fbpx

टी20 वर्ल्ड कप के चलते, इंग्लैंड के टी20 क्रिकेट के वाइटैलिटी ब्लास्ट टूर्नामेंट पर कोई ध्यान नहीं दे रहा तो काउंटी टीम की सेकेंड इलेवन की क्रिकेट पर कौन ध्यान देगा? बहरहाल 5 जून को सेंट्रल डिवीजन के न्यूपोर्ट में ग्लेमोर्गन-ग्लूस्टरशायर सेकेंड इलेवन मैच में एक ऐसा खास नजारा देखने को मिला कि उसकी चर्चा जरूरी है। ग्लेमोर्गन टीम में एक युवा, 20 साल के, दाएं हाथ के ऑफ ब्रेक गेंदबाज़ का नाम है बेन केलावे। इस मैच में केलावे ने कुछ ऐसा किया जो आम तौर पर देखने को नहीं मिलता- एक ओवर में 4 गेंद फेंकने के बाद अपना एक्शन बदला और बची 2 गेंद धीमे खब्बू स्पिनर के तौर पर फेंकीं। इसके बाद आगे भी बाएं हाथ से गेंदबाजी जारी रखी और अपना पहला विकेट भी लिया।

एक छोटे मैच की ये छोटी सी घटना इस बात का संकेत है कि आगे क्रिकेट में क्या संभव है? केलावे इसी सीजन में जब वारविकशायर के विरुद्ध चैंपियनशिप मैच खेले थे तो उस मैच में आमिर खान ने दाएं और बाएं हाथ की फिंगर स्पिन का नजारा दिखाया था। काउंटी गेम में दोनों हाथ से गेंदबाजी करने वाले बढ़ रहे हैं पर अभी भी एक ओवर के बीच बदलाव की घटना ज्यादा नहीं हैं। ऐसे दोनों हाथ से गेंदबाजी करने वाले बढ़ रहे हैं। 
इस टी20 वर्ल्ड कप में भी एक गेंदबाज ऐसा खेला जो दोनों हाथ से गेंदबाजी की स्किल जानता है और ऐसे गेंदबाज कपटी (Ambidextrous) कहलाते हैं। ये थे श्रीलंका के कमिंडू मेंडिस- श्रीलंका टीम में आने से बहुत पहले ही दोनों हाथ से फिंगर स्पिन गेंदबाजी के लिए क्रिकेट की दुनिया में मशहूर थे और बेहतर स्किल के साथ बिल्कुल सही गेंदबाजी। उन की ऑफब्रेक, उन के बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स जितनी अच्छी नहीं लेकिन ख़राब भी नहीं और टी20 के इस युग में, एक ऐसा गेंदबाज जो दाएं और खब्बू दोनों बल्लेबाज को परेशान कर सके- कहां हैं? श्रीलंका के 2018 वर्ल्ड कप में अंडर-19 कप्तान थे और उसी साल इंग्लैंड के विरुद्ध सीनियर टी20 इंटरनेशनल भी खेल लिया।

2003 वर्ल्ड कप के दौरान जॉन बुकानन (ऑस्ट्रेलिया के मशहूर कोच) ने कहा था- क्रिकेट को ऐसे खिलाड़ी की जरूरत है जो अपने शरीर के दोनों हिस्सों का उपयोग कर सकते हैं। फुटबॉल खिलाड़ी दोनों पैर से किक कर सकता तो क्रिकेटर दोनों हाथ से बल्लेबाजी, गेंदबाजी और थ्रो क्यों नहीं? हालांकि इस मामले में वैसी तेजी नहीं देखी गई जैसा वे चाहते थे पर मिसाल सामने आ रही हैं। जैक लीच और समित पटेल- हैं खब्बू स्पिनर लेकिन थ्रो अपने दाएं हाथ से करते हैं। 1970 और 1980 के दशक में ग्लैमर्गन के आर्थर फ्रांसिस- दोनों हाथों से बराबर सही गेंद थ्रो कर सकते थे।

बल्लेबाज तो और भी पीछे हैं- आम तौर पर केविन पीटरसन जैसे स्विच-हिट से ज्यादा कुछ नहीं कर पाए हैं। ये रिवर्स स्वीप से अलग है। पीटरसन अपने स्विच-हिट में- गेंद फेंके जाने के बाद दाएं हाथ से, खब्बू बन जाते थे। इस पर बड़ी बहस हो चुकी है और कुछ जानकार तो इसे रोकने की बात करते हैं- उनकी नजर में ये गलत है क्योंकि गेंदबाज ने अपना रन-अप दाएं हाथ के बल्लेबाज को गेंदबाजी की स्कीम के साथ शुरू किया। गेंदबाज की वही गेंद- खब्बू बल्लेबाज के लिए सही नहीं हो सकती।

अगर बराबरी की बात करते हैं तो ये तब सही है जब गेंदबाज को भी अचानक बाएं हाथ से गेंदबाजी की इजाजत हो। गेंदबाज को अगर अपना गेंद डिलीवरी करने वाला हाथ ओवर के बीच में बदलना है तो बल्लेबाज और अंपायर को बताना होगा ताकि वे उसी हिसाब से अपनी स्थिति को बदल लें। इसके उलट स्विच-हिट करते हैं तो आप अंपायर को नहीं बताते। दाएं हाथ के गेंदबाज का अचानक बाएं हाथ से गेंदबाजी करना है तो दिलचस्प।

