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पृथ्वी शॉ ‘सीजन 2’ शुरू हो गया है। जब असम के विरुद्ध रणजी ट्रॉफी में 383 गेंद पर अविश्वसनीय 379 रन बनाए तो एक बार फिर सोशल मीडिया पर पृथ्वी को टीम इंडिया में एंट्री देने की दलील ने जोर पकड़ लिया। आखिरकार सुनवाई हो गई और न्यूजीलैंड के विरुद्ध टी20 इंटरनेशनल सीरीज के लिए टीम में पृथ्वी का भी नाम है। मजे की बात ये है कि रैड बॉल क्रिकेट में 379 बनाए और चुने गए वाइट बॉल क्रिकेट की टीम में।

ये ठीक है कि 379 के लिए भी तूफानी अंदाज में खेले। 240 के ओवरनाइट स्कोर से आगे खेलते हुए दूसरे दिन 99 गेंदों पर 139 रन बनाए पर वाइट बॉल इंटरनेशनल क्रिकेट इससे बिलकुल अलग होगी। खैर ये एक अलग बात है और जो 379 बनाए, उनकी तारीफ़ उनसे कोई छीन नहीं सकता। वे तो 400 के लिए सेट थे पर रियान पराग की गेंद पर एलबीडब्लू- अंपायर का वह फैसला जो वास्तव में गलत था।

उनसे बड़ा सिर्फ एक स्कोर है रणजी ट्रॉफी/भारत की फर्स्ट क्लास क्रिकेट में- दिसंबर 1948 में काठियावाड़ के विरुद्ध महाराष्ट्र के लिए 443* जो भाऊसाहेब निंबालकर ने रणजी ट्रॉफी में बनाए थे। पृथ्वी भी 400 तो क्या 500 भी बना सकते थे- इतनी लंबी पारी खेल कर भी फिट थे और वास्तव में अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे। अंपायर को ये पसंद नहीं था।

इस बड़े स्कोर की पृथ्वी को अपने डगमगाते करियर को बचाने के लिए सख्त जरूरत थी। इसी से शॉ के लिए खराब फॉर्म का सिलसिला रुका- अपनी पहली 7 पारियों में सिर्फ एक 50 के साथ इस रणजी सीज़न में खेल रहे थे। उससे पहले आईपीएल 2022 में सिर्फ दो फिफ्टी के साथ 283 रन बनाए थे। 379 उन्हें टीम इंडिया की स्कीम में  वापस ले आए। आखिरी बार जुलाई 2021 में श्रीलंका में वाइट बॉल टूर की टीम में थे। जो काम सरफराज के लिए लगातार कई बड़े स्कोर नहीं कर पाए, वह एक 300 ने पृथ्वी के लिए कर दिया।

गजब के प्रभाव से खेले। तीन पार्टनरशिप और तीनों में हावी रहे- पहले विकेट के लिए मुशीर खान के साथ 123 रन में 75, दूसरे विकेट के लिए अरमान जाफर के साथ 74 रन में 42 और तीसरे विकेट के लिए अजिंक्य रहाणे के साथ जो 401 रन जोड़े उनमें से 262 पृथ्वी के थे। कुल 98.95 स्ट्राइक रेट से 383 गेंद (4×49; 6×4) में 379 रन। कुछ ख़ास रिकॉर्ड :

