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टेस्ट मैच स्पेशल को एक इंटरव्यू में आईसीसी अध्यक्ष ग्रेग बार्कले ने 2027 तक की क्रिकेट का ब्लू प्रिंट दिखाया- टेस्ट मैच घटेंगे क्योंकि, ज्यादा खेली जा रही, सफेद गेंद वाली क्रिकेट के लिए जगह चाहिए। उनकी ये बात चेतावनी है पर क्रिकेट की दुनिया ने इसे ठीक तरह समझा नहीं। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें टेस्ट मैच ‘कम’ होने की चिंता नहीं क्योंकि तसल्ली ये है कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की प्रासंगिकता बढ़ रही है। साफ़ इशारा है कि 2023-27 के अगले फ्यूचर टूर्स प्रोग्राम में पुरुष टेस्ट क्रिकेट कम होगी और टी 20 लीग और इंटरनेशनल टूर्नामेंट से ही भरा रहेगा क्रिकेट कैलेंडर। इस चेतावनी का का असर ये होगा कि कुछ देश कम टेस्ट क्रिकेट खेलेंगे और कुछ छोटे लेकिन टेस्ट देशों को यह मानना होगा कि वे जितना टेस्ट क्रिकेट खेलना चाहते हैं- उतना नहीं खेल सकते। ये एक साल में चार या पांच टेस्ट खेल जाएं तब भी बहुत होगा जबकि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे क्रिकेट में बड़े देश वैसे ही टेस्ट खेलते रहेंगे जैसे अभी खेल रहे हैं।बार्कले फिर भी चिंतित नहीं क्योंकि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (जिसके पहले राउंड को न्यूजीलैंड ने पिछले साल जीता) उन देशों में ज्यादा उत्साह से खेली जा रही है जहां मार्की सीरीज की कमी है। इस समय इसका 2021-23 का राउंड चल रहा है जिसका फाइनल लॉर्ड्स में अगले साल खेला जाएगा। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप स्टैंडिंग में सबसे नीचे की टीम में रहने के कारण, मेजबान इंग्लैंड के फाइनल में पहुंचने की संभावनाएं पहले से ही बड़ी कम हैं।

आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का दूसरा राउंड पिछले साल इंग्लैंड और भारत के बीच पांच टेस्ट की सीरीज के साथ शुरू हुआ- 4 टेस्ट खेले और बचा एक टेस्ट इस साल खेल रहे हैं।इस बार की चैंपियनशिप एक नए पॉइंट सिस्टम में खेल रहे हैं। 2019-2021 रॉउंड में पॉइंट सिस्टम : हर सीरीज 120 पॉइंट की और इसे टेस्ट की गिनती में बांट दिया- दो मैच की सीरीज का एक टेस्ट जीतने पर 60 पॉइंट लेकिन 5 टेस्ट की सीरीज में एक टेस्ट जीतने पर 24 पॉइंट। सबसे ज्यादा पॉइंट वाली दो टीम फाइनल में। कोविड के कारण इस सिस्टम को बदलना पड़ा और तय किया कि उपलब्ध पॉइंट की तुलना में हासिल किए पॉइंट का प्रतिशत- स्टैंडिंग तय करेगा।2021-2023 राउंड में पॉइंट सिस्टम : अब भी हासिल किए पॉइंट का प्रतिशत स्टैंडिंग तय करेगा लेकिन हर टेस्ट के उपलब्ध पॉइंट बराबर कर दिए। सीरीज की लंबाई चाहे जो हो- अब हर टेस्ट में जीत के लिए 12, ड्रॉ के लिए 4 और टाई के लिए 6 पॉइंट मिलेंगे। इसलिए, 5 टेस्ट की सीरीज में कुल 60 पॉइंट उपलब्ध होंगे और 2 टेस्ट की सीरीज में अधिकतम 24 पॉइंट। इस पॉइंट सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा ये है कि किसी भी मैच या सीरीज को किसी भी वजह से रद्द करना सीधे पॉइंट तालिका को प्रभावित नहीं करता है। इससे टीमों के मैचों की गिनती में असंतुलन भी हट गया। टीमें डब्ल्यूटीसी राउंड में बराबर मैच नहीं खेल सकती हैं पर हर टीम 6 सीरीज खेलेगी- तीन ‘होम’ और तीन बाहर।

ये सब पढ़कर लगेगा कि पिछले राउंड में जो कमियां नजर आईं- उन्हें दूर कर दिया है। इस पॉइंट सिस्टम में एक बड़ी कमी है- उस पर कंट्रोल रखना होगा। 2021-23 डब्ल्यूटीसी राउंड में हर टेस्ट 12 पॉइंट का, जीत- 12 पॉइंट, टाई- 6, ड्रॉ- 4 और हार- 0 पॉइंट। इन हासिल पॉइंट को प्रतिशत में बदल देते हैं। ये सिस्टम तब सही चलता जब सब टीमें बराबर मैच खेलतीं, जो हो नहीं रहा। इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया सीरीज में 5 टेस्ट जबकि भारत-श्रीलंका और भारत-न्यूजीलैंड सीरीज 2 टेस्ट मैचों की थीं। यही गड़बड़ है। 5 टेस्ट की सीरीज कौन सी टीम खेल रही है- बड़ी टीम जिनमें आपसी मुक़ाबला मुश्किल होता है और जीतना आसान नहीं होता। अब होगा ये कि कोई भी टीम- दूसरी बेहतर टीम के विरुद्ध छोटी सीरीज और कमजोर टीम के विरुद्ध लंबी सीरीज खेलना चाहेगी। क्या टेस्ट क्रिकेट की बेहतरी के लिए ये सही होगा ?- चरनपाल सिंह सोबती

One thought on “चेतावनी के बीच आईसीसी ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के महत्व को माना पर क्या पॉइंट सिस्टम सही है ?”

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