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 ये बात सबसे पहले भारत के स्टार स्पिनर रवि अश्विन पर लागू है। उन्होंने खुद कहा कि वन डे मैचों के बे-मतलब होने का खतरा है- यहां तक कि जब वे खुद टेलीविजन पर इन्हें देखते हैं तो बीच में ही टेलीविजन को बंद कर देते हैं। जो खुद वन डे इंटरनेशनल क्रिकेट खेल रहा हो (113 मैच में 151 विकेट) और टीम इंडिया में आने का दावेदार हो- वह ऐसा कहे तो क्या ये हैरानी की बात नहीं? इंग्लैंड ने इस इंग्लिश सीजन में, नए चीफ कोच ब्रेंडन मैकुलम के निर्देश में, रन-चेज का जो नजारा टेस्ट में दिखाया, उससे तो वन डे के लिए अश्विन का डर और बढ़ गया है। उनके हिसाब से वन डे मैचों की सबसे बड़ी खूबी है- मैच के दौरान उतार-चढ़ाव। अब, 442 टेस्ट विकेट लेने वाले अश्विन का मानना है कि 50 ओवर के मैचों में बैट और गेंद के बीच संतुलन नहीं रहा। पहले वन डे मैचों के जिक्र में गेंदबाजों की बात भी होती थी- अब उतार-चढ़ाव गायब और यूं लगता है कि कोई ‘बड़ा’ टी 20 मैच देख रहे हैं। उनकी नजर में वन डे क्रिकेट को इसकी सही और ‘अपनी’ पहचान की जरूरत है।  

ये कैसे होगा? 35 साल के इस ऑफ स्पिनर का मानना है कि शुरुआत, बिना देरी, एक पारी में एक गेंद से खेलने की प्लेइंग कंडीशन से होनी चाहिए। तब गेंद भी कुछ ‘करेगी’- स्पिनर आख़िरी ओवरों के दौरान ज्यादा गेंदबाजी करेंगे और रिवर्स स्विंग की वापसी होगी, जो बहुत महत्वपूर्ण है। गेंद भी बदल गई- 2010 के आसपास जो गेंद इस्तेमाल होती थीं उन पर वापस जाने की जरूरत है। ‘बैज़बॉल’ देखना अच्छा लगता है लेकिन एक गेंदबाज के तौर पर भविष्य क्या है- ये सोच कर वे डर रहे हैं।  

