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हार पचाना आसान नहीं होता- खास तौर पर तब, जब ऐसा लग रहा हो कि जीतने के बड़े करीब हैं। शाकिब अल हसन ने तो भारत के विरुद्ध मैच से पहले ही कह दिया था कि उनकी टीम
टी20 वर्ल्ड कप जीतने नहीं आई है पर भारत को हराकर ‘अपसैट’ की चाह उनमें थी और मैच के बाद उनका विश्वास था कि कुछ गैर-क्रिकेट फैक्टर ने उनकी टीम को इस ‘अपसैट’ से रोक दिया। क्या हुआ था?

एडिलेड में भारत के विरुद्ध, बांग्लादेश के लिए जीत का लक्ष्य 185 रन था। ओपनर लिटन दास इसे हासिल करने के लिए खेले पर आखिर में बांग्लादेश ने डीएलएस के जरिए 5 रन से मैच गंवा दिया।

16 वां ओवर जो बरसात की वजह से बांग्लादेश पारी का आख़िरी था- गेंदबाज अर्शदीप :
दूसरी गेंद- नूरुल हसन सोहन का 6
अब आख़िरी 4 गेंद में 13 रन की जरूरत
तीसरी गेंद- कोई रन नहीं
चौथी गेंद- नूरुल हसन सोहन 2 रन
पांचवीं गेंद- नूरुल हसन सोहन का 4
अब आखिरी गेंद पर 6 की जरूरत ताकि सुपर ओवर में फैसला हो। ऐसा नहीं हुआ- एक रन और बांग्लादेश का स्कोर 145-6 रहा।

बांग्लादेश पारी में पहले 7 ओवर में स्कोर 66-0 था तो बरसात आ गई। जब बरसात के बाद (53 मिनट की देरी) खेल फिर शुरू हुआ तो नया लक्ष्य 16 ओवर में 151 था। विकेट गिरने लगे और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण था लिटन का आउट होना (27 गेंद में 60 रन)। इसलिए बांग्लादेश को निराशा होनी ही थी। अगर 7 ओवर के उस मुकाम के बाद खेल आगे शुरू न होता तो बांग्लादेश डकवर्थ लुईस स्टर्न सिस्टम से 17 रन से आगे था। अब देखिए बांग्लादेश की शिकायत :

  • जब खेल फिर से शुरू हुआ तो फिसलन थी आउटफील्ड पर और गेंदबाजी और फील्डिंग बड़ी मुश्किल थी। शाकिब ने कहा- उनके पास अंपायर की बात मानने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं था।
  • विराट कोहली ने नो-बॉल देने के लिए अंपायरों को इशारा किया। भारतीय पारी के 15वें ओवर की आखिरी गेंद- हसन महमूद ने शार्ट गेंद फेंकी और ग्राउंड अंपायर मरैस इरास्मस ने उसे नो बॉल दे दिया। वजह- ओवर का दूसरा बाउंसर। मुद्दा ये है कि वे कहते हैं कि कोहली ने इशारा क्यों किया और कोहली जैसे बड़े क्रिकेटर के इशारे का मतलब है अंपायर पर दबाव। यहां तक कि इस बात पर कोहली और शाकिब के बीच आपस में बहस भी हुई थी।

अब सवाल ये है कि क्या विराट कोहली नो-बॉल कॉल के लिए अंपायर को ऐसा इशारा कर सकते थे? चूंकि विराट कोहली ने इस टी 20 टूर्नामेंट में पहले भी अंपायरों को नो-बॉल कॉल के लिए इशारा किया है तो ये मुद्दा एक बड़ी चर्चा बनता जा रहा है। मेलबर्न में सुपर 12 ओपनर में विरुद्ध पाकिस्तान- भारत की जीत में, विराट कोहली के 53 गेंदों में 82* और इस दौरान भी कोहली ने आख़िरी ओवर (नवाज का) में एक नो-बॉल के बाद, एक और फुल टॉस को मिड-विकेट स्टैंड में हिट किया और फ़ौरन लेग अंपायर मरैस इरास्मस को नो बॉल का इशारा किया। दो ऑन-फील्ड अंपायर, रॉड टकर और इरास्मस, ने आपस में बात की और नो-बॉल का इशारा कर दिया। ये उस मैच का टर्निंग पॉइंट था।

