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टी20 वर्ल्ड कप ने टीम इंडिया के जिन दो खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा चर्चा दिलाई उनमें से एक नाम सूर्यकुमार यादव का है। वर्ल्ड कप के दौरान ही टी20 इंटरनेशनल में नंबर 1 बल्लेबाज बने- लगभग डेढ़ साल के टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट करियर में डेब्यू से नंबर 1 कोई मजाक नहीं।

क्या आपने सूर्यकुमार की उम्र नोट की- इस समय 32 साल से ऊपर और टी20 डेब्यू था 30 साल 181 दिन की उम्र में- वनडे इंटरनेशनल में तो इससे भी लगभग चार महीने बाद आए। सवाल ये है कि अगर इतने ही बेहतरीन बल्लेबाज थे तो इतना नजरअंदाज कैसे होते रहे कि 30 साल की उम्र तक टीम इंडिया के सेलेक्टर्स ने याद ही नहीं किया? इस पहेली का कोई जवाब नहीं। ये कहना ज्यादा ठीक होगा कि अभी भी किस्मत वाले हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट खेल गए- अन्यथा यहां तो ढेरों मिसाल हैं कि प्रतिभाशाली खिलाड़ी सही मौकों की तलाश में जूझता रहा और निराशा में उसकी क्रिकेट ही ख़त्म हो गई। सूर्य को न घरेलू क्रिकेट में ढेरों रन ने मौका दिलाया और न आईपीएल ने।

साल 2010- मुंबई के लिए डेब्यू स्कोर 73 रन। 2011 में मुंबई इंडियंस में आ गए। 2011-12 रणजी सीजन- 754 रन और इसके बाद लगातार रन बनाते रहे। अक्षर पटेल, केएल राहुल और जसप्रीत बुमराह जैसे उनके साथ थे- वे इंटरनेशनल क्रिकेट खेले पर सूर्य के लिए कोई मौका नहीं। 2018, 2019 और 2020 आईपीएल सीजन में क्रमशः 512, 424 और 480 रन, 2018 में आईपीएल के सबसे महंगे अनकैप्ड खिलाड़ी- मुंबई ने 3.2 करोड़ रुपये में खरीदा। आखिरकार मार्च 2021 में मौका मिला और टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में जो पहली गेंद खेली उस पर 6 लगा दिया- भारत से और कोई ये रिकॉर्ड नहीं बना सका है। उस एक स्ट्रोक के बाद से सूर्य के बैट ने रन बनाने (और वह भी गजब के स्ट्राइक रेट से) की झड़ी लगा दी है।

कोई जवाब नहीं कि सूर्य को रणजी डेब्यू से इंटरनेशनल क्रिकेट तक पहुंचने में 11 साल क्यों लग गए? ऐसी टेलेंट हैं जो खो गई थी और सिर्फ किस्मत से उन्हें वापस पा लिया- किसी प्रतिभा को पहचानने वाली नजर से नहीं। इसी तरह, आज इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं है कि पृथ्वी शॉ को टीम इंडिया में लौटने और सरफराज खान को इंटरनेशनल डेब्यू के लिए और क्या करना होगा- और कितना इंतजार?

टी20 वर्ल्ड कप के बाद न्यूजीलैंड सीरीज और आगे बांग्लादेश टूर है- 4 दिसंबर से तीन वनडे और दो टेस्ट जो वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप में गिने जाएंगे। टूरिंग टीम इंडिया जो पिछली कमेटी ने चुनी हैरान करने के तड़के के बिना नहीं है। कई सीनियर्स के ‘रेस्ट’ के बावजूद घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बना रहे पृथ्वी शॉ और सरफराज खान के लिए जगह नहीं- तब चयन समिति के अध्यक्ष चेतन शर्मा से सबसे ज्यादा सवाल इन्हीं दो के बारे में पूछे गए थे। अगर इस फार्म पर भी टीम में जगह नहीं तो ऐसा क्या करें कि टीम में आ सकें?

ओपनर शॉ घरेलू सर्किट में अच्छी फॉर्म में हैं लेकिन लंबे समय में सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट की स्कीम में नहीं- रोहित शर्मा और केएल राहुल दोनों न्यूजीलैंड में टी20 आई नहीं खेले और ये शॉ को ओपनर के तौर पर वापस देखने का अच्छा मौका था। सेलेक्टर्स का नजरिया- ‘वे कुछ भी गलत नहीं कर रहे। जो खिलाड़ी पहले से खेल रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें मौका मिलना ज्यादा जरूरी था।’ पृथ्वी शॉ- रणजी ट्रॉफी में 6 मैचों में 355 रन, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में 7 मैचों में 47.50 औसत और 191.27 स्ट्राइक रेट से 285 रन तथा विजय हजारे ट्रॉफी में 7 मैच में 31 औसत से 217 रन।