वन डे क्रिकेट अब अप्रासंगिक लगता है- ये दलील खोखली नहीं। अगले एफ़टीपी ने भी इसका सबूत दे दिया है। टी 20 ने क्रिकेट कैलेंडर में इससे और जगह छीन ली। अब भी हालात कौन से बेहतर थे? इंग्लैंड में टेस्ट समर अभी चल रही है, सबसे लंबा आईपीएल कुछ दिन पहले खत्म हुआ और अक्टूबर-नवंबर में 12 महीनों में दूसरा टी 20 वर्ल्ड कप खेलना है। तब तक ब्लास्ट, हंड्रेड, सीपीएल और एक टी -20 एशिया कप पहले ही खेल चुके होंगे। इस तरह सिर्फ टी 20 इंटरनेशनल दिखाई दे रहे हैं I कैलेंडर ध्यान से देखिए -2023 वर्ल्ड कप 16 महीने दूर है लेकिन कोई चर्चा नहीं, उसे खेलने की तैयारी की कोई बात नहीं। निकट भविष्य में कितने वन डे खेले जाने हैं- किसी को चिंता नहीं है। दो साल के बाद (दो कोविड प्रभावित सालों में 44 और 71 मैच खेले) अब प्री-कोविड गिनती पर लौट सकते थे पर ऐसा नहीं हो रहा है।  मैचों के लिए दिन भी कौन सही मिल रहे हैं? पाकिस्तान- वेस्ट इंडीज सीरीज जून में मुल्तान में खेले- ये उस शहर में आम खाने का सीजन था न कि फिजिकल एक्सरसाइज का। दिन का तापमान लगातार 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। कोई भी टीम, ऐसे में, वास्तव में खेलना नहीं चाहती लेकिन खेल रहे हैं क्योंकि कुछ ख़ास दांव पर लगा है- वर्ल्ड कप के लिए सीधे क्वालीफाई करने के पॉइंट हासिल करने हैं। नए एफटीपी  में तो आईसीसी ने सुपर लीग को ही हटा दिया है। सुपर लीग होते हुए भी क्या हो सकता है- इसका सबूत दक्षिण अफ्रीका ने अपनी जनवरी 2023 में ऑस्ट्रेलिया में वन डे सीरीज को छोड़ कर दे दिया। खुद ही कह दिया- 30 पॉइंट भी ले लो। इंग्लैंड ने भले ही एक ऐतिहासिक वन डे सीरीज खेली नीदरलैंड से- पहली बार वे नीदरलैंड में खेले। तब भी क्या आपने ध्यान दिया कि उसे कैलेंडर में कैसे फिट किया- इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड के विरुद्ध दूसरे टेस्ट के ख़त्म होने और तीसरे टेस्ट की शुरुआत के बीच, तीन मैच फिट कर दिए। आप पलक झपकाएं और मैच निकल गए। क्या ध्यान दिया- इंग्लैंड वर्ल्ड कप चैंपियन है पर पिछले जुलाई से कोई वन डे नहीं खेला था- तब भी उन्हें कैसे फिट किया ! अगर कोविड-19 प्रभावित सुपर लीग में, सीरीज पूरी करने की जल्दी न होती तो शायद ऐसी सीरीज भी न खेलते। वर्ल्ड कप क्वालीफिकेशन की कट-ऑफ तारीख अगले साल 15 मई है। अब आईसीसी ने अगले एफ़टीपी (2023-27) में सुपर लीग का दबाव भी हटा दिया। इशारा अभी मिल गया है कि ओडीआई का क्या होने वाला है? पाकिस्तान-श्रीलंका वन डे सीरीज जुलाई में होने वाली थी- बिना दिक्कत  इसे रद्द कर दिया क्योंकि ये सुपर लीग का हिस्सा नहीं थी और इसके दिन दे दिए लंका प्रीमियर लीग (एलपीएल) को।

  रवि शास्त्री और रमीज राजा को लगता है कि द्विपक्षीय टी 20 सीरीज का ज़माना गया- तो दो टीम वाली वन डे सीरीज के लिए क्या उम्मीद बचती है? इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। एक और बात- टी 20 अब क्रिकेट की डेवलपमेंट का ऑफिशियल प्रारूप है। इसी के साथ ओलंपिक में क्रिकेट का दाखिला होगा। ब्रॉडकास्टर और क्रिकेट बोर्ड दोनों टी 20 से खुश हैं- एक टी 20 इंटरनेशनल, ब्रॉडकास्ट सौदे में एक टेस्ट या एक ओडीआई से कम पैसा नहीं देता जबकि ब्रॉडकास्ट समय कम- तो क्यूं न इसे ही ज्यादा खेलें? दो टीम के बीच वन डे सीरीज को अपनी पहचान की तलाश है। सुपर लीग एक अच्छी सोच थी, भले ही 30 साल देर से। इसने हर वन डे को महत्व दिलाया। किसी ने ध्यान नहीं दिया- ऑस्ट्रेलिया ने अपने पिछले दिनों के श्रीलंका टूर में 5 वन डे मैचों की सीरीज खेली- ये 2019 वर्ल्ड कप से भी ठीक पहले से, अब तक, 5 मैचों की पहली सीरीज थी। दूसरी ओर, 2015 और 2019 वर्ल्ड कप के बीच, दो टीम वाली 42 ऐसी सीरीज खेले जिनमें 5 मैच थे- आज ये रिकॉर्ड किसी को याद नहीं।  सुपर लीग के कारण, नीदरलैंड इस साल (15) पहले से कहीं ज्यादा वन डे मैच खेलेगा। इसी के कारण, जिम्बाब्वे को इस साल के आखिर में, सिर्फ दूसरी बार दो टीम वाली सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना है। आगे हो सकता है ऐसा फिर कभी न हो। ठीक है, वन डे पूरी तरह से गायब नहीं होंगे। 2031 तक, हर दो साल में एक 50-ओवर टूर्नामेंट अभी भी कैलेंडर में है लेकिन ओडीआई को किस तरह खेलना है और फिट करना है- ये ख़ास है। सुपर लीग खत्म और वन डे को बचाने की लड़ाई शुरू। 

– चरनपाल सिंह सोबती

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