शाकिब की दलील है- बल्लेबाज, बल्लेबाजी करे और अंपायरों को अपना काम करने दें। अगर बल्लेबाज कुछ कहता है तो अंपायर पर दबाव बन जाता है और कोहली तो एक बड़ा नाम हैं- इसलिए अंपायर दबाव में आ ही जाते हैं। वसीम अकरम की सोच अलग है- यह स्वाभाविक है कि बल्लेबाज को लगता है कि गेंदबाज ने गलती की तो वाइड और नो-बॉल का इशारा कर ही देते हैं। अब ये अंपायर को तय करना है कि क्या फैसला देना है?

  • विराट कोहली पर ‘फेक-फील्डिंग’ का आरोप- उनका कहना है कि विराट कोहली की इस गलती के लिए भारत पर पेनल्टी लगनी चाहिए- आईसीसी प्लेइंग कंडीशंस के अनुसार ऐसा करने पर पेनल्टी 5 रन है और अगर ये दे देते तो मैच टाई हो जाता! मैच के बाद बांग्लादेश के विकेटकीपर ने आरोप लगाया कि अंपायर इस बड़ी घटना को नजरअंदाज कर गए जो गलत है। हुआ क्या था?

बांग्लादेश पारी में सातवां ओवर- लिटन दास ने अक्षर पटेल की गेंद को डीप ऑफ साइड फील्ड की ओर खेला। अर्शदीप सिंह ने बॉउंड्री से गेंद थ्रो की स्टंप्स पर लेकिन पॉइंट पर खड़े कोहली ने ऐसा एक्शन किया जैसे गेंद नॉन-स्ट्राइकर सिरे पर फेंक रहे हों। उस समय, ग्राउंड पर किसी का, इस पर,ध्यान नहीं गया और ऑन-फील्ड अंपायर, मरैस इरास्मस और क्रिस ब्राउन ने भी कोई एक्शन नहीं लिया। यहां तक कि नॉन-स्ट्राइकर नजमुल हुसैन शांटो भी चुप रहे। क्रिकेट लॉ 41.5 के अनुसार, ऐसी फेक फील्डिंग पर अंपायर उस गेंद को ‘डैड बॉल’ घोषित करेंगे और बल्लेबाजी टीम को पेनल्टी के 5 रन देंगे।

फेक फील्डिंग के संदर्भ में दक्षिण अफ्रीका के विकेटकीपर-बल्लेबाज क्विंटन डी कॉक का केस सबसे मजेदार है- 2021 में दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान के बीच वनडे के दौरान डी कॉक ने एक रन पूरा कर रहे फखर जमान को फेक फील्डिंग से जानबूझकर विचलित करने की कोशिश की और इस चक्कर में फखर आउट भी हो गए पर डी कॉक बच गए।

पाकिस्तान के क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने तो इस मामले को और ही रंग दे दिया है- वे कहते हैं कमर्शियल फायदा देखते हुए आईसीसी की पूरी कोशिश है कि किसी भी तरह से भारत नॉक आउट में जरूर खेले- इसीलिए जमीन गीली होने के बावजूद मैच शुरू करा दिया। संयोग ये भी है कि इस मैच के अंपायर भी वही थे जिन्होंने भारत-पाकिस्तान मैच की अंपायरिंग की।

असंतोष का सिलसिला तो चलता रहेगा पर सवाल ये है कि लॉ क्या कहता है?

  • चरनपाल सिंह सोबती

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