ये क्रिकेट की बड़ी-बड़ी बातों की चर्चा नहीं, एक कहानी है- टीम इंडिया की जो लोकप्रियता के ग्राफ में इस समय सबसे ऊपर है। इन दिनों में कई नए खिलाड़ी सामने आए हैं और कुछ तो इंडिया कैप के उस मुकाम तक भी पहुंच गए जो हर खिलाड़ी का सपना है। ऐसी कई स्टोरी आगे भी सुनने को मिलेंगी।
उत्तर प्रदेश का देहात और बात 2012 की है- एक 10 साल का बच्चा, क्रिकेट खेलने के जोश के साथ अपने गांव से दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक, मुंबई के लिए लगभग एक हजार मील के चमत्कारी सफर पर निकल पड़ा। शुरु के दिन दादर में अपने चाचा के साथ पर वहां टिक नहीं पाया क्योंकि ग्राउंड बड़ा दूर था और पैसे भी लग रहे थे। एक डेयरी की दुकान में शरण ली- वहां काम करो और बदले में रहने की जगह मिल गई। यहां भी टिका नहीं पर क्रिकेट के लिए जुनून कम नहीं हुआ।
घर वापस लौटने के संदेश आने लगे पर वह तो ‘कुछ’ हासिल करने आया था। टिका रहा और आजाद मैदान में, मुस्लिम यूनाइटेड क्लब ग्राउंड स्टाफ टेंट में रहने लगा- बदले में नेट्स लगाने में मदद का काम पर साथ में क्रिकेट सीखने और खेलने का मौका मिला। इसी लड़के यशस्वी जयसवाल ने टेस्ट में पहली पारी में 209 रन का रिकॉर्ड बनाया- भारत के कुल स्कोर के आधे से भी ज्यादा।
ऐसी स्टोरी कई हैं- हर किसी में भारत की झलक और हर स्टोरी में क्रिकेट के लिए जुनून है। जो रहने के लिए सही जगह तलाशते थे- आज 5 स्टार होटल में ठहरते हैं, कभी लोकल की टिकट भारी थी और आज चार्टर्ड फ्लाइट में सफर करते हैं। ऐसे मुकाम हासिल किए जो सोच भी नहीं सकते।
फिल्म स्टार की दीवानगी वाले इस देश में विराट कोहली भी हैं- 600 लाख ट्विटर फॉलोअर्स यानि कि अकेले उन गैर स्पांसर्ड लगभग 300 लाख के बराबर जो ट्वीट करते हैं। ये गिनती इतनी बड़ी है कि रोहित शर्मा के रिकॉर्ड पर तो कोई ध्यान ही नहीं देता। आर अश्विन अपने किस्सों के लिए मशहूर हैं- हर मसले के लिए उनके पास नया विवाद शुरू करने वाला कमेंट है।
इन सभी ने भी इस मुकाम के लिए कहीं न कहीं से तो शुरुआत की। हर किसी की स्टोरी उनकी पहचान है। 2010 में भारत में अंडर 25-29 पुरुष की गिनती 500 लाख से ज्यादा थी यानि कि इंग्लैंड/दक्षिण अफ्रीका की आबादी के बराबर। इसलिए यहां खेलने के मौके के लिए वही आगे आएगा जिसकी स्टोरी में दम होगा- किस्मत जिस के साथ होगी।
मुकेश कुमार की स्टोरी- वह बिहार के एक गांव से है, बेहतर नौकरी के लिए लंबा रास्ता तय किया और घर से निकला। पुलिस ऑफिसर बनना था पर फिटनेस में फेल हो गया। वहां से ध्यान क्रिकेट पर और ज्यादा लगाया। बिहार कोई क्रिकेट सेंटर नहीं है- इसलिए मुकाम बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, टेप बॉल गेम में पैसे लेकर अलग-अलग टीम के लिए गेंदबाज बनना हो गया। इसी से पैसा कमाया। पिता खींचकर कोलकाता ले आए और यहां किस्मत बदली पर वह गांव को भूला नहीं और एक बार क्रिकेट खत्म तो वापस अपने गांव और खेत में वापस लौटने का इरादा है।
