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इयान रेडपाथ का नाम लें तो जो ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं, वे भी एकदम तय नहीं कर पाएंगे कि किस क्रिकेटर की बात हो रही है? इसीलिए उन्हें ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किए जाने की खबर की, क्रिकेट की दुनिया में कोई ख़ास चर्चा नहीं हुई। पिछली शताब्दी के 60-70 के सालों में वे इयान चैपल, पॉल शीहान, बॉब काउपर और कीथ स्टैकपोल जैसे ही मशहूर थे। लिंडसे हैसेट, जैक इवरसन और पॉल शीहान जिस जिलॉन्ग कॉलेज के प्रॉडक्ट हैं- वे भी उसी कॉलेज से हैं। एक अच्छे स्ट्राइकर और सही खेलने के इतने पक्के कि अपने 66वें टेस्ट तक एक भी छक्का नहीं लगाया था। करियर में दो छक्के लगाए- दोनों एक ही पारी में। जहां एक तरफ, एक पूरी टेस्ट पारी में आखिर तक आउट न होने का रिकॉर्ड है उनके नाम, वहीं थ्रोइंग के लिए नो-बॉल भी दिए गए। बाद में MBE से सम्मानित किया गया और रिटायर होने के बाद एंटीक-डीलिंग में करियर बनाया तो विक्टोरिया के कोच भी बने। टेस्ट करियर : 66 टेस्ट- 43.45 औसत से 4737 रन जिसमें 8 शतक थे।

रेडपाथ तब सिर्फ 21 साल के थे जब एक एसिड टेस्ट पास किया। विक्टोरिया के लिए पहली 5 पारी में कुछ ख़ास न करने के बाद रिची बेनो की न्यू साउथ वेल्स टीम के विरुद्ध 40* रन बनाए – वह उनका पांचवां फर्स्ट क्लास मैच था और शेफील्ड शील्ड में दूसरा। एलन डेविडसन भी थे उस टीम में और सब डरते थे उन्हें खेलने से। संयोग से उनकी हैमस्ट्रिंग में चोट आ गई और रेडपाथ ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया। इसके बाद एडिलेड में 56 और पर्थ में 89 रन तथा सीजन खत्म होने से पहले, क्वींसलैंड की ओर से वेस्टइंडीज के विरुद्ध करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 261 बनाया।12 महीनों के भीतर, वह एमसीजी में टेस्ट खेल रहे थे।

अपनी पहली टेस्ट पारी में 97 रन- 3 रन से 100 के साथ शुरुआत का रिकॉर्ड न बना पाए। धीरे-धीरे रेडपाथ, ऑस्ट्रेलिया के मिडिल आर्डर में एक भरोसे के, स्टाइलिश शॉट-मेकिंग और लंबे समय तक क्रीज पर जमे रहने की क्षमता वाले क्रिकेटर बन गए- इसी के दम पर अपना करियर बनाया। पहले टेस्ट 100 से पहले, क्रमशः 1964 और 1967 में लीड्स (58*) और केपटाउन (69*) में चौथी पारी में जीत की चुनौती में गजब की बल्लेबाजी की और जनवरी 1968 में भारत के विरुद्ध गाबा में उनके 41 और 79 रन कमाल थे- टेस्ट जीते इसी से।

उनकी सफलता का एक ख़ास दौर फरवरी 1969 में एससीजी में वेस्टइंडीज के विरुद्ध दूसरी पारी में 132 रन से शुरु हुआ। इसी सीरीज के एडिलेड और सिडनी टेस्ट के बीच शादी की।  शादी से दो दिन पहले, चार्ली ग्रिफिथ की एक गेंद चेहरे पर आ लगी। उनकी मंगेतर क्रिस्टीन इंग्लैंड से आ रही थी शादी के लिए और जब उसने रेडियो पर सुना तो उसे ये भी समझ नहीं आया कि चोट से मरे या जिंदा थे। चोट के बावजूद शादी कर ली। शादी ने एकदम किस्मत चमका दी- एक विवाहित के तौर पर रेडपाथ ने 39 टेस्ट में 49.18 की औसत से 8 शतक और 21 अर्द्धशतक बनाए।

1974 में ऑकलैंड में 159 जिससे सीरीज जीत में मदद मिली- उनका सबसे अच्छा शतक गिने जाते हैं। ये, तब भी उनकी टॉप पारी नहीं थे- टॉप पर तो दूसरी पारी के वे 63 रन हैं, जब कोई और बल्लेबाज 25 तक भी नहीं पहुंचा था। ये बात है 1969 में चेन्नई में भारत के विरुद्ध पांचवें टेस्ट की। ऑस्ट्रेलिया के लिए एक मशहूर सीरीज जीत को सील करने में ये निर्णायक स्कोर था। रेडपाथ इसे अपनी सबसे  बेहतर पारियों में से एक गिनते हैं- वास्तविक टर्निंग विकेट पर 60-70 रन बनाना बड़ा तसल्ली वाला था।

एंटीक के व्यापार में, क्रिस्टीन उन के साथ थीं। 2021 में उनका निधन हो गया। स्टैकपोल के साथ मिलकर विक्टोरिया के कोच बने। हालांकि कभी कोई खिताब नहीं जीता, लेकिन रेडपाथ की  भूमिका को पसंद किया गया- उन्हीं सालों में टीम से डेमियन फ्लेमिंग और पॉल रीफेल टॉप पर पहुंचे

रेडपाथ अपने करियर की जिस सीरीज को सबसे ज्यादा याद करते हैं वह 1969-70 में भारत में जीत है। पहले टेस्ट में हंगामा हुआ। रेडपाथ अपनी पत्नी को भी साथ लाए थे और वे तो बुरी तरह से डर गईं। सीरीज खत्म होने तक ये टूर सबसे मनोरंजक और विवादास्पद सीरीज में से एक में बदल चुका था। मेहमान टीम ने 3-1 से जीत हासिल की लेकिन ये स्कोर लाइन सही मुकाबले का संकेत नहीं है। इसी सीरीज में रेडपाथ ने यादगार 63 बनाए थे।

रेडपाथ ने रन बनाना शुरू किया तो रुके नहीं और करियर केआख़िरी 15 टेस्ट में 5 और 1975-76 में अपनी आख़िरी टेस्ट सीरीज़ में 3 शतक लगाए। माइकल होल्डिंग और एंडी रॉबर्ट्स थे तब वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजी आक्रमण में और रेडपाथ ने कमाल की बल्लेबाजी की। इसी सीरीज में अपना पहला छक्का लगाया- लांस गिब्स की गेंद पर। ट्रेवर गोडार्ड ने उन्हें स्पिन को खेलने में दुनिया के सबसे सही बल्लेबाज में शामिल किया। आज वही ऑस्ट्रेलिया टीम, भारत में स्पिन को सबसे बड़ी चुनौती के साथ खेल रही है। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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