अब आप इसी सीजन की नॉटिंघमशायर के लेग स्पिनर केल्विन हैरिसन की एक हरकत देखिए- हैरिसन ओवर द विकेट से दाएं हाथ से लेग स्पिन फेंक रहे थे पर गेंद फेंकने से पहले, अंपायर के सामने दौड़ते हुए, एक्शन यूं किया मानो खब्बू स्पिनर हों। इस से बल्लेबाज एकदम से हैरान सा रह गया और उसकी सारी एकाग्रता बिगड़ गई।

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और इस समय क्रिकेट पर लिखने वाले माइकल वॉन तो इस चर्चा को कहीं और ही ले गए हैं- वे कहते हैं कि अगर एक गेंदबाज दोनों हाथ से लिमिटेड ओवर क्रिकेट में गेंदबाजी करता है तो उसके ‘हर हाथ’ को अलग-अलग गेंदबाज गिनो और हर हाथ की गेंदबाजी को ओवर का अलग-अलग कोटा दो। उन्होंने ऐसा लिखते हुए लियाम लिविंगस्टोन जैसे किसी भी क्रिकेटर की चर्चा नहीं की- क्या आप जानते हैं कि वह तो अपने दाएं हाथ से ऑफ ब्रेक और लेग ब्रेक दोनों फेंकते हैं। तो क्या उन्हें भी ‘डबल’ ओवर दें? दाएं हाथ के गेंदबाजों का बाएं हाथ से गेंदबाजी करना मजेदार है तो अब इसका महत्व भी बढ़ रहा है- जोफ्रा आर्चर और जेम्स एंडरसन दोनों नेट्स पर ऐसा ही करते हैं। जब एकेडमी में केलावे ऐसा कर रहे थे तो किसी ने नोट नहीं किया- उसी प्रैक्टिस को वे मैच में ले आए।

पिछले कुछ सालों में दोनों हाथ से गेंदबाजी के लिए जिन गेंदबाज का नाम चर्चा में आया उनमें एक नाम और जोड़ना होगा। अब पता चला है कि पाकिस्तान के यासिर जान तो पेसर होने के बावजूद दोनों हाथ से गेंदबाजी करते थे- वे बहरहाल कोई सीनियर फर्स्ट क्लास क्रिकेट नहीं खेले। भारत में ऑफ स्पिनर अक्षय कर्णेवार, दांए हाथ के ऑफ ब्रेक गेंदबाज जो थ्रो बाएं हाथ से करते हैं- उसी बराबर टेलेंट से खब्बू ऑर्थोडॉक्स स्पिन में भी माहिर हैं। आईपीएल खेल गए पर टीम इंडिया की चर्चा से अभी बाहर हैं।

इसकी तुलना में कमिंडू मेंडिस श्रीलंका के लिए खेल रहे हैं- 2018 में इंग्लैंड के विरुद्ध टी20 में इंटरनेशनल डेब्यू में पहली गेंद, बाएं हाथ के स्पिनर के तौर पर राउंड द विकेट फेंकी और उसी साल एक ही ओवर में इयोन मोर्गन को बाएं हाथ से और जो रूट को दाएं हाथ से गेंद फेंकी। इतना ही नहीं, डेब्यू पर अपनी दूसरी गेंद खब्बू बेन स्टोक्स को राउंड द विकेट फेंकी। इस अजीब से पहले ओवर में सिर्फ 3 रन बने। 2022 से वे ज्यादातर ऑफ स्पिन गेंदबाजी कर रहे हैं जो इस बात पर जोर देता है कि दोनों हाथ के इस्तेमाल के साथ गेंदबाजी मुश्किल काम है- अगर स्टाइल अलग है तो प्रैक्टिस भी तो दोगुना करनी होगी।

महिला क्रिकेट में, बांग्लादेश की शैला शर्मिन, ऑस्ट्रेलियाई जेम्मा बार्बी (क्वींसलैंड के ओपनर ट्रेवर की बेटी) और मुंबई इंडियंस की फातिमा जाफर (भारत के ओपनर वसीम जाफर की भतीजी) दोनों हाथ से गेंदबाजी कर सकती हैं। 
कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि अब तक ऐसे गेंदबाज सिर्फ खबर बनाने या एक रोमांचक चर्चा शुरू करने से ज्यादा कुछ नहीं कर पाए हैं। केलावे जैसे गेंदबाजों को वास्तव में बहुत मेहनत की जरूरत है। इनके मुकाबले लिविंगस्टोन बेहतर हैं। वैसे इस समय एक टॉप कोच एंडी फ्लावर और उनके भाई की मिसाल भी कोई कम नहीं-  खब्बू बल्लेबाज थे लेकिन विकेटकीपिंग न करते हुए दाएं हाथ के गेंदबाज और थ्रो भी दाएं हाथ से जबकि उनके भाई ग्रांट दाएं हाथ से बल्लेबाजी करते थे लेकिन खब्बू गेंदबाज और थ्रो में भी खब्बू। अजीब और अद्भुत दोनों।

चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *