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पिछले दिनों बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट के एक फैसले के लिए खूब तारीफ़ बटोरी। फैसला है- जिनके साथ सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट है उन महिला और पुरुष क्रिकेटरों को बराबर मैच फीस  मिलेगी। नए सिस्टम में महिला क्रिकेटरों को अब प्रति टेस्ट 15 लाख रुपये, प्रति वनडे 6 लाख रुपये और प्रति टी20 आई 3 लाख रुपये मिलेंगे- पुरुष क्रिकेटरों के बराबर।इस समय 1 लाख रुपये मिल रहे हैं वनडे/टी20 इंटरनेशनल के लिए और एक टेस्ट मैच के लिए 2.5 लाख रुपये।

आपको याद होगा इस साल की शुरुआत में, न्यूजीलैंड क्रिकेट ने प्लेयर्स एसोसिएशन के साथ समझौता किया था- महिला क्रिकेटरों को पुरुष क्रिकेटरों के बराबर फीस देने का जबकि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसी सोच पर काम हो रहा है। (पढ़ेः https://allaboutcric.com/information/womens-cricket-fees/) बीसीसीआई ने ऐसा कर लिया तो तारीफ़ होगी ही। मिताली राज ने कहा- ‘एक ऐतिहासिक कदम- महिला क्रिकेट के लिए एक नई सुबह।’ नई शुरुआत हो रही हैं- पहले डब्ल्यूआईपीएल और अब फीस इक्विटी पॉलिसी यानि कि महिला क्रिकेट को उस मुकाम पर पहुंचाने की कोशिश जहां आज पुरुष क्रिकेट है।

बीसीसीआई ने इस साल की एजीएम में बताया कि पैसा है- इसीलिए ऐसा फैसला लिया है। बीसीसीआई के खजाने में पिछले तीन सालों में लगभग 6000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है और ये कोई मजाक नहीं। जब सौरव गांगुली की टीम ने 2019 में सीओए से बोर्ड को टेक-ओवर किया था तो बीसीसीआई के खजाने में 3648 करोड़ रुपये थे- आज 9629 करोड़ रुपये हैं। इस बढ़ोतरी का फायदा सब को मिल रहा है। मसलन राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के बीच लगभग 5 गुना ज्यादा पैसा बांटा गया- सीओए के दौर में 680 करोड़ रुपये की तुलना में अब 3295 करोड़ रुपये।

अब फिर से लौटते हैं महिला क्रिकेट से जुड़े फैसले पर। ये तो तय है कि बढ़ोतरी किसे बुरी लगेगी- इसलिए धन्यवाद और तारीफ़ का सिलसिला जारी है। सच ये है कि 2017 से अब तक लगातार महिला क्रिकेट का ग्राफ ऊपर गया है- ग्राउंड पर और ग्राउंड के बाहर भी। हाल ही में बांग्लादेश में एशिया कप में श्रीलंका को फाइनल में 8 विकेट से हराकर जीत हासिल की। बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स में क्रिकेट का पहला सिल्वर भी जीता था। महिला आईपीएल अगले साल होने वाली है।
भारत में महिला क्रिकेट के इतिहास को पढ़ें तो ऐसी कई स्टोरी हैं कि एक समय वह भी था जब क्रिकेटर अपनी जेब से खर्चा भरती थीं- मैच फीस की तो बात ही छोड़ दीजिए। एडुल्जी ने कहा ये ‘दिवाली उपहार’ ग्राउंड पर सफलता का इनाम है। अगले साल की महिला आईपीएल के साथ, और ज्यादा लड़कियों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करेगा। पैसे की तो बात छोड़िए, बुनियादी सुविधा तक नहीं थीं। बिना रिजर्वेशन रेलवे यात्रा, ठहरने का घटिया इंतजाम और खेलने के लिए अच्छी किस्म की किट तक नहीं। 2006 में बीसीसीआई ने जब महिला क्रिकेट को अपने बैनर में लिया तो कुछ बेहतर होने लगा और आज क्रिकेटर चार्टर्ड फ्लाइट और 5 स्टार होटल का लुत्फ़ लेती हैं और इसकी हकदार हैं। हाल फिलहाल भी एक सम्मानजनक फीस मिल रही है।

एक मिसाल देखिए। वर्ल्ड कप (1982) के लिए ऑस्ट्रेलिया गए तो हर लड़की को पार्टिसिपेशन फीस के 10,000 रुपये (9.46 रुपये प्रति डॉलर के हिसाब से 1,147 डॉलर) देने के लिए कहा गया- उस समय ये बहुत बड़ी रकम थी। टीम में चार लड़कियां महाराष्ट्र से थीं और उन्होंने उस समय के सीएम एआर अंतुले का दरवाजा खटखटा दिया मदद के लिए। उनके पैसे राज्य सरकार ने भरे।
अब आप कुछ फैक्ट ध्यान से नोट कीजिए :

  • बीसीसीआई सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की रकम में कोई बदलाव नहीं है- अब भी ग्रेड A में 50 लाख रुपये जबकि ग्रेड B और ग्रेड C में क्रमशः 30 लाख और 10 लाख रुपये। पुरुष क्रिकेटरों को इससे कहीं ज्यादा रिटेनर फीस मिलती है और चार ग्रेड क्रमशः 7 करोड़, 5 करोड़, 3 करोड़ और 1 करोड़ रुपये के हैं। तो इस तरह टॉप महिला क्रिकेटर को पुरुष C ग्रेड से भी आधी रकम मिलती है। वाशिंगटन सुंदर और रिद्धिमान साहा को स्मृति मंधाना और हरमनप्रीत से ज्यादा रिटेनर फीस मिलती है।
  • बोर्ड महिला रिटेनर्स में बदलाव पर काम कर रहा है- एक मीटिंग हो चुकी है और इसमें कप्तान हरमनप्रीत कौर ने भी (बोर्ड के मुंबई हेड क्वार्टर में) हिस्सा लिया था।
  • ये फीस इक्विटी पॉलिसी सिर्फ इंटरनेशनल मैचों पर लागू है। घरेलू क्रिकेट में कमाई के मामले में महिलाएं अभी भी पुरुषों से काफी पीछे रहेंगी।
  • कुल मिलाकर कमाई भी पुरुष खिलाड़ियों के बराबर नहीं हो पाएगी क्योंकि वे पुरुषों के बराबर मैच कहां खेलती हैं। उदाहरण- आगामी टूर में, महिलाएं 2022 और 2025 के बीच 2 टेस्ट , 27 वनडे और 36 टी20 इंटरनेशनल मैच खेलेंगी जबकि पुरुष टीम 38 टेस्ट, 42 वनडे और 61 टी20 इंटरनेशनल खेलेगी 2023 से 2027 तक।
  • महिला क्रिकेटरों को कितना पैसा देना है- इसे बोर्ड ने अपनी कमाई से नहीं जोड़ा और यही है अभी भी फर्क की वजह। पॉलिसी ये है कि बीसीसीआई खिलाड़ियों को हर साल अपनी कमाई का 26% भुगतान करता है- पुरुष इंटरनेशनल खिलाड़ियों को इसमें से 13%, घरेलू खिलाड़ियों को 10.3% और 2.7% जूनियर खिलाड़ियों और महिलाओं को। ये है फर्क।
  • इनाम में भी बड़ा फर्क चल रहा है- 2020 महिला टी20 वर्ल्ड कप फाइनल खेल कर महिला टीम को 3.75 करोड़ रुपये का चैक मिला- 2021 पुरुषों के टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ग्रुप राउंड में बाहर होने के बावजूद 41.63 करोड़ रुपये का चैक ले आई।
  • औसतन, एक सीनियर महिला क्रिकेटर को प्रति दिन लगभग 20,000 रुपये का डीए देते हैं- एक अंडर-19 पुरुष क्रिकेटर के बराबर। सीनियर पुरुष क्रिकेटर को प्रति मैच प्रति दिन 60,000 रुपये मिलते हैं।

सच्चाई ये है कि ये समझने की जरूरत है कि महिला क्रिकेटरों को जो पैसा मिलता है वह पुरुष क्रिकेट के जरिए से आता है। जिस दिन महिला क्रिकेट ‘अपनी कमाई’ करने लगेगी- हालात और बेहतर होंगे। मैच जीतो, भीड़ लाओ, कमाई करो- ये है फार्मूला। यही लक्ष्य है। इसका पता तभी चलेगा जब फर्क कम होगा सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की रकम में :
A+  ग्रेड : पुरुष क्रिकेटर- 7 करोड़ रुपये जबकि महिला क्रिकेटर के लिए ये ग्रेड है ही नहीं।  A ग्रेड :  पुरुष क्रिकेटर- 5 करोड़ रुपये जबकि महिला क्रिकेटर 50 लाख रुपये।  B  ग्रेड : पुरुष क्रिकेटर- 3 करोड़ रुपये जबकि महिला क्रिकेटर 30 लाख रुपये। C  ग्रेड : पुरुष क्रिकेटर- 1 करोड़ रुपये जबकि महिला क्रिकेटर 10 लाख रुपये।   
फिर भी जो बीसीसीआई ने किया उसकी तारीफ़ होनी चाहिए। 
– चरनपाल सिंह सोबती

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