क्रिकेटर खुद अपराध या किसी गैर-कानूनी काम में शामिल- ये टॉपिक कोई बहुत अनोखा नहीं है। क्रिकेटर के किसी अपराध में शामिल होने की कई स्टोरी हैं। सबसे बड़ी गड़बड़ ये कि अब क्रिकेटर के क्रिकेट को जानने वालों को ही चूना लगाने के किस्से बढ़ रहे हैं। कुछ महीने पहले, जब एक तरफ ऋषभ पंत अपनी फिटनेस के लिए जूझ रहे थे तो ये खबर आई कि एक क्रिकेटर ने ही उन्हें एक बड़ी रकम का चूना लगा दिया- 2020-2021 के दौरान 1.63 करोड़ रुपये का।
उसके बाद खबर आई कि नई दिल्ली के चाणक्य पुरी थाने की पुलिस ने हरियाणा के एक ऐसे ठग को गिरफ्तार जो हरियाणा के लिए अंडर-19 क्रिकेट खेल चुका है। नाम- मृणांक सिंह। कई मामलों में उनका नाम आ रहा है पर सबसे ज्यादा चर्चा ऋषभ पंत को ठगने और जुलाई 2022 में दिल्ली के एक बड़े आलीशान होटल को 5.53 लाख का चूना लगाने की है।
खुद को एक आईपीएल क्रिकेटर बता कर (2014 से 2018 तक मुंबई इंडियंस के लिए खेले) वह एक हफ्ते के लिए दिल्ली के ताज पैलेस होटल में रुका था, जहां एक दिन, बिना चेक आउट गायब- तब तक का बिल था 5.53 लाख रुपये का। इससे पहले होटल स्टाफ को ये कहकर झांसा देते रहे कि एक क्रिकेटर हैं और बिल पेमेंट एक प्राइवेट कंपनी करेगी। एक और हैदराबाद के क्रिकेटर (अंडर 19)- जो धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार हुए दिसंबर 2017 में। नाम- रवींद्र वाडेकर। मुंबई क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया और तब आरोप था कि उस आरएन स्पोर्ट्स नाम की एक कंपनी से जुड़े हैं जिसने कई युवा क्रिकेटरों को आईपीएल और रणजी मैचों में मौका दिलाने का झूठा वायदा कर 68 लाख रुपये की ठगी की। मास्टर माइंड थे रवींद्र और फायदा इस बात का उठाया कि वास्तव में कभी ये कंपनी हैदराबाद सनराइजर्स के लिए टेलेंट हंट का काम देखती थी।
रवींद्र वाडेकर मुंबई के हैं- हैदराबाद आए और सिफारिश पर हैदराबाद टीम में शामिल हो गए, भले ही सिर्फ एक सीज़न के लिए टीम में थे। पूछताछ में राजकोट की एक कंपनी के मालिक जितेंद्र तिवारी का नाम सामने आया। उनकी कंपनी को वेस्टइंडीज में एक इंग्लैंड-वेस्टइंडीज सीरीज के ब्रांडिंग अधिकार मिले थे।
जांच आगे बढ़ी तो मनी लॉन्डरिंग का मामला भी सामने आया। वाडेकर, उस सीरीज के दौरान वेस्टइंडीज गए थे और वहां जो फोटो खींचीं- वही दिखाकर युवा क्रिकेटरों को फंसाते रहे। उन फोटो से ये साबित करते रहे कि भारत में ही नहीं, विदेश में भी खेलने का मौका दिला सकते हैं। क्रिकेट में बड़े ब्रेक के लालच में युवा क्रिकेटर फंसते रहे और उन्हें पैसा देते रहे।
तरीका ये था कि आरोपी पैसे लेते थे, दूसरे स्टेट के डमी टूर में नकली टीमों के साथ मैच के बाद खिलाड़ियों को रिजेक्ट कर देते थे यानि कि वापसी का टिकट पकड़ाया और सब खत्म। ये अंडर-19 क्रिकेटर वाडेकर जेल में हैं। खुद खेलने की वजह से क्रिकेट की बारीकियों को जानते थे जिससे युवा और नए क्रिकेटरों को आसानी से प्रभावित कर लेते थे। एक मिसाल- उत्तर प्रदेश के आशुतोष बागेल की है।
आरएन स्पोर्ट्स ने उन्हें 2012 में सीधे आईपीएल टीम में ‘एंट्री’ दिला दी। दिल्ली से उसी फ्लाइट का टिकट दिया जिससे टीम जा रही थी। प्लेन में टीम को देखकर उन्हें लगा कि सब सही हो रहा है पर जब वे फ्लाइट से उतरकर टीम बस में जाने लगे तो सिक्योरिटी स्टॉफ ने वहीं रोक दिया और बाहर निकाल दिया। उनका 9 लाख रुपये का सपना टूट गया और सारा पैसा भी गया।