सरफराज भी इस सीजन में सनसनीखेज फॉर्म में- इस साल 15 प्रथम श्रेणी पारियों में 1380 रन, 6 शतक, 106.15 औसत। विजय हजारे ट्रॉफी में 3 पारी में 144 रन जिसमें एक स्कोर 120 का भी। टीम इंडिया का दरवाजा लगातार खटखटाया लेकिन कॉल-अप के लिए इंतजार जारी। चेतन शर्मा ने कहा था- ‘सरफराज टीम इंडिया में आने से ज्यादा दूर नहीं- उन्हें भी मौका दे रहे हैं। इंडिया ए टीम में चुना।’ सरफराज ने रणजी ट्रॉफी के 6 मैचों में 4 शतक सहित 982 रन बनाए- टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा।

कोई भी खिलाड़ी हो- सही वक्त पर सीनियर टीम में खेलने का मौका न मिले तो नतीजा हर बार सूर्यकुमार यादव जैसा अच्छा नहीं आएगा। अंबाती रायुडू- वनडे वर्ल्ड कप टीम में न चुनकर ऐसा बेकार किया कि टीम इंडिया में लौटने योग्य भी न रहे। टेस्ट में 300 का स्कोर बनाने वाले करुण नायर- बड़े स्कोर के बावजूद कभी विश्वास नहीं जीत पाए। यही पृथ्वी शॉ और हनुमा विहारी के साथ- विहारी को ‘स्कीम ऑफ थिंग्स’ की लॉलीपॉप देने से सीनियर क्रिकेट खेलने भूख शांत नहीं होगी।

ये सभी सेलेक्टर्स के नजरिए और फैसले को मानने के अतिरिक्त और कुछ नहीं कर सकते। हर किसी की सलाह- संयम रखो, सही मौका जरूर मिलेगा। कई करियर इसी इंतजार की भेंट चढ़ गए। सेलेक्टर्स 50 टॉप खिलाड़ियों का पूल और साथ-साथ खेलने वाली दो टीम बनाने जैसी बात करते हैं और साथ में सीनियर के लिए ‘रेस्ट’ वाली पॉलिसी तो घरेलू क्रिकेट नजरअंदाज नहीं होनी चाहिए- यही तो भारत में क्रिकेट की नर्सरी है। ऐसा न हुआ तो खिलाड़ी रणजी और दलीप ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट में किस जोश से खेलेंगे? आईपीएल में जोर लगाओ और टीम इंडिया में आ जाओ।

फिर से सूर्यकुमार पर लौटते हैं- अब सिर्फ टेस्ट कैप बची है। उनकी जैसी चर्चा हो रही है उसमें ये मान सकते हैं कि टेस्ट कॉल-अप से दूर नहीं- यहां तक कि जडेजा के बांग्लादेश में टेस्ट खेलने वाली टीम से बाहर होने पर वे दावेदार गिने गए। अब बात आती हैं फार्म और मशहूरी के मुकाबले की। उनका फर्स्ट क्लास क्रिकेट रिकॉर्ड वैसा नहीं जैसा टी20 रिकॉर्ड है- 77 मैच, 44.01 औसत, 63 स्ट्राइक रेट और 5326 रन। सरफराज खान का औसत 81.33- इस औसत पर सिर्फ ब्रैडमैन की याद आती है। हनुमा विहारी लंबे समय से लाइन में हैं। श्रेयस अय्यर ने पिछले साल न्यूजीलैंड के डेब्यू के बाद क्या गलत किया? मिडिल आर्डर में शुभमन गिल को आज़माने की भी चर्चा है- उनकी हाल में ओपनर के तौर पर मुश्किलों की वजह से। इससे टेस्ट ओपनर के तौर पर केएल राहुल को लाइफ लाइन मिल जाएगी।

सूर्यकुमार की चर्चा में ये भी ध्यान रखें कि वे खुद भी लिमिटेड ओवर क्रिकेट पर पूरा ध्यान लगा रहे हैं और फरवरी 2020 के बाद से कोई फर्स्ट क्लास क्रिकेट नहीं खेला है। टेलेंट से इंकार नहीं पर खिलाड़ी की अपनी वरीयता भी तो देखो। टेस्ट में रन और स्कोरिंग रेट जितना जरूरी उतना विकेट बचाना भी। यही वजह है कि स्कीम एकदम बदली- सूर्य नहीं सौरभ कुमार का नाम चर्चा में आ गया। वे उत्तर प्रदेश खब्बू स्पिनर हैं- पिछले दो सीजन में 12 रणजी ट्रॉफी मैच में 58 विकेट और पिछले साल यूपी के सेमीफाइनल तक के सफर में भी ख़ास योगदान दिया था। न्यूजीलैंड में इंडिया ए के लिए निर्णायक मैच में 9 विकेट लिए थे।

सही वक्त पर, सही खिलाड़ी को मौका देना सबसे जरूरी है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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