक सीज़न चला क्योंकि नई टीमें अपनी पहचान ही ढूंढती रह गईं। 
एक और ख़ास बात : 2003-04 सीज़न से 2008 तक, 5 जोनल के साथ 6 वीं टीम भी खेली जो बाहर से थी- 2003-04 में ऐसी पहली टीम इंग्लैंड ए थी। 2008 के बाद 5-टीम के नॉकआउट टूर्नामेंट पर लौट आए और 2014-15 सीज़न तक खेले। दलीप ट्रॉफी को 2015-16 में खेले नहीं लेकिन 2016-17 में नए प्रारूप के साथ कैलेंडर में वापसी हुई- इस बार तीन टीम इंडिया ब्लू, इंडिया ग्रीन और इंडिया रेड खेलीं एक राउंड-रॉबिन टूर्नामेंट में। ये सीज़न की शुरुआत में खेले और सभी मैच डे-नाइट थे तथा पिंक बॉल  का इस्तेमाल किया गया।  
– चरनपाल सिंह सोबती

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