इंदौर की जिस पिच पर एक-एक रन बनाना मुश्किल हो रहा था, विराट कोहली ने भारत की 109 रन की पहली पारी में 22 रन बनाए- ख़ास बात ये कि वे टीम इंडिया के लिए टॉप स्कोरर थे। सिर्फ 22 रन और तब भी टीम की पारी का सबसे बड़ा स्कोर- सुनने में अजीब लगता है पर सच है। इससे पिछला, इस तरह का भारतीय रिकॉर्ड (घरेलू टेस्ट में) इरफ़ान पठान के 2008 के मोटेरा टेस्ट में 21* थे। यहां सिर्फ उन पारी का जिक्र है जिनमें टीम ऑल आउट थी।
क्या इस स्कोर के रिकॉर्ड पर विराट कोहली को गर्व होगा जबकि सच ये है कि इंदौर टेस्ट ख़त्म होने तक, उनके नाम पिछली 21 टेस्ट पारी में सिर्फ एक 50 है। इस रिकॉर्ड पर कैसे गर्व करें जबकि केएल राहुल ने विराट से एक पारी ही तो ज्यादा ली है?
और देखिए- विराट कोहली ने पिछला टेस्ट 100 नवंबर 2019 में बनाया और उस के बाद से, कम से कम 1000 रन बनाने वाले 36 बल्लेबाज में, विराट कोहली- औसत के आधार पर सबसे नीचे और रन की गिनती में नंबर 33 हैं। क्या ये है एक टॉप टेस्ट क्रिकेटर की पहचान? ये गणित उनका साथ नहीं दे रहा और ये मानना होगा कि शायद वे अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में ईश्वर का आशीर्वाद किसे नहीं चाहिए- इंदौर टेस्ट खेल कर विराट कोहली उज्जैन में महाकाल दर्शन के लिए गए।
विराट कोहली के टेस्ट करियर में ये रिकॉर्ड कतई तसल्ली नहीं देते और दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक का इतने लंबे समय तक कोई बड़ा स्कोर न बनाना हैरानी की बात है।
आगे देखिए- विराट कोहली का टेस्ट रिकॉर्ड : 107 टेस्ट में 8230 रन 48.12 औसत से। इनमें से-
जिन टेस्ट में कप्तान थे : 68 टेस्ट में 5864 रन 54.80 औसत से।जिन टेस्ट में कप्तान नहीं थे : 39 टेस्ट में 2366 रन 36.96 औसत से।
औसत नोट कीजिए। आम तौर पर माना जाता है कि कप्तानी का दबाव बल्लेबाजी पर असर डालता है पर विराट कोहली के मामले में तो ये उलटा है- गैर कप्तान टेस्ट में तो औसत 40 भी नहीं है और ख़ास बात ये कि लगातार गिर रही है। इसमें सबसे बड़ा योगदान, नियमित टेस्ट कप्तानी छोड़ने के बाद के साधारण रिकॉर्ड का है। जनवरी 2022 में टेस्ट कप्तान की जिम्मेदारी को छोड़ा था तो लगा था कि वे कप्तान के तनाव से छुट्टी पाकर, बैट के साथ अपना पुराना रंग दिखाएंगे पर नतीजा :विरुद्ध श्रीलंका- 2 टेस्ट की सीरीज : औसत 27 और टॉप स्कोर 45 रन। विरुद्ध बांग्ला देश- 2 टेस्ट की सीरीज : औसत 15 और टॉप स्कोर 24 रन।विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया- अब तक सीरीज में 3 टेस्ट : औसत 22.20 और टॉप स्कोर 44 रन।
अगर कप्तान और गैर कप्तान टेस्ट में, बल्लेबाजी की औसत के फर्क को देखें तो ये 17.84 है और जो कम से कम 20 टेस्ट में कप्तान रहे, उन पर ऐसी गणना करें तो औसत का फर्क उन्हें, इस मामले में, सबसे खराब बल्लेबाज में से एक साबित करता है। सिर्फ 4 क्रिकेटर ऐसे हैं जिनकी गैर कप्तान टेस्ट में बल्लेबाजी की औसत का कप्तान वाले टेस्ट में औसत से अंतर विराट कोहली से भी ख़राब है (कम से कम 20 टेस्ट में कप्तान)। ये स्टेटमेंट तो विराट कोहली के मौजूदा रिकॉर्ड पर सवालिए निशान लगाती ही है पर जिन 4 का रिकॉर्ड उनसे भी खराब है उनके टेस्ट करियर को देखें तो पिक्चर और भी ख़राब नजर आती है।
टॉप पर इमरान खान (पाकिस्तान) हैं : कप्तान के तौर पर- 2408 रन 52.34 औसत से और जब कप्तान नहीं तो- 1399 रन 25.43 औसत से यानि कि अंतर हुआ 26.91 का। रिकॉर्ड ये बताता है कि कप्तान बनने के बाद इमरान की बल्लेबाजी में गजब का बदलाव आया और जिम्मेदारी से खेलते हुए, अपनी बल्लेबाजी को बहुत बेहतर बनाया- इसलिए वास्तव में उनके मामले में दोनों औसत का अंतर ये बताता है कि वे कितने बेहतर बल्लेबाज में बदले।
लगभग ऐसा ही ग्राहम गूच (इंग्लैंड) के साथ था : कप्तान के तौर पर- 3582 रन 58.72 औसत से और जब कप्तान नहीं तो- 5318 रन 35.93 औसत से यानि कि अंतर 22.79 का। गूच के रिकॉर्ड में एक और फ़र्क़ ये है कि करियर के आख़िरी दौर में जब वे कप्तान नहीं थे तो रिकॉर्ड विराट से कहीं बेहतर था। गैर कप्तान 84 टेस्ट में 9 शतक पर कप्तान के तौर पर 34 टेस्ट में 11 शतक बना दिए।
बॉबी सिम्पसन (ऑस्ट्रेलिया) : कप्तान के तौर पर- 3623 रन 54.07 औसत से और जब कप्तान नहीं तो- 1246 रन 33.67 औसत से यानि कि अंतर हुआ 20.40 का। सिम्पसन के टेस्ट करियर की एक ख़ास बात ये है कि वे रिटायर होने के लगभग 10 साल बाद जब टेस्ट क्रिकेट में वापस लौटे, तब भी भारत के विरुद्ध सीरीज में औसत 50+ थी। कोई भी, उनके लिए इस औसत के अंतर को नेगेटिव में चर्चा में नहीं लेता।
हीथ स्ट्रीक (जिम्बाब्वे) : कप्तान के तौर पर- 1013 रन 36.17 औसत से और जब कप्तान नहीं तो- 977 रन 16.01 औसत से यानि कि अंतर हुआ 20.16 का। वे, वास्तव में एक टॉप गेंदबाज थे और इसी भूमिका में खेले। उनके रन तो बोनस थे टीम के लिए। इसलिए उनके रिकॉर्ड को विराट से खराब बता कर क्या मिलेगा?
क्या मोटेरा में, किसी बदले अंदाज में विराट कोहली के रिकॉर्ड की चर्चा का मौका मिलेगा?
- चरनपाल सिंह सोबती