अब एक और नया मामला जो तमिलनाडु में तमिलनाडु प्रीमियर लीग (टीएनपीएल) का है। इस लीग की एक टीम के मालिक को, देश से बाहर की एक लीग में टीम मालिकों में से एक बनाने के नाम पर, 6 करोड़ रुपये का चूना लगा।
टीम है- सलेम स्पार्टन्स (Salem Spartans)। 2020 में टुटी पैट्रियट्स टीम के मालिकाना अधिकार बिके तो नए मालिकों ने ये नाम दिया। नए मालिक – एम सेल्वाकुमार, चेन्नई में एक मोबाइल नेटवर्क के सबसे बड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स में से एक और शहर के मशहूर व्यापारी। 2016 में फ्रेंचाइजी अधिकार बिके तो ये सबसे महंगी टीम थी- 5.21 करोड़ रुपये का बिड था। 2016 में चैंपियन और 2017 में फाइनल खेली पर रिकॉर्ड उसके बाद ऐसा ख़राब कि कभी नंबर 5 से ऊपर नहीं आ पाए हैं। 2023 में इस टीम में इंटरनेशनल क्रिकेटर वाशिंगटन सुंदर और विजय शंकर भी थे।
2023 सीजन में टीम के कोच थे रॉबिन बिष्ट- अपने समय में मशहूर खिलाड़ी (106 फर्स्ट क्लास, 61 लिस्ट ए और 38 टी20 मैच, इंडिया ए और दिल्ली डेयरडेविल्स टीम में रहे)। एफआईआर के मुताबिक इन रॉबिन बिष्ट और टीम के एक और खिलाड़ी आकाश सुमरा ने, सेल्वाकुमार को जनवरी 2023 में, नितिन खोखर और आर सतीश कुमार नाम के दो व्यक्तियों से मिलवाया और बताया- इनके पास, वेस्टइंडीज की सीपीएल (केरेबियन प्रीमियर लीग) की एक टीम के 27 प्रतिशत शेयर हैं जिनमें से वे 25 प्रतिशत बेचना चाहते हैं।
आईपीएल टीमों के कई मालिकों की बराबरी पर आने के लालच में फंस गए सेल्वाकुमार। डॉक्यूमेंट देखे और हिसाब ये समझा कि इस हिस्सेदारी की मौजूदा बाजार वेल्युएशन 30 करोड़ रुपये है पर उन्हें ये शेयर 22 करोड़ रुपये में मिल रहे हैं। सौदा हो गया और तय हुआ कि एग्रीमेंट बनेगा 6.10 करोड़ रुपये की पेमेंट देने के बाद। सेल्वाकुमार अब कहते हैं कि बिष्ट और सुमरा ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वे इन दोनों शेयर बेचने वालों को जानते हैं, गारंटी दी थी कि इन्वेस्टमेंट सुरक्षित है। 9 फरवरी 2023 को 10 लाख रुपये का एडवांस दिया और धीरे-धीरे आरटीजीएस के जरिए बाकी पैसा अलग-अलग अकाउंट में पैसे डालते रहे। 6.10 करोड़ रूपये देने के बाद भी जब शेयर ट्रांसफर की कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई तो सेल्वाकुमार ने प्रोफेशनल जांच कराई। उसमें उन्हें पता चल गया कि उन्हें चूना लग गया है।
अपने पैसे वापस मांगे तो जान से मारने की धमकी मिली। पुलिस में गए, एफआईआर दर्ज कराई जिसमें बिष्ट का भी नाम है हालांकि वे इस फ्रॉड में शामिल होने से इंकार कर रहे हैं। मजे की बात ये है कि इस एफआईआर के बावजूद, इस साल भी बिष्ट को लीग के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया पर अब रिलीज कर दिया है।
इसी किस्से पर अब बीसीसीआई (BCCI) की भ्रष्टाचार निरोधक यूनिट (ACU) देश भर की सभी लीग के टीम मालिकों के लिए गाइडलाइन तैयार कर रही है ताकि और किसी के साथ भी ऐसा फ्रॉड न हो। असल में गड़बड़ तब होती है जब ऐसा कोई सौदा सामने आने पर, उसे हाथ से न निकल जाने के लालच में और खबर को लीक होने से रोकने के लिए, टीम मालिक न तो सही प्रोफेशनल जांच कराते हैं और न ही बीसीसीआई को इस बारे में बताते हैं। अब भी तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन यही कह रही है कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम। कुछ गिरफ्तारी हुई हैं- उनमें बिष्ट नहीं हैं।
– चरनपाल सिंह सोबती