गुवाहाटी में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध ओपनर केएल राहुल का स्कोर- 28 गेंद में 57 रन 203.57 के स्ट्राइक रेट से। राहुल और रोहित शर्मा ने भारत को 9.5 ओवर में 96 रन की शुरुआत दी। क्या इस पारी के दौरान, एक बार भी यह महसूस हुआ कि यह वही राहुल हैं जिसने दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध पहले टी20 इंटरनेशनल में भारत को जीत दिलाई थी तो उनका स्कोर था 51* था लेकिन इसके लिए 56 गेंद खर्च कर दीं। टी20 क्रिकेट में ऐसी धीमी बल्लेबाजी और वह भी तब जबकि टी20 वर्ल्ड कप सामने है और आज जो हालत है- कोई तय नहीं कि कितना बड़ा स्कोर जीत की गारंटी बन सकता है?
ऐसा नहीं है कि राहुल का रिकॉर्ड ऐसी ख़राब बल्लेबाजी का ही है पर उनके 56 गेंदों में मैच जीतने वाले 50 एक ऐसी चर्चा बन गए जिसका जिक्र हमेशा होगा- ये टी20 इंटरनेशनल में, किसी टेस्ट देश के खिलाड़ी का, सबसे धीमा 50 है। इसलिए भारत की तरफ से तो सबसे धीमा 50 है ही। जबकि एक ओर बल्लेबाज पावरप्ले ओवरों का फायदा उठाकर तेजी से रन बटोरते हैं- राहुल ने पावर प्ले की 36 में से 26 गेंद ले लीं और सिर्फ 11 रन ! राहुल ख़राब बल्लेबाज नहीं पर ये वो दिन था जब बैट ने साथ नहीं दिया और कुछ भी सही नहीं हुआ। उनका करियर टी20 इंटरनेशनल स्ट्राइक-रेट 66 मैच में 140+ है पर इस मैच में वे बैक फुट पर थे।
इसीलिए सूर्य कुमार यादव को एकदम टॉप गियर में आना पड़ा और सिर्फ 33 गेंदों पर अर्धशतक बनाया- इनकी तुलना कीजिए केएल राहुल के 56 गेंद में 50 से। अभी तो छक्के के साथ मैच खत्म किया अन्यथा स्ट्राइक रेट और भी ख़राब होता। बड़ी आलोचना हुई- क्या वे टी 20 वर्ल्ड कप टीम में जगह के हकदार हैं? क्या वे मौजूदा टीम के सबसे स्वार्थी खिलाड़ी हैं और सिर्फ अपने लिए और टीम में जगह के लिए खेलते हैं? देखिए :
एक पारी में पहली 30 गेंद में भारतीय बल्लेबाज का सबसे कम स्ट्राइक रेट :
केएल राहुल – 43.3, दक्षिण अफ्रीका (2022)
युवराज सिंह – 46.7, पाकिस्तान (2016)
भुवनेश्वर कुमार – 50, श्रीलंका (2021)
दिनेश मोंगिया – 70, दक्षिण अफ्रीका (2006)
इसी वजह से भारत ने टी20 में सबसे कम पावरप्ले स्कोर का रिकॉर्ड बनाया :
17/1 – दक्षिण अफ्रीका, तिरुवनंतपुरम, 2022
21/3 – पाकिस्तान, ढाका, 2016
22/3 – इंग्लैंड,अहमदाबाद, 2021
24/3 – इंग्लैंड,अहमदाबाद, 2021
24/4 -ऑस्ट्रेलिया, ब्रिजटाउन, 2010
आकाश चोपड़ा को ये आलोचना पसंद नहीं आई- लोग राहुल को उनकी पारी के लिए लताड़ रहे हैं, पर समझ नहीं आता क्यों? यदि सिर्फ 107 का पीछा कर रहे हैं, और परिस्थितियां मुश्किल हैं, तो बल्लेबाज हिट क्यों करे? ऐसे रन बनाना भी साहस और हिम्मत की बात है। अगर वे हिटिंग करते और उसी चक्कर में आउट हो गए होते तो ये गैर-जिम्मेदाराना होता।
वैसे रिकॉर्ड देखें तो भारत के कुछ और मशहूर बल्लेबाज भी किसीकिसी दिन सही रंग में नहीं थे और कैसे-कैसे 50 बना गए। गौतम गंभीर के 2012 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 54 गेंदों में 50 रन मेलबर्न में ऐसे ही थे। ये सीरीज का दूसरा और आख़िरी मैच था और ऑस्ट्रेलिया ने 131 रन बनाए। जवाब में ओपनर बल्लेबाजों ने संभलकर शुरुआत की पर वीरेंद्र सहवाग (23) और विराट कोहली (31) के आउट होने से गंभीर को एहसास हुआ कि क्रीज पर टिकना होगा तो 54 गेंद में 50 और 60 गेंद पर 56* रन और भारत ने आखिरी ओवर में दो गेंद रहते मैच जीत लिया। गंभीर की वजह से जो दबाव बना, उसी से कप्तान धोनी ने खुद को प्रोमोट किया और 18 गेंद में 21* बनाए।
फिर से गौतम गंभीर ने 2009 में बांग्लादेश के विरुद्ध 46 गेंदों में 50 रन बनाए और ऐसा दबाव बन गया था कि युवराज सिंह को ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करनी पड़ी- आख़िरी चार ओवरों में 59 रन बना कर स्कोर सुधारा। गंभीर ने जो पहली गेंद खेली उस पर बाउंड्री शॉट लगाया था और पहले 6 ओवरों में स्कोर 54 था पर उसके बाद दब गए और भारत ने बीच के 10 ओवरों में सिर्फ 62 रन बनाए तो गड़बड़ हो गई।
रोहित शर्मा ने 2014 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध 55 गेंदों में 62 रन बनाए- तब भी जीत के लिए सिर्फ 130 रन बनाने थे पर शिखर धवन के 0 पर आउट होने से दबाव बन गया और हिट मैन उस दिन एंकर बन गए। तब अगर विराट कोहली ने 41 गेंद में 54 न बनाए होते तो? मजे की बात ये कि तब युवराज के साथ पार्टनरशिप में भी 4.5 ओवर में सिर्फ 22 रन जोड़े और युवराज ने भी बड़ा हैरान किया।
विराट कोहली का नाम भी इस लिस्ट में है- 2014 में बांग्लादेश के विरुद्ध 50 गेंदों में 57* रन। तब भी शिखर धवन के 1 बनाकर आउट होने से जीत के 140 बहुत ‘बड़ा’ बन गए। रोहित (44 गेंद में 56) तो अपने अंदाज में खेले पर विराट कोहली ने रन रेट गिरा दिया। धोनी ने 12 गेंद में 22* बनाए और 19 वें ओवर में मैच जीता।
राहुल ने गुवाहाटी में दिखा दिया- वे भी कम नहीं हैं।
- चरनपाल सिंह सोबती
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