  • 379- दूसरा सबसे बड़ा रणजी ट्रॉफी स्कोर बनाया।
  • रणजी पारी में 350+ स्कोर करने वाले 9 वें बल्लेबाज : स्वप्निल गुगले (351), चेतेश्वर पुजारा (352), वीवीएस लक्ष्मण (353), समित गोहेल (359), विजय मर्चेंट (359), एमवी श्रीधर (366) और संजय मांजरेकर (377) से भी ज्यादा का स्कोर।
  • रोहित शर्मा और वीरेंद्र सहवाग के अलावा एकमात्र बल्लेबाज जिसने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में तिहरा शतक, लिस्ट ए में दोहरा शतक और टी20 में शतक बनाया है।
  • एक ही फर्स्ट क्लास मैच में दो बार “लंच से पहले 100+ रन” बनाने वाले सिर्फ दूसरे खिलाड़ी (पहले : गिल्बर्ट जेसप,ग्लूस्टरशायर-यॉर्कशायर,1900)। पृथ्वी शॉ (मुंबई) का ख़ास रिकॉर्ड ये कि एक ही पारी में ऐसा किया जबकि जेसप ने इसे अलग-अलग पारियों में दिखाया था।
  • 300 पूरे किए- 326 गेंद में।

तो 2018 में अंडर 19 विश्व कप विजेता शॉ के लिए सीजन 2 शुरू हो रहा है- अब तक के 5 टेस्ट, 6 वनडे और एक टी 20 इंटरनेशनल के बाद। संयोग से आखिरी बार जब जुलाई 2021 में श्रीलंका के विरुद्ध खेले थे तो वह भी टी 20 इंटरनेशनल ही था- पहली गेंद पर आउट हुए थे। दिल्ली कैपिटल्स के लिए उस सीजन में आईपीएल में 479 रन बनाने के बाद एकदम टी20 की स्कीम में आए थे पर ये मौका बेकार गया।

2018 में राजकोट में वेस्टइंडीज के विरुद्ध टेस्ट डेब्यू पर 100 के साथ शॉ ने करियर को जो शानदार शुरुआत दी थी वह बहुत जल्दी पटरी से उतर गया और इसके लिए एक नहीं, कई वजह जिम्मेदार थीं। खराब फिटनेस, मौज मस्ती, स्थिरता की कमी और नई टेलेंट की चुनौती। खुशकिस्मत हैं कि सीजन 2 का मौका मिला है और अब तो समय ही बताएगा कि ये प्रयोग कैसा रहा? 

अब बाइसेप्स दिखते हैं, किसी ओलंपिक स्प्रिंटर की तरह विकेटों के बीच भाग रहे हैं और रन बनाने की भूख बरकरार है- 379 में भी 220 रन बाउंड्री से और 159 रन सिंगल और डबल दौड़ कर बनाए। टी20 विश्व कप 2022 टीम में भी उन्हें लेने की दलील थी पर एक और ओपनर  के लिए कोई जगह नहीं बन पाई।

2022-23 सीज़न लक्ष्य के करीब लाया- दलीप ट्रॉफी में दो शतक, सैयद मुश्ताक अली टी20 टूर्नामेंट में शतक पर शुभमन गिल और इशान किशन की बढ़ती मौजूदगी को चुनौती नहीं दे पाए। खब्बू किशन ने दिसंबर में बांग्लादेश के विरुद्ध तीसरे वनडे में 210 रन की पारी खेली और शॉ की एंट्री और मुश्किल कर दी।

ये सब तो ठीक है पर स्थिरता तो पृथ्वी को ही दिखानी होगी। 13, 6, 19, 4, 68, 35 और 15 रन के बाद बनाए 379 इस रणजी सीजन में। पिछले सेलेक्शन कमेटी चीफ एमएसके प्रसाद ने तो साफ़-साफ़ कह भी दिया था कि स्थिरता की कमी ने उन्हें टीम से बाहर रखा और अब भी रन बनाना जारी रखते हैं- तब ही टिकेंगे। उनकी टेलेंट के बारे में कोई दो राय नहीं तभी तो 18-19 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट खेलने चुन लिया था। वे बाहर हुए तो अन्य दूसरे मौके का बेहतर फायदा उठा गए। 

शॉ को रन बनाते रहना होगा और ये उन्हें ही कर दिखाना है। लगातार बेहतर प्रदर्शन सेलेक्टर्स का नजरिया बदलेगा- तब टीम में जगह मुश्किल नहीं होगी।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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