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एक बेमिसाल करियर का अंत। दिग्गज झूलन गोस्वामी ने तय कर लिया था कि लॉर्ड्स में इंग्लैंड के विरुद्ध वनडे सीरीज के बाद रिटायर हो जाएंगी और दोनों टीम ने उन्हें अलविदा कहा। चेन्नई में इंग्लैंड के विरुद्ध शुरू हुआ करियर लंदन में उन्हीं के विरुद्ध खत्म हुआ और वह भी लॉर्ड्स में।लॉर्ड्स में आख़िरी करियर इंटरनेशनल मैच खेलने वाले भारतीय खिलाड़ी : 1932- लाल सिंह (एकमात्र टेस्ट),1936- फ़िरोज़ पालिया (दो टेस्ट और दोनों लॉर्ड्स में),1952- सादु शिंदे (पहला और आख़िरी टेस्ट),1982- गुलाम परकार (एकमात्र टेस्ट),1990- संजीव शर्मा 2022 और झूलन गोस्वामी (वनडे)।

क्रिकेट खेली सबसे बेहतरीन गेंदबाजों में से एक और अन्य किसी महिला खिलाड़ी के नाम इस दाएं हाथ की तेज गेंदबाज से ज्यादा वनडे विकेट नहीं हैं। सच तो ये है कि वह महिला क्रिकेट में एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्होंने 250 विकेट की गिनती को पार किया। कुल रिकॉर्ड : टेस्ट- 12 मैच में 44 विकेट, वनडे इंटरनेशनल- 204 मैच में 255 विकेट और 68 टी 20 इंटरनेशनल में 56 विकेट। वास्तव में झूलन गोस्वामी का योगदान, इन गिनती से कहीं ज्यादा है। स्पिन गेंदबाज की कामयाबी के लिए मशहूर, भारत में वे एक तेज गेंदबाज के तौर पर सबसे आगे थीं और भारतीय महिला क्रिकेट में लगभग अकेले दम पर तेज गेंदबाजी करने की संस्कृति की शुरुआत के लिए वे हर पीढ़ी की क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा रहेंगी।  

उनके बाद कौन- ये सवाल लगभग बेतुका है क्योंकि भारत में महिला तेज गेंदबाजों की हमेशा कमी रही। पिछले कुछ सालों में, तेज गेंदबाजों की लगातार कमी के कारण, घरेलू क्रिकेट में पिच धीमी होती गईं- तेज गेंदबाज बनने का हौसला कहां से मिले? कभी भी सेलेक्टर्स को ये मौका नहीं दिया कि उन्हें टीम से निकालें। टी20, वनडे और या फिर टेस्ट- अपने टर्म्स पर खेलना छोड़ा।  
यूं तो कई यादगार प्रदर्शन किए पर कुछ बड़े ख़ास रहे। मसलन : 

  • अपने पहले विश्व कप (2005) में, फाइनल में भारत के खेलने में एक ख़ास भूमिका निभाई। प्रिटोरिया में वेस्टइंडीज को 135 रन पर समेटने में उनका प्रदर्शन था 4/16 का। भारत ने जब मैच जीता तो 17 ओवर और 8 विकेट बचे थे और झूलन गोस्वामी को प्लेयर ऑफ द मैच चुना।
  • 2006 में एक ऑल-फॉर्मेट सीरीज़ के लिए इंग्लैंड टूर में पहला टेस्ट ड्रा रहा और दूसरे टेस्ट से पहले वनडे सीरीज, जिसमें 4-0 से हार मिली और टीम का हौसला टूट गया। फिर भी दूसरे टेस्ट में क्या गजब की वापसी की और 5 विकेट से जीत हासिल की- इंग्लैंड के विरुद्ध रेड-बॉल क्रिकेट में भारत की पहली जीत। इस जीत के फ्रंट पर थीं झूलन गोस्वामी और दोनों पारी में 5-5 विकेट लिए और रिकॉर्ड 5/33 और 5/45 था। दूसरी पारी में तो इंग्लैंड 212/2 से 305 पर ऑल आउट। अपने करियर में 5 विकेट का रिकॉर्ड तीसरी बार दर्ज किया।
  • 2012 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध टी20 सीरीज में भारत 4-0 से पीछे था पर मेहमान टीम को क्लीन स्वीप से बचाया झूलन ने। पावरप्ले में एलिसा हीली और लिसा स्थालेकर को आउट किया और पारी का आख़िरी ओवर फेंकने के लिए लौटीं और इसी में तीन विकेट- एलिस पेरी, एरिन ओसबोर्न और शेरोन मिलंटा के लिए। रिकॉर्ड रहा 5/11 का। उनके 5/11- टी20 इंटरनेशनल में किसी भारतीय महिला गेंदबाज के दूसरे 5 विकेट थे और अब तक महिला टी20 इंटरनेशनल में एक भारतीय गेंदबाज का सबसे बेहतर प्रदर्शन।
  • न्यूजीलैंड के विरुद्ध, 2011 की 4 टीम की सीरीज के 6 वें मैच में गेंद के साथ झूलन गोस्वामी ने 6 विकेट लिए- सिर्फ 31 रन देकर। ये वनडे क्रिकेट में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। तब भी टीम हार गई।  
  • 2005 में अपनी पिचों पर 5 मैचों की वनडे सीरीज में इंग्लैंड पर 5-0 से जीत हासिल की। सीरीज के चौथे वनडे में, इंग्लैंड को वनडे में अपने सबसे कम स्कोर पर आउट कर दिया और झूलन गोस्वामी ने 5 विकेट लिए- वनडे क्रिकेट में पहली बार 5 विकेट। सिर्फ 51 रन का लक्ष्य था और मेजबान टीम ने 15 ओवर से कम ओवर में इन्हें हासिल कर लिया।

झूलन को अलविदा कहते हुए पूरी टीम इंडिया भावुक थी जबकि उनकी क्रिकेट की तारीफ़ इंग्लैंड ने भी की। इंग्लैंड की तेज गेंदबाज क्रॉस ने कहा- ‘फ्रेया केम्प और एलिस (कैप्सी) जैसी हमारी कुछ युवा लड़कियों के लिए वे हमेशा एक मिसाल रहेंगी। केम्पी का तो तब जन्म भी नहीं हुआ था जब झूलन ने बड़ी क्रिकेट में खेलना शुरू किया था। 
ऐसे करियर ज्यादा नहीं होते। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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