रजत पाटीदार– तेज गेंदबाज थे पर घुटने में एसीएल फट गया तो ऑफ-स्पिन शुरू कर दी जो रास नहीं आई। अब बैट उठा लिया। आईपीएल में पहला साल 2021 था और तब लगभग 30 साल के थे। नाकामयाब रहे और नतीजा- 2022 सीज़न के लिए बाहर। शादी की तैयारी चल रही थी पर आईपीएल बेंच पर बैठने के लिए भी, शादी रोक दी। किस्मत ने टीम में जगह दिलाई और उस सीजन में 50 की औसत से जबरदस्त स्ट्राइक रेट से 333 रन बनाए।
अब आगे बढ़ने का मौका था पर पैर में चोट लग गई और अगला सीज़न गया। पूरा करियर आधी-अधूरी शुरुआत और चोट से भरा है लेकिन अब शादी नहीं क्रिकेट पहले थी और किस्मत टेस्ट डेब्यू तक ले गई।
अक्षर (Axar) पटेल– भारत में आम तौर पर इंग्लिश की ऐसी स्पेलिंग वाले नाम नहीं रखे जाते- उन्हें ये नाम उनके हाई स्कूल के प्रिंसिपल ने दिया। प्रिंसिपल साहब ने फॉर्म भरने में गलती कर दी और यही नाम हो गया। एक कम्पीटीशन में तो ये सवाल भी पूछा गया था कि भारत में ऐसे कितने क्रिकेटर हैं जिनके नाम में x है। और देखिए- जब इंडिया अंडर 19 टीम में चुने गए तो पता चला कि उनके पास पासपोर्ट भी नहीं है। एक क्षण में सब बदल गया।
जब श्रेयस अय्यर कोचिंग के लिए प्रवीण आमरे के नेट्स पर गए तो वापस भेज दिए गए क्योंकि जगह नहीं थी। अय्यर का करियर देखिए- सबसे ख़ास फीचर है मौके गंवाना। वनडे क्रिकेट ज्यादा खेलना चाहिए था- यहां तक कि 2019 वर्ल्ड कप भी और टेस्ट क्रिकेट में जब आए- उससे तीन साल पहले भी खेल सकते थे।
केएस भरत ने विजाग में बॉल बॉय के तौर पर शुरुआत की थी। विज्जी के क्रिकेट से हटने के बाद से विजाग भारत में क्रिकेट सेंटर नहीं रहा और एमएस धोनी समेत कई क्रिकेटरों के शॉट पर बाउंड्री पर बॉल बाय थे। आज विशेषज्ञ कीपर पर 19 साल की उम्र तक ग्लव्स भी नहीं पहने थे। उसके बाद धोनी, दिनेश कार्तिक की लांग इनिंग, रिद्धिमान साहा भी आ गए और ऋषभ पंत ने तो हर मौका खत्म कर दिया- तब भी किस्मत ने उसे टेस्ट में कीपर बना दिया जो पसंद के चार्ट पर नंबर 5 था। ये स्टोरी है इंडिया ए के लिए खेलने के बावजूद, बॉल बाय से टेस्ट तक पहुंचने की है।
कुलदीप यादव– ऐसे खिलाड़ी जो बड़ी मुश्किल से क्रिकेट सिस्टम में फिट हुए क्योंकि गलत हाथ से सही गेंदबाजी करते थे। अनोखे स्टार और एक बार तो लगा था सब खत्म, जैसा कि अक्सर खब्बू कलाई की स्पिन के साथ होता है- तब भी खुद मेहनत की, बेहतर गेंदबाज बने और आज उन्हें खेलना आसान नहीं। इससे जबरदस्त वापसी और क्या होगी? सच ये भी है कि बचपन में वसीम अकरम बनना चाहते थे- मुश्किल ये थी कि उन जैसे एथलीट नहीं थे। इसलिए कलाई से स्पिन करना शुरू कर दिया।
शुभमन गिल के पिता उन्हें जिस कोच के पास ले गए थे- वहां भी तब एकेडमी में जगह नहीं थी। योगराज सिंह के पास ले गए- आखिरकार वे खुद गेंदबाज होते हुए भी युवराज के कोच थे। वे भी शुभमन को न ले पाए पर उनके पिता को इतनी सलाह जरूर दे दी कि खुद क्रिकेट जानते हो तो खुद कोचिंग दो। इसी सलाह को पल्लू से बांध लिया और क्रिकेट कोचिंग की किताबें पढ़कर, पिता ने भारत के लिए वह बल्लेबाज तैयार कर दिया जिसकी टेलेंट की तारीफ़ भारत से बाहर भी होती है। आज जो अंडर 19 वर्ल्ड कप में नाम कमा रहे हैं, टीम में नए आ रहे हैं- उनमें से भी हर किसी की कोई न कोई स्टोरी है जो उनकी पहचान बनेगी।
- चरनपाल सिंह सोबती